4464005860401745 क्या दान करने से पैसा बढ़ता ही है? By वनिता कासनियां पंजाब ,दान देने से कभी भी "कुछ" घटता नहीं है बल्कि बढ़ता ही है, अब आप मेरी बात पर क्यों विश्वास करेंगे इसलिए पहले मैं आपको एक नहीं दो कहानी/दृष्टांत सुनाऊंगी, जो दृष्टांत मैंने चित्र के रूप में यहां पर प्रस्तुत की है, उसे मैंने अपने मोबाइल कैमरे से खींच कर, यहां प्रस्तुत किया है अतः चित्र सोर्स है मेरा मोबाइल फोन और उसकी गैलरी है"हमारे पास अभी जो भी धन है, उसे हमने पिछले जन्म में किए गए परमाथ कार्यों के पुण्यस्वरूप पाया है, परंतु अब हम पुरुषार्थरूपी पुण्यकार्य नहीं कर रहे हैं, इसलिए पिछले पुण्य समाप्त होते ही हमें भीख माननी पड़ेगी"क्योंकि यह कहानी भीख से समाप्त हुई है अतः एक भिखारी की दूसरी कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूंएक भिखारी ईश्वर से प्रार्थना करते हुए घर से निकला, कि है ईश्वर आज मेरी पूरी झोली भिक्षा से भर दे, तभी उसे सामने से आता हुआ राजा दिखाई पड़ा..ध्यान दें, जो बात में बताने जा रहा हूं वह ब्रह्मांड का रहस्य उस भिखारी को नहीं पता था और हम में से बहुत लोगों को भी यह रहस्य नहीं मालूम ईश्वर ने सृष्टि इसी तरह की बनाई है कि देने वाले को वह और पूरा कर देता है और लेने वाले से धीरे-धीरे सब कुछ लेने लगता है, अगर मेरी बातों पर कम विश्वास हो रहा है तो कृपया बाइबल में भी इस बात की पुष्टि करें ..सामने से जब भिखारी को राजा आते दिखाई पड़ा, भिखारी ने सोचा कि आज राजाजी से मिलने वाले दान-दक्षिणा से उसकी सारी दरिद्रता दूर हो जाएंगी और उसका जीवन संवर जाएगा। लेकिन यह क्या राजा ने भिखारी को कुछ देने के बदले उल्टे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और उससे सेवा/दान करने की कहने लगा। (भिखारी की स्थिति हम लोग के जैसे हो गई,जैसे हम लोगों को जीवन में कुछ समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है ? और क्या किया जाए) भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। अब मजबूरी थी भिखारी क्या करता जैसे-तैसे करके उसने दो दाने जौ के निकाले और राजा की झोली-चादर में डाल दिए। उस दिन ईश्वर की कृपा से भिखारी को अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीख मिली, लेकिन अपनी झोली में से दो दाने जौ के देने का मलाल उसे सारा दिन रहा।(कभी- कभी किसी को कुछ देने के बाद हम मनुष्यों को भी हमेशा मलाल रहता है) शाम को जब भिखारी ने अपनी झोली पलटी तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। जो के दो दाने सोने के हो गए थे। अब उसे समझ में आया कि यह सेवा/ दान की महिमा के कारण ही हुआ। वह पछताया कि - काश! उस समय उसने राजाजी को और अधिक जौ दिए होते लेकिन हाय रे किस्मत, हाय रे नियत, भिखारी दे नहीं सका, क्योंकि उसकी देने की आदत जो नहीं थी।पहले मेरी स्वयं की आदत इस भिखारी जैसी थी,मैं केवल लेना जानती थीं किसी को कुछ देती नहीं थीयहां तक कि ज्योतिष परामर्श भी मुफ्त में चाहती थी/ ज्योतिष शिक्षा भी मुफ्त में चाहता थी लेकिन ईश्वर की कृपा से मुझको इस प्रकार की कुछ सच्ची कहानियों के द्वारा बुद्धि आई और मैंने, जिस जगह जो शुल्क लगता है, देना शुरू किया यानी कि शुल्क देकर परामर्श किया (देने की आदत आई) शुल्क देकर ज्योतिष शास्त्र सीखा और अब मैं हमेशा दान पुण्य करती रहती हूं, हो सकता है उसके प्रभाव से आज मैं सुखी व संपन्न हूंक्योंकि मैं सीधी- सच्ची बात लिखती हूं, जो हो सकता है कुछ लोगों को बहुत अच्छी लगे और कुछ लोगों को इसके विपरीत इसलिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं सच्ची बात कहने के लिएईश्वर के दरबार में हम लोग भी भिखारी हैंअगर हम लोग अपनी आदतों में सुधार करें, तो निश्चित ही कहानी वाले भिखारी की तरह से हमारी झोली भी सोने/ पुरस्कार से भर जाएगी, मगर ध्यान रखिए अगर दो दाना देंगे, तो दो ही दाना प्राप्त होगाकण-कण देना, क्षण- क्षण देना, यह जीवन का अर्थ है।जो जैसे मन से देता है, वह उतना अधिक सामर्थ है ।।आप जो भी दोंगे, वही आपके पास लौटकर आएगा, स्वयं का अनुभव भी यही कहता है कि आप अगर बांटना सीख गए और जो भी शेयर किया उससे आप कभी खाली नही हो सकते।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम: की किताबों और भी बहुत सी जगह हमने पढ़ा भी है कि देने से कोई चीज कभी घटती नहींमूल स्रोत: इस उत्तर का मूल स्रोत मेरे जीवन का अनुभव एवं स्वयं की विचार एवं मेरे द्वारा सीखी गई ज्योतिष विद्या है सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

He fell asleep because we could sleep peacefully.It was an Indian soldier who got martyred today.Jai HindMilitaryThere are lights in our Diwali because someone is standing on the border in the dark.Jai Hindwhat did a soldier lose

हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया, वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया. जय हिन्द Army  हमारी दिवाली में रोशनी इसलिए हैं क्योंकि सरहद पर अँधेरे में कोई खड़ा हैं. जय हिन्द एक सैनिक ने क्या खूब कहा है. किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं, कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं. नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए. जय हिन्द जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को, भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को, खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है, सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है, जय हिन्द फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं, ऐसे सपूतो को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं. जिसकी वजह से पूरा हिन्दुस्तान चैन से सोता हैं, कड़ी ठंड, गर्मी और बरसात में अपना धैर्य न खोता ह...

क्या दान करने से पैसा बढ़ता ही है? By वनिता कासनियां पंजाब ,दान देने से कभी भी "कुछ" घटता नहीं है बल्कि बढ़ता ही है, अब आप मेरी बात पर क्यों विश्वास करेंगे इसलिए पहले मैं आपको एक नहीं दो कहानी/दृष्टांत सुनाऊंगी, जो दृष्टांत मैंने चित्र के रूप में यहां पर प्रस्तुत की है, उसे मैंने अपने मोबाइल कैमरे से खींच कर, यहां प्रस्तुत किया है अतः चित्र सोर्स है मेरा मोबाइल फोन और उसकी गैलरी है"हमारे पास अभी जो भी धन है, उसे हमने पिछले जन्म में किए गए परमाथ कार्यों के पुण्यस्वरूप पाया है, परंतु अब हम पुरुषार्थरूपी पुण्यकार्य नहीं कर रहे हैं, इसलिए पिछले पुण्य समाप्त होते ही हमें भीख माननी पड़ेगी"क्योंकि यह कहानी भीख से समाप्त हुई है अतः एक भिखारी की दूसरी कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूंएक भिखारी ईश्वर से प्रार्थना करते हुए घर से निकला, कि है ईश्वर आज मेरी पूरी झोली भिक्षा से भर दे, तभी उसे सामने से आता हुआ राजा दिखाई पड़ा..ध्यान दें, जो बात में बताने जा रहा हूं वह ब्रह्मांड का रहस्य उस भिखारी को नहीं पता था और हम में से बहुत लोगों को भी यह रहस्य नहीं मालूम ईश्वर ने सृष्टि इसी तरह की बनाई है कि देने वाले को वह और पूरा कर देता है और लेने वाले से धीरे-धीरे सब कुछ लेने लगता है, अगर मेरी बातों पर कम विश्वास हो रहा है तो कृपया बाइबल में भी इस बात की पुष्टि करें ..सामने से जब भिखारी को राजा आते दिखाई पड़ा, भिखारी ने सोचा कि आज राजाजी से मिलने वाले दान-दक्षिणा से उसकी सारी दरिद्रता दूर हो जाएंगी और उसका जीवन संवर जाएगा। लेकिन यह क्या राजा ने भिखारी को कुछ देने के बदले उल्टे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और उससे सेवा/दान करने की कहने लगा। (भिखारी की स्थिति हम लोग के जैसे हो गई,जैसे हम लोगों को जीवन में कुछ समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है ? और क्या किया जाए) भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। अब मजबूरी थी भिखारी क्या करता जैसे-तैसे करके उसने दो दाने जौ के निकाले और राजा की झोली-चादर में डाल दिए। उस दिन ईश्वर की कृपा से भिखारी को अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीख मिली, लेकिन अपनी झोली में से दो दाने जौ के देने का मलाल उसे सारा दिन रहा।(कभी- कभी किसी को कुछ देने के बाद हम मनुष्यों को भी हमेशा मलाल रहता है) शाम को जब भिखारी ने अपनी झोली पलटी तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। जो के दो दाने सोने के हो गए थे। अब उसे समझ में आया कि यह सेवा/ दान की महिमा के कारण ही हुआ। वह पछताया कि - काश! उस समय उसने राजाजी को और अधिक जौ दिए होते लेकिन हाय रे किस्मत, हाय रे नियत, भिखारी दे नहीं सका, क्योंकि उसकी देने की आदत जो नहीं थी।पहले मेरी स्वयं की आदत इस भिखारी जैसी थी,मैं केवल लेना जानती थीं किसी को कुछ देती नहीं थीयहां तक कि ज्योतिष परामर्श भी मुफ्त में चाहती थी/ ज्योतिष शिक्षा भी मुफ्त में चाहता थी लेकिन ईश्वर की कृपा से मुझको इस प्रकार की कुछ सच्ची कहानियों के द्वारा बुद्धि आई और मैंने, जिस जगह जो शुल्क लगता है, देना शुरू किया यानी कि शुल्क देकर परामर्श किया (देने की आदत आई) शुल्क देकर ज्योतिष शास्त्र सीखा और अब मैं हमेशा दान पुण्य करती रहती हूं, हो सकता है उसके प्रभाव से आज मैं सुखी व संपन्न हूंक्योंकि मैं सीधी- सच्ची बात लिखती हूं, जो हो सकता है कुछ लोगों को बहुत अच्छी लगे और कुछ लोगों को इसके विपरीत इसलिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं सच्ची बात कहने के लिएईश्वर के दरबार में हम लोग भी भिखारी हैंअगर हम लोग अपनी आदतों में सुधार करें, तो निश्चित ही कहानी वाले भिखारी की तरह से हमारी झोली भी सोने/ पुरस्कार से भर जाएगी, मगर ध्यान रखिए अगर दो दाना देंगे, तो दो ही दाना प्राप्त होगाकण-कण देना, क्षण- क्षण देना, यह जीवन का अर्थ है।जो जैसे मन से देता है, वह उतना अधिक सामर्थ है ।।आप जो भी दोंगे, वही आपके पास लौटकर आएगा, स्वयं का अनुभव भी यही कहता है कि आप अगर बांटना सीख गए और जो भी शेयर किया उससे आप कभी खाली नही हो सकते।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम: की किताबों और भी बहुत सी जगह हमने पढ़ा भी है कि देने से कोई चीज कभी घटती नहींमूल स्रोत: इस उत्तर का मूल स्रोत मेरे जीवन का अनुभव एवं स्वयं की विचार एवं मेरे द्वारा सीखी गई ज्योतिष विद्या है


दान देने से कभी भी "कुछ" घटता नहीं है बल्कि बढ़ता ही है, अब आप मेरी बात पर क्यों विश्वास करेंगे इसलिए पहले मैं आपको एक नहीं दो कहानी/दृष्टांत सुनाऊंगी, जो दृष्टांत मैंने चित्र के रूप में यहां पर प्रस्तुत की है, उसे मैंने अपने मोबाइल कैमरे से खींच कर, यहां प्रस्तुत किया है

 अतः चित्र सोर्स है मेरा मोबाइल फोन और उसकी गैलरी है

"हमारे पास अभी जो भी धन है, उसे हमने पिछले जन्म में किए गए परमाथ कार्यों के पुण्यस्वरूप पाया है, परंतु अब हम पुरुषार्थरूपी पुण्यकार्य नहीं कर रहे हैं, इसलिए पिछले पुण्य समाप्त होते ही हमें भीख माननी पड़ेगी"

क्योंकि यह कहानी भीख से समाप्त हुई है अतः एक भिखारी की दूसरी कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूं

एक भिखारी ईश्वर से प्रार्थना करते हुए घर से निकला, कि है ईश्वर आज मेरी पूरी झोली भिक्षा से भर दे, तभी उसे सामने से आता हुआ राजा दिखाई पड़ा..

  1. ध्यान दें, जो बात में बताने जा रहा हूं वह ब्रह्मांड का रहस्य उस भिखारी को नहीं पता था और हम में से बहुत लोगों को भी यह रहस्य नहीं मालूम 
  2. ईश्वर ने सृष्टि इसी तरह की बनाई है कि देने वाले को वह और पूरा कर देता है और लेने वाले से धीरे-धीरे सब कुछ लेने लगता है, अगर मेरी बातों पर कम विश्वास हो रहा है तो कृपया बाइबल में भी इस बात की पुष्टि करें 

..सामने से जब भिखारी को राजा आते दिखाई पड़ा, भिखारी ने सोचा कि आज राजाजी से मिलने वाले दान-दक्षिणा से उसकी सारी दरिद्रता दूर हो जाएंगी और उसका जीवन संवर जाएगा। लेकिन यह क्या राजा ने भिखारी को कुछ देने के बदले उल्टे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और उससे सेवा/दान करने की कहने लगा। (भिखारी की स्थिति हम लोग के जैसे हो गई,जैसे हम लोगों को जीवन में कुछ समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है ? और क्या किया जाए) भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। अब मजबूरी थी भिखारी क्या करता जैसे-तैसे करके उसने दो दाने जौ के निकाले और राजा की झोली-चादर में डाल दिए। उस दिन ईश्वर की कृपा से भिखारी को अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीख मिली, लेकिन अपनी झोली में से दो दाने जौ के देने का मलाल उसे सारा दिन रहा।(कभी- कभी किसी को कुछ देने के बाद हम मनुष्यों को भी हमेशा मलाल रहता है) शाम को जब भिखारी ने अपनी झोली पलटी तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। जो के दो दाने सोने के हो गए थे। अब उसे समझ में आया कि यह सेवा/ दान की महिमा के कारण ही हुआ। वह पछताया कि - काश! उस समय उसने राजाजी को और अधिक जौ दिए होते लेकिन हाय रे किस्मत, हाय रे नियत, भिखारी दे नहीं सका, क्योंकि उसकी देने की आदत जो नहीं थी।

  • पहले मेरी स्वयं की आदत इस भिखारी जैसी थी,
    • मैं केवल लेना जानती थीं किसी को कुछ देती नहीं थी
      • यहां तक कि ज्योतिष परामर्श भी मुफ्त में चाहती थी/ ज्योतिष शिक्षा भी मुफ्त में चाहता थी लेकिन ईश्वर की कृपा से मुझको इस प्रकार की कुछ सच्ची कहानियों के द्वारा बुद्धि आई और मैंने, जिस जगह जो शुल्क लगता है, देना शुरू किया यानी कि शुल्क देकर परामर्श किया (देने की आदत आई) शुल्क देकर ज्योतिष शास्त्र सीखा और अब मैं हमेशा दान पुण्य करती रहती हूं, हो सकता है उसके प्रभाव से आज मैं सुखी व संपन्न हूं
  • क्योंकि मैं सीधी- सच्ची बात लिखती हूं, जो हो सकता है कुछ लोगों को बहुत अच्छी लगे और कुछ लोगों को इसके विपरीत इसलिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं सच्ची बात कहने के लिए
  • ईश्वर के दरबार में हम लोग भी भिखारी हैं
    • अगर हम लोग अपनी आदतों में सुधार करें, तो निश्चित ही कहानी वाले भिखारी की तरह से हमारी झोली भी सोने/ पुरस्कार से भर जाएगी, मगर ध्यान रखिए अगर दो दाना देंगे, तो दो ही दाना प्राप्त होगा

कण-कण देना, क्षण- क्षण देना, यह जीवन का अर्थ है।

जो जैसे मन से देता है, वह उतना अधिक सामर्थ है ।।

आप जो भी दोंगे, वही आपके पास लौटकर आएगा, स्वयं का अनुभव भी यही कहता है कि आप अगर बांटना सीख गए और जो भी शेयर किया उससे आप कभी खाली नही हो सकते।

"बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम: की किताबों और भी बहुत सी जगह हमने पढ़ा भी है कि देने से कोई चीज कभी घटती नहीं

मूल स्रोत: इस उत्तर का मूल स्रोत मेरे जीवन का अनुभव एवं स्वयं की विचार एवं मेरे द्वारा सीखी गई ज्योतिष विद्या है

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बलुवाना न्यूज 6 कोरोना वायरस का प्रसार:बीते 24 घंटे में देश में 19,100 नया केस, महाराष्ट्र-केरल के ब

बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रही है। इससे पॉल्युशन रोकने में भी मदद मिलेगी। बायोमीथेन फ्यूज का यूज एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गाय के गोबर से जो बायोमीथेन ईंधन तैयार होता है, उससे 270 BHP का ट्रैक्टर आसानी से चलाया जा सकता है। ब्रिटेन के साइंटिस्ट ने इस ट्रैक्टर को बनाने का काम किया है। यह उसी तरह काम करेगा, जिस तरह से CNG की गाड़ियां काम करती हैं। किस तरह काम करेगा यह ट्रैक्टर इस ट्रैक्टर को चलाने के लिए गायों के गोबर को इकट्ठा कर उसे बायोमीथेन (Positive Methane) में बदला गया। इसके लिए ट्रैक्टर में एक क्रॉयोजेनिक टैंक भी वैज्ञानिकों ने लगाया है। जिसमें गोबर से तैयार बायोमीथेन फ्यूल का यूज किया जाता है। क्रॉयोजेनिक टैंक (cryogenic tank) 162 डिग्री के टेंपरेचर में बायोमीथेन को लिक्विफाइड करने का काम करता है। खेती-किसानी होगा आसान इस ट्रैक्टर का टेस्ट कॉर्नवॉल (Cornwall) के एक खेत में किया गया है। इसका फायदा ये हुआ कि सिर्फ एक साल में ही कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 2,500 टन से घटकर 500 टन हो गया। इस ट्रैक्टर के आने से खेती-किसानी आसान होगी और डीजल पर आने वाला खर्च कम होगा।

   बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।   आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रह...

*💐💐💐 ज्ञान की पोटली 💐💐💐* *सदैव प्रथम स्थान पर रहें_* *मुस्कराने में...*, *प्रशंसा करने में....*, *सहयोग करने में...* *क्षमा करने में..."* *और,**अपनी गलती मान लेने में ॥* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*तकलीफ़ तो खुद ही* *कम हो गयी**जब लोगों कि उम्मीद* *हमसे कम हो गयी*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹वनिता कासनियां पंजाब *आपके प्रयत्न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिये न हों, बल्कि परिवार में विवेक जागृत करने के लिये भी हो।* *जिंदगी में खुशियाँ आपके पास पैसा कितना है इस बात पर कम व आपके पास धैर्य कितना है, इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है।* *आप में परिवार के अन्दर की समस्याओं और बाहरी द्वेष से विवेकपूर्ण ढंग से निपटने की तथा गलत को गलत कहने की क्षमता कितनी हे।**!!!....एक शांत मन* *चुनौतियों के खिलाफ* *सबसे बड़ा* *हथियार होता है...!!!**💐💐💐💐शुभ प्रभात 💐💐💐**🌷🌷आपका दिन मंगलमय हो 🌷🌷*

*💐💐💐 ज्ञान की पोटली 💐💐💐*  *सदैव प्रथम स्थान पर रहें_*        *मुस्कराने में...*,  *प्रशंसा करने में....*,        *सहयोग करने में...*  *क्षमा करने में..."*              *और,* *अपनी गलती मान लेने में ॥*    🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *तकलीफ़ तो खुद ही*  *कम हो गयी* *जब लोगों कि उम्मीद*  *हमसे कम हो गयी* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 वनिता कासनियां पंजाब               *आपके प्रयत्न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिये न हों, बल्कि परिवार में विवेक जागृत करने के लिये भी हो।*               *जिंदगी में खुशियाँ आपके पास पैसा कितना है इस बात पर कम व आपके पास धैर्य कितना है, इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है।*           *आप में परिवार के अन्दर की समस्याओं और बाहरी द्वेष से विवेकपूर्ण ढंग से निपटने की तथा गलत को गलत कहने की क्षमता कितनी हे।* *!!!....एक शांत मन*  *चुनौतियों के खिलाफ*...

,,आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है।सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभपारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है।अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढऩा चाहते हों, योग और ध्यान में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की पूजा एवं उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।यदि आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो, लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी समस्त कष्ट दूर हो जायेगे।संकटों से मुक्ति के लिए किसी भी माह में प्रदोष के दिन पारद के शिवलिंग की षोडशोपचार पूजा करके शिव महिमा मन्त्र से अभिषेक करें। फिर हर दिन पूजन करते रहें, कुछ ही समय में आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है। कर्ज मुक्ति होती है।अगर आपके घर या व्यापार स्थल पर अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो। तो पारद के शिवलिंग की पूजा करे।आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढऩा शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी। मेरे घर मे जो जल पारद के शिवलिंग पर चढ़ता है, वही गमले मे डाल दिया जाता है।पारद शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करने से समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।पारद के शिवलिंग के दर्शन मात्र से आपकी सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और धन-यश की इच्छा पूर्ण होती है।जो भी भक्त पारद शिवलिंग की पूजा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं महाकाल और महाकाली करते हैं।इस शिवलिंग के स्पर्श मात्र से दैवीय शक्तियां व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।आत्मविश्वास की कमी है तो करे पारद के शिवलिंग की पूजा। जो लोग अपनी बात सार्वजनिक रूप से खुलकर नही रख पाते है।लोग आपको दब्बू की संज्ञा देते हैं तो आपको नियमित रूप से पारद शिवलिंग की पूजा करना चाहिए। इससे मस्तिष्क को उर्वरता प्राप्त होती है। वाक सिद्धि प्राप्त होती है। हजारों लोगों को अपनी वाणी से सम्मोहित करने की क्षमता आ जाती है।पारद शिवलिंग की पूजा करने से धन से संबंधित, परिवार से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित और आपके जीवन से जुड़ी हुई हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या का अंत होता है।यह शिवलिंग घर की बुरी शक्तियों को दूर करती है |किसी भी तरह का जादू टोना घर के सदस्यों पर होने से रोकता है |परिवार के सदस्यों को असीम शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है |यह घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करता हैअगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है | ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है |ऐसे करे पारद के शिवलिंग की पूजासर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:चौथी बार ॐशिवाय नम:हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।मीठे का भोग लगा दे।भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।मेरे घर के पारद के शिवलिंगमेरे घर के पूजा घर के दो जगहों पर दो पारद के शिवलिंग थे । एक पूजा घर से चोरी हो गया या ग़ायब हो गया नही पता चला।उस शिवलिंग का पता नही चला उसकी मैं पूजा और ध्यान किया करता था। मुझे काफी लाभ मिला था । उस शिवलिंग पर मुझे बहुत श्रद्धा थी। चोरी हो गया अफसोस है , शायद मुझसे ज्यादा उसको जरूरत होगी ।ये पारद शिवलिंग है मेरे घर के पूजा घर मे है ।पारद का शिवलिंग बहुत कम देखने को मिलता है , पारद का शिवलिंग बनाने की एक विधि होती है । मेरे गुरुजी के शिष्य ने ये विद्या गुरुजी से सीखी थी , उन्होंने बना कर दो हम लोगो को दिया था , एक छोटा था , एक बड़ा था । उस शिष्य ने जब इस विद्या का धंधा शुरू कर दिया तो गुरुजी ने उसे आश्रम से निकाल दिया तब से आज तक उससे मुलाकात नही हो पाई।पारद के शिवलिंग का महत्वप्राचीन ग्रंथों में पारद को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है। इसका वर्णन चरक संहिता आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थों में भी मिलता है। शिवपुराण में पारद को शिव का वीर्य कहा गया है। वीर्य बीज है, जो संपूर्ण जीवों की उत्पत्ति का कारक है। इसी के माध्यम से भौतिक सृष्टि का विस्तार होता है। पारे को प्राकृतिक रूप से प्रबल ऊर्जा प्रदान करने वाला रासायनिक तत्व कहा गया है। पारे से बने शिवलिंग को समस्त प्रकार की वस्तुओं से बने शिवलिंगों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और इसकी पूजा सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाली कही गई है। ग्रंथों में शिव लिंग को ब्रम्हांड का प्रतीक माना गया है। जानकारों के अनुसार रुद्र संहिता में शिव लिंगों के भी प्रकार बताए गए हैं, जो सृष्टि में व्याप्त अलग-अलग ब्रम्हांडों के प्रतीक माने जाते हैं। वैदिक ग्रंथों में पारे को संसार के समस्त राग, द्वेष, विकार का विनाशक माना गया है। जो लोग अध्यात्म की राह पर चलना चाहते हैं, उनके लिए पारद शिवलिंग की पूजा अवश्य करना चाहिए। समस्त प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए भी पारद शिवलिंग की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि पारे के शिव लिंग को यदि निश्चित आकार में घर पर रखा जाए तो सारे वास्तुदोष्ज्ञ स्वत: समाप्त हो जाते हैं। इस शिवलिंग को पूरे शिव परिवार के साथ रखा जाना चाहिए। पूजन विधि में, समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति में पारद से बने शिवलिंग एवं अन्य आकृतियों का विशेष महत्व होता है।सरल नही है पारद का शिवलिंग बनानापारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्य धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम।इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, सोना, चाँदी,ताबा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए। इन सब को मिलाकर ठोस रूप दिया जाता है।पारद का शोधन अत्यंत कठिन कार्य होता है। इसको शोधित करने जैसी कठिन एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, तब जाकर पारा ठोस आकार ग्रहण करता है पारद शिवलिंग बनाने की एक विद्या होती है जिसको सीखना पड़ता है । इसे ठोस बनाने के लिए वैदिक क्रियाओं सहित चौसठ दिव्य औषधियों का मिश्रण करना पड़ता है। निर्माण के बाद उसे मांत्रिक क्रियाओं के जरिए रससिद्ध एवं चैतन्य किया जाता है, तब जाकर पारद शिवलिंग पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है तो उसकी पूजा होती है। असली पारद शिवलिंग का निर्माण एक विशेष समय अवधि में ही होता है | इस विशेष समय को विजयकाल के नाम से जाना जाता है | बाजार में दिखावे के भी पारद शिवलिंग भी मिलते है जो ठग विद्या के लिए बने है | इन्हे खरीदने से पहले इनकी अच्छे से जांच कर लेनी चाहिएवनिता कासनियां पंजाबकहाँ होता है निर्माणभोपाल से 142 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे बने बापौली-मांगरोल आश्रम में इन दिनों पारद शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। 8 महीने में 64 जड़ी-बूटियों के साथ सोना-चांदी-ताबा मिलाकर इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनकी कीमत 11000 रुपए से शुरू होकर 1 करोड़ तक होती है। यहाँ साल भर में 30 से 35 पारद शिवलिंग बनते है। रायसेन जिले के बरेली तहसील में नर्मदा किनारे मांगरौल आश्रम बना है। यहां बरसों से पारद शिवलिंग बनाया जाता है। देश के कई हिस्सों से लोग साल भर यहां शिवलिंग बनवाने आते हैं। ये काम पूरे साल चलता रहता है। सावन सोमवार और महाशिवरात्रि आने पर इनकी मांग बढ़ जाती है। पारद शिवलिंग को बनाना बेहद मुश्किल काम है। बिना किसी मशीनी मदद से पारे को साफ करने के लिए 8 संस्कार किए जाते हैं। अष्ट संस्कार में 6 महीने लग जाते हैं। 2 महीने 15 दिन से लगते हैं बाकी क्रियाओं में और इसके बाद पारद शिवलिंग बन कर तैयार होता है बाद सभी 64 औषधियां मिलाकर पारद को ठोस बनाया जाता है। कपारद का प्रभाव बढ़ाने के लिए सोना-चांदी भी मिलाया जाता है।स्रोत इमेज गूगल/ मेरा फोनस्रोत लिंकसमस्त सुखों की प्राप्ति के लिए कीजिए पारद शिवलिंग की पूजापारद शिवलिंग का महत्व महिमा और इसे पूजने से होने वाले लाभघर में रखें पारद शिवलिंग, जानें इनकी पूजा के कितने हैं फायदेपारद शिवलिंगपारद शिवलिंग

,, आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभ पारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है । पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज क...