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अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

He fell asleep because we could sleep peacefully.It was an Indian soldier who got martyred today.Jai HindMilitaryThere are lights in our Diwali because someone is standing on the border in the dark.Jai Hindwhat did a soldier lose

हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया, वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया. जय हिन्द Army  हमारी दिवाली में रोशनी इसलिए हैं क्योंकि सरहद पर अँधेरे में कोई खड़ा हैं. जय हिन्द एक सैनिक ने क्या खूब कहा है. किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं, कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं. नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए. जय हिन्द जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को, भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को, खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है, सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है, जय हिन्द फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं, ऐसे सपूतो को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं. जिसकी वजह से पूरा हिन्दुस्तान चैन से सोता हैं, कड़ी ठंड, गर्मी और बरसात में अपना धैर्य न खोता ह...

यह सुपारी का फूल है। सुबह मैंने इसकी तस्वीर पोस्ट की थी। अभी रात 8 बजे की इसकी तस्वीर देखिए। धीरे धीरे खुल रहा अब।By वनिता कासनियां पंजाब

यह सुपारी का फूल है। सुबह मैंने इसकी तस्वीर पोस्ट की थी। अभी रात 8 बजे की इसकी तस्वीर देखिए। धीरे धीरे खुल रहा अब। By  वनिता कासनियां पंजाब

नजरिया By वनिता कासनियां पंजाब मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे,तभी पीछे से दो बच्चों के आपस मेंझगड़ा करने की आवाज़ आने लगी।“क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ”, मास्टर जी ने पूछा।राहुल : सर,अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरीसुनने को तैयार ही नहीं है।अमित : नहीं सर,राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत हैइसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करनेलगे।मास्टर जी ने उन्हें बीच में रोकते हुएकहा,”एक मिनट तुम दोनों यहाँ मेरे पास आजाओ। राहुल तुम डेस्क की बाईं और अमित तुम दाईं तरफ खड़े हो जाओ।“ इसके बाद मास्टरजी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और डेस्क के बीचो-बीच रख दी।,मास्टर जी : राहुल तुम बताओ, ये गेंद किस रंग की है।राहुल : जी ये सफ़ेद रंग की है।मास्टर जी : अमित तुम बताओ ये गेंद किसरंग की है ?अमित : जी ये बिलकुल काली है।दोनों ही अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंटथे की उनका जवाब सही है,औरएक बार फिर वे गेंद के रंग को लेकर एक दुसरे से बहस करने लगे.मास्टर जी ने उन्हें शांत कराते हुएकहा,“ठहरो,अब तुम दोनों अपने अपने स्थान बदल लोऔर फिर बताओ की गेंद किस रंग की है ?”दोनों ने ऐसा ही किया,पर इस बार उनके जवाब भी बदल चुके थे। राहुल ने गेंद का रंग काला तोअमित ने सफ़ेद बताया।अब मास्टर जी गंभीर होते हुए बोले,बच्चों ये गेंद दो रंगो से बनी है औरजिस तरह यह एक जगह से देखने पे काली और दूसरी जगह से देखने पर सफ़ेद दिखती है उसीप्रकार हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। येज़रूरी नहीं है की जिस तरह से आप किसी चीज को देखते हैं उसी तरह दूसरा भी उसे देखे.इसलिए अगर कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो तो ये ना सोचें की सामने वालाबिलकुल गलत है बल्कि चीजों को उसके नज़रिये से देखने और उसे अपना नजरिया समझाने काप्रयास करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं।

नजरिया By वनिता कासनियां पंजाब मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे , तभी पीछे से दो बच्चों के आपस मेंझगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “ क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो  ? ”,  मास्टर जी ने पूछा। राहुल :  सर , अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरीसुनने को तैयार ही नहीं है। अमित :  नहीं सर , राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत हैइसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करनेलगे। मास्टर जी ने उन्हें बीच में रोकते हुएकहा ,” एक मिनट तुम दोनों यहाँ मेरे पास आजाओ। राहुल तुम डेस्क की बाईं और अमित तुम दाईं तरफ खड़े हो जाओ।“ इसके बाद मास्टरजी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और डेस्क के बीचो-बीच रख दी। , मास्टर जी :  राहुल तुम बताओ ,  ये गेंद किस रंग की है। राहुल :  जी ये सफ़ेद रंग की है। मास्टर जी :  अमित तुम बताओ ये गेंद किसरंग की है  ? अमित :  जी ये बिलकुल काली है। दोनों ही अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंटथे की उनका जवाब सही है , औरएक बार फिर वे गेंद के रंग को लेकर एक दुसरे से बहस करने लगे. मास्टर जी ने उन...

बड़ी सोच का बड़ा जादू खुद पर विस्वास करने वाला हमेशा सफल होता है...By वनिता कासनियां पंजाबबुलाकी एक बहुत मेहनती किसान था। कड़कती धूप में उसने और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने रात दिन खेतों में काम कियाऔर परिणामस्वरूप बहुत अच्छी फ़सल हुई। अपने हरे भरे खेतों को देख कर उसकी छाती खुशी से फूल रहीथी क्योंकि फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच उसके खेत में एकचिड़िया ने एकघौंसला बना लिया था। उसके नन्हें मुन्ने चूज़े अभी बहुत छोटे थे।.एक दिन बुलाकी अपने बेटे मुरारी के साथखेत परआया और बोला, “बेटा ऐसा करो कि अपने सभी रिश्तेदारों को निमन्त्रण दोकि वो अगले शनिवार को आकर फ़सल काटने में हमारी सहायता करें।” येसुनकर चिड़ियाके बच्चे बहुत घबराए और माँ से कहने लगे कि हमारा क्या होगा। अभी तो हमारेपर भीपूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं। चिड़िया ने कहा, तुम चिन्ता मत करो. अगले शनिवार को जबबाप बेटे खेत पर पहुचे तो वहाँ कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुँचा था। दोनोंको बहुत निराशा हुई बुलाकी ने मुरारी से कहा कि लगता है हमारेरिश्तेदार हमारेसे ईर्ष्या करते हैं, इसीलिए नहीं आए।अब तुम सब मित्रों को ऐसा ही निमन्त्रणअगले हफ़्तेके लिए दे दो। चिड़िया और उसके बच्चों की वही कहानी फिर दोहराई गई और चिड़ियाने वही जवाब दिया। अगले हफ़्ते भी जब दोनों बाप बेटे खेत पर पहुचे तोकोई भी मित्र सहायता करने नहीं आया तो बुलाकी ने मुरारी से कहाकि बेटा देखा तुम ने, जो इन्सान दूसरों का सहारा लेकर जीना चहता है उसकायही हाल होता है और उसे सदा निराशा ही मिलती है।अब तुम बाज़ार जाओ और फसल काटने का सारा सामान ले आओ,कलसे इस खेत को हम दोनों मिल कर काटेंगे। चिड़िया ने जब यह सुना तो बच्चों सेकहने लगीकि चलो, अब जाने का समय आ गया है. जब इन्सान अपने बाहूबल पर अपना काम स्वयं करनेकी प्रतिज्ञा कर लेता है तो फिर उसे न किसी के सहारे की ज़रूरत पड़ती है और नही उसे कोईरोक सकता है। इसी को कहते हैं बच्चो कि, “अपना हाथजगन्नाथ।” इससे पहले कि बाप बेटे फसल काटने आएँ, चिड़िया अपने बच्चों को लेकर एकसुरक्षित स्थान पर ले गई।

बड़ी सोच का बड़ा जादू खुद पर विस्वास करने वाला हमेशा सफल होता है... By वनिता कासनियां पंजाब बुलाकी एक बहुत मेहनती किसान था। कड़कती धूप में उसने और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने रात दिन खेतों में काम कियाऔर परिणामस्वरूप बहुत अच्छी फ़सल हुई। अपने हरे भरे खेतों को देख कर उसकी छाती खुशी से फूल रहीथी क्योंकि फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच उसके खेत में एकचिड़िया ने एकघौंसला बना लिया था। उसके नन्हें मुन्ने चूज़े अभी बहुत छोटे थे। . एक दिन बुलाकी अपने बेटे मुरारी के साथखेत परआया और बोला, “बेटा ऐसा करो कि अपने सभी रिश्तेदारों को निमन्त्रण दोकि वो अगले शनिवार को आकर फ़सल काटने में हमारी सहायता करें।” येसुनकर चिड़ियाके बच्चे बहुत घबराए और माँ से कहने लगे कि हमारा क्या होगा। अभी तो हमारेपर भीपूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं। चिड़िया ने कहा, तुम चिन्ता मत करो. अगले शनिवार को जबबाप बेटे खेत पर पहुचे तो वहाँ कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुँचा था। दोनोंको बहुत निराशा हुई बुलाकी ने मुरारी से कहा कि लगता है हमारेरिश्तेदार हमारेसे ईर्ष्या करते हैं, इसीलिए नहीं आए। अब तुम सब मित्रों को ऐसा ही निम...

(बड़ी सोच का बड़ा जादू) By वनिता कासनियां पंजाब कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं.कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है|राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा|यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है|’’वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था !

(बड़ी सोच का बड़ा जादू) By वनिता कासनियां पंजाब कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं. कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’ राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा| यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत...

बडी सोच का बड़ा जादू कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं. By वनिता कासनियां पंजाब कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है|राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा|यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है|’’वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था !

बड़ी सोच का बड़ा जादू कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं. By वनिता कासनियां पंजाब कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’ राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा| यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का...

भारत में लागू विभिन्न प्रकार के टैक्स: इनकम टैक्स, GST, TDS, कॉर्पोरेट टैक्स, सर्विस टैक्स By वनिता कासनियां पंजाब चाहे आप दुनिया में कहीं भी रहते हों, पर आपको स्थानीय सरकार को टैक्स का भुगतान करना होता है । टैक्स कई प्रकार के होते हैं जैसे स्टेट टैक्स (राज्य कर), सेण्टर गवर्नमेंट टैक्स (केंद्र सरकार कर), डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर), इन-डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) इत्यादि। मुख्यता भारत में टैक्स को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं – डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार को टैक्स का भुगतान कैसे किया जा रहा है। निम्नलिखित लेख में हम हम उस टैक्स पर चर्चा करेंगे जिनका भुगतान एक भारतीय नागरिक द्वारा किया जाता है।टैक्स क्या हैटैक्स शब्द लैटिन शब्द “टैक्सो” से आया है। एक टैक्स एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है। जमा हुए टैक्स की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से टैक्स भुगतान ना करने पर जुर्माना या सज़ा मिलने सकती है।टैक्स के प्रकारव्यक्ति/ संगठन को विभिन्न तरीकों से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। टैक्स अधिकारियों द्वारा टैक्स भुगतान के तरीके के आधार पर, टैक्स को डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स में बाटा जाता है। दोनों टैक्स की जानकारी निम्नलिखित है।डायरेक्ट टैक्सजैसा किनाम से ही पता चलता है ये टैक्स करदाता (टैक्स देने वाला) द्वारा सीधे सरकार को दिया जाता है।भारत में इस प्रकार के टैक्स के सबसे अच्छे उदाहरण इनकम टैक्स और वैल्थ टैक्स हैं।सरकार की नज़र में, डायरेक्ट टैक्ससे कुल टैक्स इनकम का अनुमान लगाना आसान होता है क्योंकि यह करदाताओं की इनकम से सीधा संबंध रखता है।इन-डायरेक्ट टैक्सइन-डायरेक्टटैक्स को अलग तरीके से जमा किया जाता है और ये टैक्स सामान और सेवाओं के उपयोगपर आधारित होते हैं।जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इन-डायरेक्टटैक्स का भुगतान सामान/ सेवाओं के उपभोक्ता सीधे सरकार को नहीं करते हैं।सरकार सामान/ सेवा के विक्रेता(बेचने वाला) से इन-डायरेक्टटैक्स प्राप्त करती है।विक्रेता, बदले में, सामान/ सेवा के खरीदार से टैक्स लेता है।इन-डायरेक्टटैक्स के सामान्य उदाहरणों में सेल्स टैक्स, GST, VAT, आदि शामिल हैं।टैक्स भरने के लाभमूलत: टैक्स वह राशि है जिस पर सरकार चलती है और अपने नागरिक को सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करती है। टैक्स का भुगतान करने के लाभ निम्नलिखित हैं।आपका टैक्स भुगतान सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहेंगी।आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं।इस टैक्स की राशि से सरकार अपने नागरिक के लिए बेहतर सुविधाओं और उपयोगिताओं को निधि दे सकती है जो बदले में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करती है।सरकार को बहुत सारे कार्य करने होते हैं और जिसके लिए धन की आवश्यकता होती है। आपके धन का उपयोग सेनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, नागरिकों की सुरक्षा, प्रशासनिक सेवाओं आदि के लिए भी किया जाता है।टैक्स प्रणाली में बदलावसरकार ने 2017 में GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) पेश किया जो स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे अहम टैक्स सुधार है। इससे पहले, सरकारों ने विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने या विभिन्न वस्तुओं को खरीदने के लिए कई तरह के अलग-अलग टैक्स लगा रखे थे। टैक्स की प्रक्रिया कठिन थी और कुछ पेचीदा नियमों की वजह से कुछ लोग टैक्स से बच जाते थे। GST लागू होने के बाद से टैक्स चोरी करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।टैक्स चोरी कानून व जुर्मानाभारत सरकार ने टैक्स से संबंधित विभिन्न अधिनियम बनाए हैं और प्रत्येक नागरिक उन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है। टैक्स संबंधित विभिन्न अधिनियम का पालन ना करने पर लगाए गए कुछ दंड निम्नलिखित हैं:धारा 140A (1) के अनुसार, यदि एक असेसी (टैक्स देने वाले) आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से मूल राशि या ब्याज पर टैक्स का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे डिफॉल्टर माना जाएगा।धारा 221 (1) के अनुसार,टैक्स अधिकारी बकाया राशि के बराबर जुर्माना लगा सकता है।धारा 271 (C) के तहत,यदि कोई असेसी इनकम को छुपाता है तो उसपर 100% से 300% का जुर्माना लगाया जा सकता है।यदि कोई डिफॉल्टर धारा 142 (1) या 143 (2) के तहत,नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो टैक्स अधिकारी उसेको रिटर्न दाखिल करने या लिखित रूप में संपत्ति और लाइबिलिटी के सभी विवरण प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।इनकम टैक्सयह सबसे साधारण टैक्स है जो एक नागरिक सरकार को व्यक्तिगत रूप से चुकाता है। यह बहुत ही सरल है – आपकी इनकम का एक हिस्सा हर साल सरकार को टैक्स के रूप में देना होता है और इस धन का उपयोग सरकार द्वारा देश भर में विकास कार्यों के लिए किया जाता है। वर्ष 2015-16 में, सरकार द्वारा जमा कुल इनकम टैक्स 2.86 लाख करोड़ रुपए से अधिक था।इनकम टैक्स असेसीकोई भी व्यक्ति जो इनकम होने के कारण से टैक्स जमा करने के लिए उत्तरदायी है, एक इनकम टैक्स असेसी है। हालांकि, कुछ व्यक्ति जो इनकम होने के बावजूद भी टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं होते हैं जैसे किसान आदि। इसके अतिरिक्त, एक असेसी कुछ स्थितियों में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए बाध्य हो सकता है।इनकम टैक्स स्लैबसभी व्यक्तियों पर समान टैक्स लागू नहीं होता है, नियम के अनुसार आपकी आय जितनी अधिक है, आपको उतनी अधिक राशि का भुगतान करना होगा। यह सुनिश्चित करता है कि टैक्स की दरें और नियम एक समान होने के बजाय निष्पक्ष हों, सरकार आयकर स्लैब के उपयोग से टैक्स दर को निर्धारित करती है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। 60 वर्ष से कम आयु के भारतीय निवासियों के लिए वर्ष 2018-19 से टैक्स स्लैब दर निम्नलिखित है।वर्ष 2021-22 में नई टैक्स रेजिम में लागू टैक्स दरें: कुल आय लागू दर ₹ 2.5 लाख से कम टैक्स माफ़ ₹ 2.5 लाख से ₹ 5 लाख 5% ₹ 5 लाख से ₹ 7.5 लाख 10% ₹ 7.5 लाख से ₹ 10 लाख 15% ₹ 10 लाख से ₹ 12.5 लाख 20%₹ 12.5 लाख से ₹ 15 लाख 25% ₹ 15 लाख से अधिक 30%इनकम टैक्स पर छूटअगर आप पुरानी नई टैक्स रेजिम में टैक्स फाइल कर रहे हैं तो आपको आयकर धारा 80CCD (2) के तहत टियर 1 NPS में किये गए निवेश पर टैक्स में छूट मिल सकती है, अधिकतम छूट आपकी बैसिक सैलरी और DRA के 10% तक ही होगी। वहीं पुरानी टैक्स रेजिम में आप ELSS , म्यूचुअल फंड, PPF, EPF, FD, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और आदि में निवेश करने पर टैक्स में छूट का क्लेम कर सकते हैं। इनके बारे में इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80C और 80D में बताया गया है।TDS TDS को टैक्स के सबसे आम तरीकों में से एक माना जाता है, इसमें एक नौकरीपेशा व्यक्ति का टैक्स उसके वेतन में से काटकर नियोक्ता/ कम्पनी द्वारा सरकार को भुगतान किया जाता है। व्यक्ति द्वारा किये गए निवेश के बाद उस पर जितना टैक्स लागू होता है उसे नियोक्ता/ कंपनी द्वारा हर महीने वेतन से काटा जाता है। यदि टैक्स कटने के बाद, कोई व्यक्ति टैक्स माफ़ी के लिए निवेश दस्तावेज देता है और नियमों के मुताबिक, टैक्स छूट के लिए योग्य होता है तो उसके वेतन से काटा गया टैक्स वापस यानी रिफंड कर दिया जाता है। वेतन के अलावा, FD पर व RD के ब्याज से हुई आय पर भी TDS काटा जाता है। इस मामले में भी, इनकम रिटर्न (ITR) दाखिल करने के बाद व्यक्ति को रिफंड मिल सकता है।इनकम टैक्स रिफंडयदि टैक्स देने वाले किसी वयक्ति के नियोक्ता/ कम्पनी ने गलती से टैक्स प्रक्रिया में ज़्यादा TDS या ज़्यादा एडवांस टैक्स काट लिया है तो वह आयकर विभाग से आयकर रिफंड ले सकता है। हालाँकि, इस रिफंड का दावा केवल उस मामले में किया जा सकता है जब व्यक्ति ने ITR दाखिल किया हो।इनकम टैक्स रिटर्नप्रत्येक फाइनेंशियल वर्ष की समाप्ति के बाद, व्यक्तियों को चाहे वे नौकरीपेशा हों या स्व-नियोजित (अपना व्यवसाय करने वाला) हों, उन्हें अपना आयकर रिटर्न या ITR जमा करना आवश्यक है। यह दस्तावेज़ विभिन्न स्रोतों से हुई करदाता की वार्षिक इनकम, निवेश/ खर्च, कुल टैक्स भुगतान, TDS/ एडवांस टैक्स का भुगतान और अन्य डाटा इस पर निर्भर करता है कि ITR दाखिल करने वाले व्यक्ति नौकरीपेशा है या अपना व्यवसाय करता है। ITR जमा करने के बाद, आयकर विभाग एक एकनॉलेजमेंट नंबर जारी करता है और टैक्स अधिकारी रिफंड जारी करने से पहले ITR वैरीफाई करता है या व्यक्ति से कोई स्पष्टीकरण मांगता है।इनकम टैक्स नोटिससरकार द्वारा भेजे गए किसी भी प्रकार के नोटिस की तरह ही इनकम टैक्स नोटिस को भी एक बुरा संकेत माना जाता है। जबकि यह आपके ITR से संबंधित किसी जानकारी की वैरीफिकेशन के लिए भी हो सकता है। पहले इस तरह के नोटिस डाक प्रणाली का उपयोग करके भेजे जाते थे, लेकिन काफी वर्षों से, यह बदल गया है और ई-फाइलिंग के साथ, इनकम टैक्स विभाग ईमेल भेजता है जिसमें आपको अपने ई-फाइलिंग खाते पर लॉग-इन कर नोटिस देखने के लिए खा जाता है। इस तरह के नोटिस को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और निर्धारित तरीके से जवाब दिया जाना चाहिए। यदि विभाग को कई नोटिस भेजने के बाद आपसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो वे आपकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर आपके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर सकते हैं या आप पर जुर्माना लगा सकते हैं।GST (वस्तु एवं सेवा कर)भारत की आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधार को ध्यान में रखते हुए, GST जुलाई 2017, से लागू हुआ है। यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स के एवज़ में बनाया गया है जो उत्पादों और सेवाओं पर लगते थे। GST, उन सभी इन-डायरेक्ट के बदले लागू होगा जिन्हें राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लगाए जाता था। वर्तमान में वस्तुओं और सेवाओं पर 0%, 5%, 12%, 18% या 28% की दरों के अनुसार, GST लगाया जाता है, जबकि कुछ अन्य वस्तुओं/ सेवाओं को इस से छूट दी गई है।VAT (वैल्यू एडेड टैक्स)यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स में से एक था जो भारत में GST से पहले लगाए जाते थे। पूरी दुनिया में बहुत आम है। जब भी बिक्री के लिए अंतिम वस्तु तैयार करने के लिए कच्चे माल का उपयोग होता है तब वैट लागू किया जाता है। यदि एक निश्चित वस्तु अपने अंतिम रूप में आने से पहले अर्ध-तैयार या कच्चे माल के रूप में कई बार खरीदी और बेची जाए, तो वैट प्रत्येक खरीद पर लागू होगा, बशर्ते हर बार वस्तु की कीमत बढ़ी हो।सेल्स टैक्सयह वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री पर लगाया गया एक इन-डायरेक्ट टैक्स है, जो GST लागू होने से पहले लागू था। वैट के विपरीत, सेल्स टैक्स को एक विशेष टैक्स माना जाता है, क्योंकि ये हर बार वस्तु या सेवा की बिक्री पर लागू होता है। भले ही बिक्री के समय वस्तु का मूल्य ना बढ़ा हो।सर्विस टैक्सभारत में वित्त अधिनियम, 1994 के भाग के रूप में, सर्विस टैक्स को सेवा देने वालों द्वारा सरकार को दिया जाने वाले इन-डायरेक्ट टैक्स के रूप में परिभाषित किया गया था। सेवा देने वाले बाद में अपने ग्राहकों से यह टैक्स वसूलते हैं। सामान्य उदाहरण जो ग्राहकों से सर्विस टैक्स वसूलते हैं, उनमें होटल, रेस्टोरेंट, मोबाइल कनेक्शन प्रदाता आदि शामिल हैं।एंट्री टैक्सएंट्री टैक्स एक राज्य द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आवाजाही पर लगाया जाने वाला टैक्स है।यह टैक्स डीलरों, कंपनियों, क्लबों, फर्मों, सोसायटी, औद्योगिक या वाणिज्यिक उपक्रम आदि पर लागू होता है।वर्तमान व्यवस्था के अनुसार,GST आने के बाद एंट्री टैक्स को समाप्त कर दिया गया है।इंफास्ट्रक्चर सेसग्यारहवीं अनुसूची में,विशिष्ट वस्तुओं पर केंद्र सरकार द्वारा इंफास्ट्रक्चर सेस लगाया जाता है।छोटी पेट्रोल, LPG, CNG कार जैसे वाहन पर 1% व छोटी डीज़ल कारों पर 5% और उच्च इंजन क्षमता वाले वाहन पर 4% सेस लगता है।इस सेस को मार्च 2016 में,देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की वित्त व्यवस्था के लिए पेश किया गया था।इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है।कृषि कल्याण सेसकृषि कल्याण सेस (KKC) को वित्त अधिनियम, 2015 के अध्याय 6 के प्रावधानों के अनुसार,2016 में पेश किया गया था।सेस 5% की दर से सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर लागू होता है।इस के माध्यम से जमा राशि का उपयोग पूरी तरह से किसानों की स्थिति में सुधार और बुनियादी ढांचे और कृषि से संबंधित अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा।अब कृषि कल्याण सेस को GSTमें शामिल कर लिया गया है।स्वच्छ भारत सेस स्वच्छ भारत सेस सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर 5% की दर से लगाया जाता है।इस से जमा हुई राशि काउद्देश्य स्वच्छ भारत पहल से संबंधित गतिविधियों को फंड करनाऔर देश में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है और अलग से नहीं लगाया जाता है।रोड टैक्ससार्वजनिक सड़कों पर उपयोग के लिए सभी पहिया वाहनों पर रोड टैक्स लगाया जाता है।यह राज्य सरकार द्वारा वाहन की खरीद पर लगाया जाता है।निजी वाहन के लिए टैक्स एक बार होता है जबकि कमर्शियलवाहनों को रोड टैक्स का सालाना भुगतान करना होता है।टैक्स की गणना इंजन की क्षमता, लागत मूल्य, वज़न, बैठने की क्षमता आदि पर निर्धारित है।सरकार 1% से 15% तक की इंजन क्षमता के आधार पर 28% GST और एक अतिरिक्त सेस लेती है।हालांकि, इलेक्ट्रिक कारों पर 12%रोडटैक्स लिया जाता है।टोल टैक्सटोल टैक्स राजमार्ग के एक विशेष हिस्से पर यात्रा करने के लिए अधिकारियों द्वारा लगाया गया टैक्स है।हालांकि, टोल टैक्स दरें अलग-अलग टोल प्लाज़ा पर विभिन्न हैं, क्योंकि प्रत्येक टोल प्लाज़ा राजमार्ग के अलग-अलग हिस्से का रखरखाव करते हैं।राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (निर्धारण दर और संग्रह नियम, 2008) में उल्लिखित नीतियों के अनुसार,सभी टोल प्लाज़ाके लिए टोल दरें हर साल संशोधित की जाती हैं।छूट लिस्टमें उल्लिखित VIP और गणमान्य व्यक्तियों को टोल टैक्स सेछूट दी गई है। शिक्षा सेसशिक्षा सेस एक प्रकार का उपकर है जो टैक्स देने वाले की टैक्सराशि पर लगाया जाता है।देश में शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए शिखा सेस लियाजाता है।व्यक्ति और साथ ही कॉर्पोरेट दोनों की इनकम पर 2% का अतिरिक्त शिक्षा सेस लगाया जाता है।वर्ष 2008 में, तत्कालीन सरकार ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए 1% का अतिरिक्त सेस लगाया था।सरकार ने असेसमेंट वर्ष 2019-20 के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सेस के नाम पर आयकर पर कुल 4% का सेस लगाया है।स्टांप ड्यूटीस्टांप ड्यूटी भारतीय स्टैम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत सरकार द्वारा एकत्र किया जाने वाला एक प्रकार का टैक्सहै।इसका भुगतान समय पर किया जाना चाहिए क्योंकि भुगतान में किसी भी तरहकी देरी दंड का कारण बन सकती है।जिस भीदस्तावेज को कानूनी दस्तावेज के रूप में माना जाता है, उसकेलिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जाता है।स्टांप ड्यूटी के भुगतान में देरी के कारण राशि का 2% से 200% तक जुर्माना लगता सकता है।आमतौर पर, खरीदार को स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, संपत्ति के दस्तावेजों के मामले में, दोनों पक्षों के बीच स्टांप ड्यूटी की राशि विभाजित की जाती है।मनोरंजंन टैक्समनोरंजन की गतिविधियों जैसे कि फिल्में, थिएटर, मनोरंजन पार्क, निजी त्योहार आदि पर लगाए गए टैक्स को मनोरंजन टैक्स कहते हैं।यह राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों के लिए दर अलग-अलगहै।मनोरंजन भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की लिस्ट2 के अंतर्गत आता है जो एक राज्य को इस तरह काटैक्स लगाने का पूर्ण अधिकार देता है।GST आने के बाद इसे हटा दिया गया है और फिल्मों, मनोरंजन पार्कों आदि पर 28% का टैक्सलगाया जाता है, जबकि थिएटर, नाटक, सर्कस और भारतीय शास्त्रीय शो पर 18% टैक्सलगाया जाता है।प्रॉपर्टी टैक्सरियल स्टेट प्रोजेक्ट के साथ भूमि पर लगाए जाने वाले टैक्स को प्रॉपर्टी टैक्स कहते हैं।स्थानीय सरकार घर के वर्तमान मालिक पर टैक्स लगाती है। अलग-अलग राज्यों के लिए ये टैक्स अलग-अलग होता है और स्थानीय स्तर पर नगर निकाय को टैक्स जमा करने का अधिकार दिया जाता है।टैक्स का भुगतान करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से संपत्ति के मालिक पर होती है।टैक्स दर संपत्ति के उपयोग पर भी निर्भर करती है, कि वह संपत्ति कमर्शियल कार्यों के लिए उपयोग की जा रही है या रहने के लिए।प्रोफेशनल टैक्सप्रोफेशनल टैक्स सभी व्यवसायों, कर्मचारियों, फ्रीलांसर, पेशेवरों, आदि पर लगाया जाता है, यदि इनकम एक निर्धारित सीमा से अधिक है।यह राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है।इनकम टैक्स अधिनियम1961 के अनुसार, इसे टैक्सयोग्य आय से काटा जा सकता है।कमर्शियलटैक्स विभाग इस टैक्सको जमा करता है और फिर राशि को स्थानीय नगर निकाय के खाते में जमा कर दिया जाता है।यह कर GSTके लागू होने के बाद भी लागू है लेकिन अधिकतम 2,500 रु. तक ही टैक्स लगा सकते हैं।ब्याज टैक्स ब्याज टैक्स अधिनियम, 1974 के अनुसार किसी निवेश से कमाए गएब्याज पर लगाए गए टैक्सको ब्याज टैक्स के रूप में जाना जाता है।यह अधिनियम सभी अनुसूचित बैंकों के लिए लागू था जबकि सहकारी समितियों को इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया था।31 मार्च, वर्ष 2000 के बाद इस अधिनियम को बंद कर दिया गया था।एक्सपेंडिचर टैक्सएक्सपेंडिचर यानी खर्च, येटैक्स किसी व्यक्ति द्वारा कियेगए खर्चों पर लगाया जाता है, यदि को खर्च टैक्स के दायरे में आता है।इसे टैक्सअधिनियम, 1987 के अनुसार लागू किया गया था।यह जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है।लागू टैक्स कुल खर्चका 10 – 15% है।गिफ्ट टैक्सकिसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहारपर “अन्य स्रोतों से प्राप्त आय” के तहत, गिफ्ट टैक्स लगाया जाता है।गिफ्ट टैक्स का उल्लेख इनकम टैक्सअधिनियम, 1961 की धारा 56 (2) (x) के तहत किया गया है।एक वर्ष में 50,000रु. से कम की राशि वाले उपहारों को टैक्स से छूट दी जाती है।विवाह में प्राप्त उपहार और धन को टैक्स से मुक्त रखा गया है।बिना किसी सेवा दिए 50,000 रू. के अतिरिक्त धन की कुल राशि पर 100% टैक्स लगाया जाता है।एक्साइज ड्यूटीकेंद्रीय एक्साइज ड्यूटी अधिनियम, 1985 के तहत लगाए गए इन-डायरेक्टटैक्स का एक रूप है।यह उन वस्तुओं पर लगता है जो भारत में उपयोग के लिए देश में ही बनती हैं।निर्माता टैक्स का भुगतान तब करता है जब माल बनकट बाज़ार में चला जाता है।GST के लागू होने के बाद, इस टैक्स को हटा दिया गया हैकस्टम ड्यूटीवस्तुओं के एक्सपोर्टऔर इम्पोर्ट पर लगाया जाने वाला टैक्स कस्टम ड्यूटी कहलाता है।यह मुख्य रूप से माल के आने और जाने परनियंत्रित करता है।घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए यह समय-समय पर बदलता रहता हैWTO, FTA, आदि के तहत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर कस्टम ड्यूटी निर्भर करती है।,कॉरपोरेट टैक्सयह घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियों की आय पर लगाया जाने वाला टैक्स है और यह इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 के तहत लगाया जाता है।कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत रजिस्टरकंपनी की”शुद्ध आय” पर कॉर्पोरेट टैक्स लगाया जाता है।केवल भारत में इनकम पर कॉर्पोरेट टैक्स के तहत टैक्स लगाया जाता है।घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30% है और विदेशी कंपनियों का 40%।कंपनियों पर उनकी कमाई और राजस्व के आधार पर सरचार्जभी लगाया जाता हैसिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्समान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से प्रतिभूतियों के मूल्य पर लगाए गए टैक्स को सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स कहा जाता है।यह डायरेक्ट टैक्स केंद्र सरकार द्वारा लगाया और वसूला जाता है।स्टॉक, शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर, डेरिवेटिव, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड आदि जैसे उत्पादों पर ये टैक्स लगाया जाता है।ऑफ-मार्केट ट्रांजैक्शन पर नहीं लगाया जाता है।म्युचुअल फंड या ETF के रिडंप्शन पर लागू STT 0.025% है।MF या ETF की बिक्री पर लगाया गया STT 0.001% है और यह केवल विक्रेता पर लगाया जाता है।

भारत में लागू विभिन्न प्रकार के टैक्स: इनकम टैक्स, GST, TDS, कॉर्पोरेट टैक्स, सर्विस टैक्स By वनिता कासनियां पंजाब  चाहे आप दुनिया में कहीं भी रहते हों, पर आपको स्थानीय सरकार को टैक्स का भुगतान करना होता है । टैक्स कई प्रकार के होते हैं जैसे स्टेट टैक्स (राज्य कर), सेण्टर गवर्नमेंट टैक्स (केंद्र सरकार कर), डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर), इन-डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) इत्यादि। मुख्यता भारत में टैक्स को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं – डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार को टैक्स का भुगतान कैसे किया जा रहा है। निम्नलिखित लेख में हम हम उस टैक्स पर चर्चा करेंगे जिनका भुगतान एक भारतीय नागरिक द्वारा किया जाता है। टैक्स क्या है टैक्स शब्द लैटिन शब्द “टैक्सो” से आया है। एक टैक्स एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है। जमा हुए टैक्स की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से टैक्स...

क्या दान करने से पैसा बढ़ता ही है? By वनिता कासनियां पंजाब ,दान देने से कभी भी "कुछ" घटता नहीं है बल्कि बढ़ता ही है, अब आप मेरी बात पर क्यों विश्वास करेंगे इसलिए पहले मैं आपको एक नहीं दो कहानी/दृष्टांत सुनाऊंगी, जो दृष्टांत मैंने चित्र के रूप में यहां पर प्रस्तुत की है, उसे मैंने अपने मोबाइल कैमरे से खींच कर, यहां प्रस्तुत किया है अतः चित्र सोर्स है मेरा मोबाइल फोन और उसकी गैलरी है"हमारे पास अभी जो भी धन है, उसे हमने पिछले जन्म में किए गए परमाथ कार्यों के पुण्यस्वरूप पाया है, परंतु अब हम पुरुषार्थरूपी पुण्यकार्य नहीं कर रहे हैं, इसलिए पिछले पुण्य समाप्त होते ही हमें भीख माननी पड़ेगी"क्योंकि यह कहानी भीख से समाप्त हुई है अतः एक भिखारी की दूसरी कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूंएक भिखारी ईश्वर से प्रार्थना करते हुए घर से निकला, कि है ईश्वर आज मेरी पूरी झोली भिक्षा से भर दे, तभी उसे सामने से आता हुआ राजा दिखाई पड़ा..ध्यान दें, जो बात में बताने जा रहा हूं वह ब्रह्मांड का रहस्य उस भिखारी को नहीं पता था और हम में से बहुत लोगों को भी यह रहस्य नहीं मालूम ईश्वर ने सृष्टि इसी तरह की बनाई है कि देने वाले को वह और पूरा कर देता है और लेने वाले से धीरे-धीरे सब कुछ लेने लगता है, अगर मेरी बातों पर कम विश्वास हो रहा है तो कृपया बाइबल में भी इस बात की पुष्टि करें ..सामने से जब भिखारी को राजा आते दिखाई पड़ा, भिखारी ने सोचा कि आज राजाजी से मिलने वाले दान-दक्षिणा से उसकी सारी दरिद्रता दूर हो जाएंगी और उसका जीवन संवर जाएगा। लेकिन यह क्या राजा ने भिखारी को कुछ देने के बदले उल्टे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और उससे सेवा/दान करने की कहने लगा। (भिखारी की स्थिति हम लोग के जैसे हो गई,जैसे हम लोगों को जीवन में कुछ समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है ? और क्या किया जाए) भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। अब मजबूरी थी भिखारी क्या करता जैसे-तैसे करके उसने दो दाने जौ के निकाले और राजा की झोली-चादर में डाल दिए। उस दिन ईश्वर की कृपा से भिखारी को अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीख मिली, लेकिन अपनी झोली में से दो दाने जौ के देने का मलाल उसे सारा दिन रहा।(कभी- कभी किसी को कुछ देने के बाद हम मनुष्यों को भी हमेशा मलाल रहता है) शाम को जब भिखारी ने अपनी झोली पलटी तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। जो के दो दाने सोने के हो गए थे। अब उसे समझ में आया कि यह सेवा/ दान की महिमा के कारण ही हुआ। वह पछताया कि - काश! उस समय उसने राजाजी को और अधिक जौ दिए होते लेकिन हाय रे किस्मत, हाय रे नियत, भिखारी दे नहीं सका, क्योंकि उसकी देने की आदत जो नहीं थी।पहले मेरी स्वयं की आदत इस भिखारी जैसी थी,मैं केवल लेना जानती थीं किसी को कुछ देती नहीं थीयहां तक कि ज्योतिष परामर्श भी मुफ्त में चाहती थी/ ज्योतिष शिक्षा भी मुफ्त में चाहता थी लेकिन ईश्वर की कृपा से मुझको इस प्रकार की कुछ सच्ची कहानियों के द्वारा बुद्धि आई और मैंने, जिस जगह जो शुल्क लगता है, देना शुरू किया यानी कि शुल्क देकर परामर्श किया (देने की आदत आई) शुल्क देकर ज्योतिष शास्त्र सीखा और अब मैं हमेशा दान पुण्य करती रहती हूं, हो सकता है उसके प्रभाव से आज मैं सुखी व संपन्न हूंक्योंकि मैं सीधी- सच्ची बात लिखती हूं, जो हो सकता है कुछ लोगों को बहुत अच्छी लगे और कुछ लोगों को इसके विपरीत इसलिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं सच्ची बात कहने के लिएईश्वर के दरबार में हम लोग भी भिखारी हैंअगर हम लोग अपनी आदतों में सुधार करें, तो निश्चित ही कहानी वाले भिखारी की तरह से हमारी झोली भी सोने/ पुरस्कार से भर जाएगी, मगर ध्यान रखिए अगर दो दाना देंगे, तो दो ही दाना प्राप्त होगाकण-कण देना, क्षण- क्षण देना, यह जीवन का अर्थ है।जो जैसे मन से देता है, वह उतना अधिक सामर्थ है ।।आप जो भी दोंगे, वही आपके पास लौटकर आएगा, स्वयं का अनुभव भी यही कहता है कि आप अगर बांटना सीख गए और जो भी शेयर किया उससे आप कभी खाली नही हो सकते।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम: की किताबों और भी बहुत सी जगह हमने पढ़ा भी है कि देने से कोई चीज कभी घटती नहींमूल स्रोत: इस उत्तर का मूल स्रोत मेरे जीवन का अनुभव एवं स्वयं की विचार एवं मेरे द्वारा सीखी गई ज्योतिष विद्या है

क्या दान करने से पैसा बढ़ता ही है? By वनिता कासनियां पंजाब  , दान देने से कभी भी "कुछ" घटता नहीं है बल्कि बढ़ता ही है,  अब आप मेरी बात पर क्यों विश्वास करेंगे  इसलिए पहले मैं आपको  एक नहीं दो कहानी/दृष्टांत  सुनाऊंगी, जो दृष्टांत मैंने चित्र के रूप में यहां पर प्रस्तुत की है, उसे मैंने अपने मोबाइल कैमरे से खींच कर, यहां प्रस्तुत किया है  अतः  चित्र सोर्स  है मेरा मोबाइल फोन और उसकी गैलरी है "हमारे पास अभी जो भी धन है, उसे हमने पिछले जन्म में किए गए परमाथ कार्यों के पुण्यस्वरूप पाया है, परंतु अब हम पुरुषार्थरूपी पुण्यकार्य नहीं कर रहे हैं, इसलिए पिछले पुण्य समाप्त होते ही हमें भीख माननी पड़ेगी" क्योंकि यह कहानी भीख से समाप्त हुई है अतः एक भिखारी की दूसरी कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूं एक भिखारी ईश्वर से प्रार्थना करते हुए घर से निकला, कि  है ईश्वर आज मेरी पूरी झोली भिक्षा से भर दे , तभी उसे सामने से आता हुआ राजा दिखाई पड़ा.. ध्यान दें, जो बात में बताने जा रहा हूं वह ब्रह्मांड का रहस्य उस भिखारी को नहीं पता था और हम में से बहुत...

पीपल के अलावा कौन-कौन से वृक्ष रात को ऑक्सीजन छोड़ते हैं? By वनिता कासनियां ऑक्सीजन हमारे लिए बहुत जरूरी है, स्वच्छ वातावरण के लिए अक्सर लोग घर के आंगन नें पेड़ पौधे लगाते हैं। हम लोग यह जानते हैं कि दिन में इनकेे आसपास रहना अच्छा होते है क्योंकि यह ऑक्सीजन छोड़ते और इंसानों के द्वारा छोडी गई कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करते हैं। जिससे हम आसानी से सांस ले पाते हैं लेकिन रात को यही पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। रात को भी घर के आसपास वातावरण को शुद्ध रखना चाहते हैं तो ऐसे पौधे लगा सकते है जो रात के समय भी ऑक्सीजन छोड़ते हैं।(चलिए हम इन्हें बिस्तर से जान लेते हैं।)ये 8 पौधों जो रात को भी देते हैं ऑक्सीजन:-1. Elovera:-ब्यूटी और सेहत के साथ-साथ एलोवीरा वातावरण को भी शुद्ध रखता है। यह रात के समय ऑक्सीजन छोड़ता है।2. Snake Plant:-यह पौधा गॉर्डन की खूबसूरती को बढाता है। ये हवा को शुद्ध रखने का काम करता है।3. Neem Tree:-यह स्वाद में चाहे कड़वा होता है लेकिन कीडे-मकौडों को दूर करने का भी काम करता है। इससे वातावरण शुद्ध रहता है।4. Tulsi:-तुलसी बहुत अच्छा हर्ब है। सेहत के अलावा वातावरण के लिए भी बैस्ट है।5. Peepal Tree:-सेहत और वातावरण के लिए यह बैस्ट है।6. Orchids:-फूलों से घर के आंगन को सजाना चाहते हैं और साथ ही हवा को भी स्वच्छ बनाए रखने के लिए घर में लगाएं यह पौधा।7. Orange Gerbera:-घर को खुशनुमा बनाने के लिए ऑरेंज गेर्बेरा का पौधा लगाएं।8. Christmas Cactus:-यह पौधा रात के समय ऑक्सीजन छोड़ने का काम करता है।

पीपल के अलावा कौन-कौन से वृक्ष रात को ऑक्सीजन छोड़ते हैं? By वनिता कासनियां से ऑक्सीजन हमारे लिए बहुत जरूरी है, स्वच्छ वातावरण के लिए अक्सर लोग घर के आंगन नें पेड़ पौधे लगाते हैं। हम लोग यह जानते हैं कि दिन में इनकेे आसपास रहना अच्छा होते है क्योंकि यह ऑक्सीजन छोड़ते और इंसानों के द्वारा छोडी गई कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करते हैं। जिससे हम आसानी से सांस ले पाते हैं लेकिन रात को यही पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। रात को भी घर के आसपास वातावरण को शुद्ध रखना चाहते हैं तो ऐसे पौधे लगा सकते है जो रात के समय भी ऑक्सीजन छोड़ते हैं। (चलिए हम इन्हें बिस्तर से जान लेते हैं।) ये 8 पौधों जो रात को भी देते हैं ऑक्सीजन:- 1. Elovera:- ब्यूटी और सेहत के साथ-साथ एलोवीरा वातावरण को भी शुद्ध रखता है। यह रात के समय ऑक्सीजन छोड़ता है। 2. Snake Plant:- यह पौधा गॉर्डन की खूबसूरती को बढाता है। ये हवा को शुद्ध रखने का काम करता है। 3. Neem Tree:- यह स्वाद में चाहे कड़वा होता है लेकिन कीडे-मकौडों को दूर करने का भी काम करता है। इससे वातावरण शुद्ध रहता है। 4. Tulsi:- तुलसी बहुत अच्छा हर्ब...