4464005860401745 भारत में लागू विभिन्न प्रकार के टैक्स: इनकम टैक्स, GST, TDS, कॉर्पोरेट टैक्स, सर्विस टैक्स By वनिता कासनियां पंजाब चाहे आप दुनिया में कहीं भी रहते हों, पर आपको स्थानीय सरकार को टैक्स का भुगतान करना होता है । टैक्स कई प्रकार के होते हैं जैसे स्टेट टैक्स (राज्य कर), सेण्टर गवर्नमेंट टैक्स (केंद्र सरकार कर), डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर), इन-डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) इत्यादि। मुख्यता भारत में टैक्स को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं – डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार को टैक्स का भुगतान कैसे किया जा रहा है। निम्नलिखित लेख में हम हम उस टैक्स पर चर्चा करेंगे जिनका भुगतान एक भारतीय नागरिक द्वारा किया जाता है।टैक्स क्या हैटैक्स शब्द लैटिन शब्द “टैक्सो” से आया है। एक टैक्स एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है। जमा हुए टैक्स की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से टैक्स भुगतान ना करने पर जुर्माना या सज़ा मिलने सकती है।टैक्स के प्रकारव्यक्ति/ संगठन को विभिन्न तरीकों से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। टैक्स अधिकारियों द्वारा टैक्स भुगतान के तरीके के आधार पर, टैक्स को डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स में बाटा जाता है। दोनों टैक्स की जानकारी निम्नलिखित है।डायरेक्ट टैक्सजैसा किनाम से ही पता चलता है ये टैक्स करदाता (टैक्स देने वाला) द्वारा सीधे सरकार को दिया जाता है।भारत में इस प्रकार के टैक्स के सबसे अच्छे उदाहरण इनकम टैक्स और वैल्थ टैक्स हैं।सरकार की नज़र में, डायरेक्ट टैक्ससे कुल टैक्स इनकम का अनुमान लगाना आसान होता है क्योंकि यह करदाताओं की इनकम से सीधा संबंध रखता है।इन-डायरेक्ट टैक्सइन-डायरेक्टटैक्स को अलग तरीके से जमा किया जाता है और ये टैक्स सामान और सेवाओं के उपयोगपर आधारित होते हैं।जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इन-डायरेक्टटैक्स का भुगतान सामान/ सेवाओं के उपभोक्ता सीधे सरकार को नहीं करते हैं।सरकार सामान/ सेवा के विक्रेता(बेचने वाला) से इन-डायरेक्टटैक्स प्राप्त करती है।विक्रेता, बदले में, सामान/ सेवा के खरीदार से टैक्स लेता है।इन-डायरेक्टटैक्स के सामान्य उदाहरणों में सेल्स टैक्स, GST, VAT, आदि शामिल हैं।टैक्स भरने के लाभमूलत: टैक्स वह राशि है जिस पर सरकार चलती है और अपने नागरिक को सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करती है। टैक्स का भुगतान करने के लाभ निम्नलिखित हैं।आपका टैक्स भुगतान सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहेंगी।आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं।इस टैक्स की राशि से सरकार अपने नागरिक के लिए बेहतर सुविधाओं और उपयोगिताओं को निधि दे सकती है जो बदले में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करती है।सरकार को बहुत सारे कार्य करने होते हैं और जिसके लिए धन की आवश्यकता होती है। आपके धन का उपयोग सेनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, नागरिकों की सुरक्षा, प्रशासनिक सेवाओं आदि के लिए भी किया जाता है।टैक्स प्रणाली में बदलावसरकार ने 2017 में GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) पेश किया जो स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे अहम टैक्स सुधार है। इससे पहले, सरकारों ने विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने या विभिन्न वस्तुओं को खरीदने के लिए कई तरह के अलग-अलग टैक्स लगा रखे थे। टैक्स की प्रक्रिया कठिन थी और कुछ पेचीदा नियमों की वजह से कुछ लोग टैक्स से बच जाते थे। GST लागू होने के बाद से टैक्स चोरी करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।टैक्स चोरी कानून व जुर्मानाभारत सरकार ने टैक्स से संबंधित विभिन्न अधिनियम बनाए हैं और प्रत्येक नागरिक उन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है। टैक्स संबंधित विभिन्न अधिनियम का पालन ना करने पर लगाए गए कुछ दंड निम्नलिखित हैं:धारा 140A (1) के अनुसार, यदि एक असेसी (टैक्स देने वाले) आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से मूल राशि या ब्याज पर टैक्स का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे डिफॉल्टर माना जाएगा।धारा 221 (1) के अनुसार,टैक्स अधिकारी बकाया राशि के बराबर जुर्माना लगा सकता है।धारा 271 (C) के तहत,यदि कोई असेसी इनकम को छुपाता है तो उसपर 100% से 300% का जुर्माना लगाया जा सकता है।यदि कोई डिफॉल्टर धारा 142 (1) या 143 (2) के तहत,नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो टैक्स अधिकारी उसेको रिटर्न दाखिल करने या लिखित रूप में संपत्ति और लाइबिलिटी के सभी विवरण प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।इनकम टैक्सयह सबसे साधारण टैक्स है जो एक नागरिक सरकार को व्यक्तिगत रूप से चुकाता है। यह बहुत ही सरल है – आपकी इनकम का एक हिस्सा हर साल सरकार को टैक्स के रूप में देना होता है और इस धन का उपयोग सरकार द्वारा देश भर में विकास कार्यों के लिए किया जाता है। वर्ष 2015-16 में, सरकार द्वारा जमा कुल इनकम टैक्स 2.86 लाख करोड़ रुपए से अधिक था।इनकम टैक्स असेसीकोई भी व्यक्ति जो इनकम होने के कारण से टैक्स जमा करने के लिए उत्तरदायी है, एक इनकम टैक्स असेसी है। हालांकि, कुछ व्यक्ति जो इनकम होने के बावजूद भी टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं होते हैं जैसे किसान आदि। इसके अतिरिक्त, एक असेसी कुछ स्थितियों में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए बाध्य हो सकता है।इनकम टैक्स स्लैबसभी व्यक्तियों पर समान टैक्स लागू नहीं होता है, नियम के अनुसार आपकी आय जितनी अधिक है, आपको उतनी अधिक राशि का भुगतान करना होगा। यह सुनिश्चित करता है कि टैक्स की दरें और नियम एक समान होने के बजाय निष्पक्ष हों, सरकार आयकर स्लैब के उपयोग से टैक्स दर को निर्धारित करती है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। 60 वर्ष से कम आयु के भारतीय निवासियों के लिए वर्ष 2018-19 से टैक्स स्लैब दर निम्नलिखित है।वर्ष 2021-22 में नई टैक्स रेजिम में लागू टैक्स दरें: कुल आय लागू दर ₹ 2.5 लाख से कम टैक्स माफ़ ₹ 2.5 लाख से ₹ 5 लाख 5% ₹ 5 लाख से ₹ 7.5 लाख 10% ₹ 7.5 लाख से ₹ 10 लाख 15% ₹ 10 लाख से ₹ 12.5 लाख 20%₹ 12.5 लाख से ₹ 15 लाख 25% ₹ 15 लाख से अधिक 30%इनकम टैक्स पर छूटअगर आप पुरानी नई टैक्स रेजिम में टैक्स फाइल कर रहे हैं तो आपको आयकर धारा 80CCD (2) के तहत टियर 1 NPS में किये गए निवेश पर टैक्स में छूट मिल सकती है, अधिकतम छूट आपकी बैसिक सैलरी और DRA के 10% तक ही होगी। वहीं पुरानी टैक्स रेजिम में आप ELSS , म्यूचुअल फंड, PPF, EPF, FD, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और आदि में निवेश करने पर टैक्स में छूट का क्लेम कर सकते हैं। इनके बारे में इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80C और 80D में बताया गया है।TDS TDS को टैक्स के सबसे आम तरीकों में से एक माना जाता है, इसमें एक नौकरीपेशा व्यक्ति का टैक्स उसके वेतन में से काटकर नियोक्ता/ कम्पनी द्वारा सरकार को भुगतान किया जाता है। व्यक्ति द्वारा किये गए निवेश के बाद उस पर जितना टैक्स लागू होता है उसे नियोक्ता/ कंपनी द्वारा हर महीने वेतन से काटा जाता है। यदि टैक्स कटने के बाद, कोई व्यक्ति टैक्स माफ़ी के लिए निवेश दस्तावेज देता है और नियमों के मुताबिक, टैक्स छूट के लिए योग्य होता है तो उसके वेतन से काटा गया टैक्स वापस यानी रिफंड कर दिया जाता है। वेतन के अलावा, FD पर व RD के ब्याज से हुई आय पर भी TDS काटा जाता है। इस मामले में भी, इनकम रिटर्न (ITR) दाखिल करने के बाद व्यक्ति को रिफंड मिल सकता है।इनकम टैक्स रिफंडयदि टैक्स देने वाले किसी वयक्ति के नियोक्ता/ कम्पनी ने गलती से टैक्स प्रक्रिया में ज़्यादा TDS या ज़्यादा एडवांस टैक्स काट लिया है तो वह आयकर विभाग से आयकर रिफंड ले सकता है। हालाँकि, इस रिफंड का दावा केवल उस मामले में किया जा सकता है जब व्यक्ति ने ITR दाखिल किया हो।इनकम टैक्स रिटर्नप्रत्येक फाइनेंशियल वर्ष की समाप्ति के बाद, व्यक्तियों को चाहे वे नौकरीपेशा हों या स्व-नियोजित (अपना व्यवसाय करने वाला) हों, उन्हें अपना आयकर रिटर्न या ITR जमा करना आवश्यक है। यह दस्तावेज़ विभिन्न स्रोतों से हुई करदाता की वार्षिक इनकम, निवेश/ खर्च, कुल टैक्स भुगतान, TDS/ एडवांस टैक्स का भुगतान और अन्य डाटा इस पर निर्भर करता है कि ITR दाखिल करने वाले व्यक्ति नौकरीपेशा है या अपना व्यवसाय करता है। ITR जमा करने के बाद, आयकर विभाग एक एकनॉलेजमेंट नंबर जारी करता है और टैक्स अधिकारी रिफंड जारी करने से पहले ITR वैरीफाई करता है या व्यक्ति से कोई स्पष्टीकरण मांगता है।इनकम टैक्स नोटिससरकार द्वारा भेजे गए किसी भी प्रकार के नोटिस की तरह ही इनकम टैक्स नोटिस को भी एक बुरा संकेत माना जाता है। जबकि यह आपके ITR से संबंधित किसी जानकारी की वैरीफिकेशन के लिए भी हो सकता है। पहले इस तरह के नोटिस डाक प्रणाली का उपयोग करके भेजे जाते थे, लेकिन काफी वर्षों से, यह बदल गया है और ई-फाइलिंग के साथ, इनकम टैक्स विभाग ईमेल भेजता है जिसमें आपको अपने ई-फाइलिंग खाते पर लॉग-इन कर नोटिस देखने के लिए खा जाता है। इस तरह के नोटिस को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और निर्धारित तरीके से जवाब दिया जाना चाहिए। यदि विभाग को कई नोटिस भेजने के बाद आपसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो वे आपकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर आपके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर सकते हैं या आप पर जुर्माना लगा सकते हैं।GST (वस्तु एवं सेवा कर)भारत की आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधार को ध्यान में रखते हुए, GST जुलाई 2017, से लागू हुआ है। यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स के एवज़ में बनाया गया है जो उत्पादों और सेवाओं पर लगते थे। GST, उन सभी इन-डायरेक्ट के बदले लागू होगा जिन्हें राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लगाए जाता था। वर्तमान में वस्तुओं और सेवाओं पर 0%, 5%, 12%, 18% या 28% की दरों के अनुसार, GST लगाया जाता है, जबकि कुछ अन्य वस्तुओं/ सेवाओं को इस से छूट दी गई है।VAT (वैल्यू एडेड टैक्स)यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स में से एक था जो भारत में GST से पहले लगाए जाते थे। पूरी दुनिया में बहुत आम है। जब भी बिक्री के लिए अंतिम वस्तु तैयार करने के लिए कच्चे माल का उपयोग होता है तब वैट लागू किया जाता है। यदि एक निश्चित वस्तु अपने अंतिम रूप में आने से पहले अर्ध-तैयार या कच्चे माल के रूप में कई बार खरीदी और बेची जाए, तो वैट प्रत्येक खरीद पर लागू होगा, बशर्ते हर बार वस्तु की कीमत बढ़ी हो।सेल्स टैक्सयह वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री पर लगाया गया एक इन-डायरेक्ट टैक्स है, जो GST लागू होने से पहले लागू था। वैट के विपरीत, सेल्स टैक्स को एक विशेष टैक्स माना जाता है, क्योंकि ये हर बार वस्तु या सेवा की बिक्री पर लागू होता है। भले ही बिक्री के समय वस्तु का मूल्य ना बढ़ा हो।सर्विस टैक्सभारत में वित्त अधिनियम, 1994 के भाग के रूप में, सर्विस टैक्स को सेवा देने वालों द्वारा सरकार को दिया जाने वाले इन-डायरेक्ट टैक्स के रूप में परिभाषित किया गया था। सेवा देने वाले बाद में अपने ग्राहकों से यह टैक्स वसूलते हैं। सामान्य उदाहरण जो ग्राहकों से सर्विस टैक्स वसूलते हैं, उनमें होटल, रेस्टोरेंट, मोबाइल कनेक्शन प्रदाता आदि शामिल हैं।एंट्री टैक्सएंट्री टैक्स एक राज्य द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आवाजाही पर लगाया जाने वाला टैक्स है।यह टैक्स डीलरों, कंपनियों, क्लबों, फर्मों, सोसायटी, औद्योगिक या वाणिज्यिक उपक्रम आदि पर लागू होता है।वर्तमान व्यवस्था के अनुसार,GST आने के बाद एंट्री टैक्स को समाप्त कर दिया गया है।इंफास्ट्रक्चर सेसग्यारहवीं अनुसूची में,विशिष्ट वस्तुओं पर केंद्र सरकार द्वारा इंफास्ट्रक्चर सेस लगाया जाता है।छोटी पेट्रोल, LPG, CNG कार जैसे वाहन पर 1% व छोटी डीज़ल कारों पर 5% और उच्च इंजन क्षमता वाले वाहन पर 4% सेस लगता है।इस सेस को मार्च 2016 में,देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की वित्त व्यवस्था के लिए पेश किया गया था।इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है।कृषि कल्याण सेसकृषि कल्याण सेस (KKC) को वित्त अधिनियम, 2015 के अध्याय 6 के प्रावधानों के अनुसार,2016 में पेश किया गया था।सेस 5% की दर से सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर लागू होता है।इस के माध्यम से जमा राशि का उपयोग पूरी तरह से किसानों की स्थिति में सुधार और बुनियादी ढांचे और कृषि से संबंधित अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा।अब कृषि कल्याण सेस को GSTमें शामिल कर लिया गया है।स्वच्छ भारत सेस स्वच्छ भारत सेस सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर 5% की दर से लगाया जाता है।इस से जमा हुई राशि काउद्देश्य स्वच्छ भारत पहल से संबंधित गतिविधियों को फंड करनाऔर देश में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है और अलग से नहीं लगाया जाता है।रोड टैक्ससार्वजनिक सड़कों पर उपयोग के लिए सभी पहिया वाहनों पर रोड टैक्स लगाया जाता है।यह राज्य सरकार द्वारा वाहन की खरीद पर लगाया जाता है।निजी वाहन के लिए टैक्स एक बार होता है जबकि कमर्शियलवाहनों को रोड टैक्स का सालाना भुगतान करना होता है।टैक्स की गणना इंजन की क्षमता, लागत मूल्य, वज़न, बैठने की क्षमता आदि पर निर्धारित है।सरकार 1% से 15% तक की इंजन क्षमता के आधार पर 28% GST और एक अतिरिक्त सेस लेती है।हालांकि, इलेक्ट्रिक कारों पर 12%रोडटैक्स लिया जाता है।टोल टैक्सटोल टैक्स राजमार्ग के एक विशेष हिस्से पर यात्रा करने के लिए अधिकारियों द्वारा लगाया गया टैक्स है।हालांकि, टोल टैक्स दरें अलग-अलग टोल प्लाज़ा पर विभिन्न हैं, क्योंकि प्रत्येक टोल प्लाज़ा राजमार्ग के अलग-अलग हिस्से का रखरखाव करते हैं।राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (निर्धारण दर और संग्रह नियम, 2008) में उल्लिखित नीतियों के अनुसार,सभी टोल प्लाज़ाके लिए टोल दरें हर साल संशोधित की जाती हैं।छूट लिस्टमें उल्लिखित VIP और गणमान्य व्यक्तियों को टोल टैक्स सेछूट दी गई है। शिक्षा सेसशिक्षा सेस एक प्रकार का उपकर है जो टैक्स देने वाले की टैक्सराशि पर लगाया जाता है।देश में शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए शिखा सेस लियाजाता है।व्यक्ति और साथ ही कॉर्पोरेट दोनों की इनकम पर 2% का अतिरिक्त शिक्षा सेस लगाया जाता है।वर्ष 2008 में, तत्कालीन सरकार ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए 1% का अतिरिक्त सेस लगाया था।सरकार ने असेसमेंट वर्ष 2019-20 के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सेस के नाम पर आयकर पर कुल 4% का सेस लगाया है।स्टांप ड्यूटीस्टांप ड्यूटी भारतीय स्टैम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत सरकार द्वारा एकत्र किया जाने वाला एक प्रकार का टैक्सहै।इसका भुगतान समय पर किया जाना चाहिए क्योंकि भुगतान में किसी भी तरहकी देरी दंड का कारण बन सकती है।जिस भीदस्तावेज को कानूनी दस्तावेज के रूप में माना जाता है, उसकेलिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जाता है।स्टांप ड्यूटी के भुगतान में देरी के कारण राशि का 2% से 200% तक जुर्माना लगता सकता है।आमतौर पर, खरीदार को स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, संपत्ति के दस्तावेजों के मामले में, दोनों पक्षों के बीच स्टांप ड्यूटी की राशि विभाजित की जाती है।मनोरंजंन टैक्समनोरंजन की गतिविधियों जैसे कि फिल्में, थिएटर, मनोरंजन पार्क, निजी त्योहार आदि पर लगाए गए टैक्स को मनोरंजन टैक्स कहते हैं।यह राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों के लिए दर अलग-अलगहै।मनोरंजन भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की लिस्ट2 के अंतर्गत आता है जो एक राज्य को इस तरह काटैक्स लगाने का पूर्ण अधिकार देता है।GST आने के बाद इसे हटा दिया गया है और फिल्मों, मनोरंजन पार्कों आदि पर 28% का टैक्सलगाया जाता है, जबकि थिएटर, नाटक, सर्कस और भारतीय शास्त्रीय शो पर 18% टैक्सलगाया जाता है।प्रॉपर्टी टैक्सरियल स्टेट प्रोजेक्ट के साथ भूमि पर लगाए जाने वाले टैक्स को प्रॉपर्टी टैक्स कहते हैं।स्थानीय सरकार घर के वर्तमान मालिक पर टैक्स लगाती है। अलग-अलग राज्यों के लिए ये टैक्स अलग-अलग होता है और स्थानीय स्तर पर नगर निकाय को टैक्स जमा करने का अधिकार दिया जाता है।टैक्स का भुगतान करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से संपत्ति के मालिक पर होती है।टैक्स दर संपत्ति के उपयोग पर भी निर्भर करती है, कि वह संपत्ति कमर्शियल कार्यों के लिए उपयोग की जा रही है या रहने के लिए।प्रोफेशनल टैक्सप्रोफेशनल टैक्स सभी व्यवसायों, कर्मचारियों, फ्रीलांसर, पेशेवरों, आदि पर लगाया जाता है, यदि इनकम एक निर्धारित सीमा से अधिक है।यह राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है।इनकम टैक्स अधिनियम1961 के अनुसार, इसे टैक्सयोग्य आय से काटा जा सकता है।कमर्शियलटैक्स विभाग इस टैक्सको जमा करता है और फिर राशि को स्थानीय नगर निकाय के खाते में जमा कर दिया जाता है।यह कर GSTके लागू होने के बाद भी लागू है लेकिन अधिकतम 2,500 रु. तक ही टैक्स लगा सकते हैं।ब्याज टैक्स ब्याज टैक्स अधिनियम, 1974 के अनुसार किसी निवेश से कमाए गएब्याज पर लगाए गए टैक्सको ब्याज टैक्स के रूप में जाना जाता है।यह अधिनियम सभी अनुसूचित बैंकों के लिए लागू था जबकि सहकारी समितियों को इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया था।31 मार्च, वर्ष 2000 के बाद इस अधिनियम को बंद कर दिया गया था।एक्सपेंडिचर टैक्सएक्सपेंडिचर यानी खर्च, येटैक्स किसी व्यक्ति द्वारा कियेगए खर्चों पर लगाया जाता है, यदि को खर्च टैक्स के दायरे में आता है।इसे टैक्सअधिनियम, 1987 के अनुसार लागू किया गया था।यह जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है।लागू टैक्स कुल खर्चका 10 – 15% है।गिफ्ट टैक्सकिसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहारपर “अन्य स्रोतों से प्राप्त आय” के तहत, गिफ्ट टैक्स लगाया जाता है।गिफ्ट टैक्स का उल्लेख इनकम टैक्सअधिनियम, 1961 की धारा 56 (2) (x) के तहत किया गया है।एक वर्ष में 50,000रु. से कम की राशि वाले उपहारों को टैक्स से छूट दी जाती है।विवाह में प्राप्त उपहार और धन को टैक्स से मुक्त रखा गया है।बिना किसी सेवा दिए 50,000 रू. के अतिरिक्त धन की कुल राशि पर 100% टैक्स लगाया जाता है।एक्साइज ड्यूटीकेंद्रीय एक्साइज ड्यूटी अधिनियम, 1985 के तहत लगाए गए इन-डायरेक्टटैक्स का एक रूप है।यह उन वस्तुओं पर लगता है जो भारत में उपयोग के लिए देश में ही बनती हैं।निर्माता टैक्स का भुगतान तब करता है जब माल बनकट बाज़ार में चला जाता है।GST के लागू होने के बाद, इस टैक्स को हटा दिया गया हैकस्टम ड्यूटीवस्तुओं के एक्सपोर्टऔर इम्पोर्ट पर लगाया जाने वाला टैक्स कस्टम ड्यूटी कहलाता है।यह मुख्य रूप से माल के आने और जाने परनियंत्रित करता है।घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए यह समय-समय पर बदलता रहता हैWTO, FTA, आदि के तहत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर कस्टम ड्यूटी निर्भर करती है।,कॉरपोरेट टैक्सयह घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियों की आय पर लगाया जाने वाला टैक्स है और यह इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 के तहत लगाया जाता है।कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत रजिस्टरकंपनी की”शुद्ध आय” पर कॉर्पोरेट टैक्स लगाया जाता है।केवल भारत में इनकम पर कॉर्पोरेट टैक्स के तहत टैक्स लगाया जाता है।घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30% है और विदेशी कंपनियों का 40%।कंपनियों पर उनकी कमाई और राजस्व के आधार पर सरचार्जभी लगाया जाता हैसिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्समान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से प्रतिभूतियों के मूल्य पर लगाए गए टैक्स को सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स कहा जाता है।यह डायरेक्ट टैक्स केंद्र सरकार द्वारा लगाया और वसूला जाता है।स्टॉक, शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर, डेरिवेटिव, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड आदि जैसे उत्पादों पर ये टैक्स लगाया जाता है।ऑफ-मार्केट ट्रांजैक्शन पर नहीं लगाया जाता है।म्युचुअल फंड या ETF के रिडंप्शन पर लागू STT 0.025% है।MF या ETF की बिक्री पर लगाया गया STT 0.001% है और यह केवल विक्रेता पर लगाया जाता है। सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

He fell asleep because we could sleep peacefully.It was an Indian soldier who got martyred today.Jai HindMilitaryThere are lights in our Diwali because someone is standing on the border in the dark.Jai Hindwhat did a soldier lose

हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया, वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया. जय हिन्द Army  हमारी दिवाली में रोशनी इसलिए हैं क्योंकि सरहद पर अँधेरे में कोई खड़ा हैं. जय हिन्द एक सैनिक ने क्या खूब कहा है. किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं, कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं. नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए. जय हिन्द जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को, भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को, खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है, सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है, जय हिन्द फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं, ऐसे सपूतो को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं. जिसकी वजह से पूरा हिन्दुस्तान चैन से सोता हैं, कड़ी ठंड, गर्मी और बरसात में अपना धैर्य न खोता ह...

भारत में लागू विभिन्न प्रकार के टैक्स: इनकम टैक्स, GST, TDS, कॉर्पोरेट टैक्स, सर्विस टैक्स By वनिता कासनियां पंजाब चाहे आप दुनिया में कहीं भी रहते हों, पर आपको स्थानीय सरकार को टैक्स का भुगतान करना होता है । टैक्स कई प्रकार के होते हैं जैसे स्टेट टैक्स (राज्य कर), सेण्टर गवर्नमेंट टैक्स (केंद्र सरकार कर), डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर), इन-डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) इत्यादि। मुख्यता भारत में टैक्स को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं – डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार को टैक्स का भुगतान कैसे किया जा रहा है। निम्नलिखित लेख में हम हम उस टैक्स पर चर्चा करेंगे जिनका भुगतान एक भारतीय नागरिक द्वारा किया जाता है।टैक्स क्या हैटैक्स शब्द लैटिन शब्द “टैक्सो” से आया है। एक टैक्स एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है। जमा हुए टैक्स की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से टैक्स भुगतान ना करने पर जुर्माना या सज़ा मिलने सकती है।टैक्स के प्रकारव्यक्ति/ संगठन को विभिन्न तरीकों से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। टैक्स अधिकारियों द्वारा टैक्स भुगतान के तरीके के आधार पर, टैक्स को डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स में बाटा जाता है। दोनों टैक्स की जानकारी निम्नलिखित है।डायरेक्ट टैक्सजैसा किनाम से ही पता चलता है ये टैक्स करदाता (टैक्स देने वाला) द्वारा सीधे सरकार को दिया जाता है।भारत में इस प्रकार के टैक्स के सबसे अच्छे उदाहरण इनकम टैक्स और वैल्थ टैक्स हैं।सरकार की नज़र में, डायरेक्ट टैक्ससे कुल टैक्स इनकम का अनुमान लगाना आसान होता है क्योंकि यह करदाताओं की इनकम से सीधा संबंध रखता है।इन-डायरेक्ट टैक्सइन-डायरेक्टटैक्स को अलग तरीके से जमा किया जाता है और ये टैक्स सामान और सेवाओं के उपयोगपर आधारित होते हैं।जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इन-डायरेक्टटैक्स का भुगतान सामान/ सेवाओं के उपभोक्ता सीधे सरकार को नहीं करते हैं।सरकार सामान/ सेवा के विक्रेता(बेचने वाला) से इन-डायरेक्टटैक्स प्राप्त करती है।विक्रेता, बदले में, सामान/ सेवा के खरीदार से टैक्स लेता है।इन-डायरेक्टटैक्स के सामान्य उदाहरणों में सेल्स टैक्स, GST, VAT, आदि शामिल हैं।टैक्स भरने के लाभमूलत: टैक्स वह राशि है जिस पर सरकार चलती है और अपने नागरिक को सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करती है। टैक्स का भुगतान करने के लाभ निम्नलिखित हैं।आपका टैक्स भुगतान सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहेंगी।आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं।इस टैक्स की राशि से सरकार अपने नागरिक के लिए बेहतर सुविधाओं और उपयोगिताओं को निधि दे सकती है जो बदले में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करती है।सरकार को बहुत सारे कार्य करने होते हैं और जिसके लिए धन की आवश्यकता होती है। आपके धन का उपयोग सेनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, नागरिकों की सुरक्षा, प्रशासनिक सेवाओं आदि के लिए भी किया जाता है।टैक्स प्रणाली में बदलावसरकार ने 2017 में GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) पेश किया जो स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे अहम टैक्स सुधार है। इससे पहले, सरकारों ने विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने या विभिन्न वस्तुओं को खरीदने के लिए कई तरह के अलग-अलग टैक्स लगा रखे थे। टैक्स की प्रक्रिया कठिन थी और कुछ पेचीदा नियमों की वजह से कुछ लोग टैक्स से बच जाते थे। GST लागू होने के बाद से टैक्स चोरी करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।टैक्स चोरी कानून व जुर्मानाभारत सरकार ने टैक्स से संबंधित विभिन्न अधिनियम बनाए हैं और प्रत्येक नागरिक उन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है। टैक्स संबंधित विभिन्न अधिनियम का पालन ना करने पर लगाए गए कुछ दंड निम्नलिखित हैं:धारा 140A (1) के अनुसार, यदि एक असेसी (टैक्स देने वाले) आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से मूल राशि या ब्याज पर टैक्स का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे डिफॉल्टर माना जाएगा।धारा 221 (1) के अनुसार,टैक्स अधिकारी बकाया राशि के बराबर जुर्माना लगा सकता है।धारा 271 (C) के तहत,यदि कोई असेसी इनकम को छुपाता है तो उसपर 100% से 300% का जुर्माना लगाया जा सकता है।यदि कोई डिफॉल्टर धारा 142 (1) या 143 (2) के तहत,नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो टैक्स अधिकारी उसेको रिटर्न दाखिल करने या लिखित रूप में संपत्ति और लाइबिलिटी के सभी विवरण प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।इनकम टैक्सयह सबसे साधारण टैक्स है जो एक नागरिक सरकार को व्यक्तिगत रूप से चुकाता है। यह बहुत ही सरल है – आपकी इनकम का एक हिस्सा हर साल सरकार को टैक्स के रूप में देना होता है और इस धन का उपयोग सरकार द्वारा देश भर में विकास कार्यों के लिए किया जाता है। वर्ष 2015-16 में, सरकार द्वारा जमा कुल इनकम टैक्स 2.86 लाख करोड़ रुपए से अधिक था।इनकम टैक्स असेसीकोई भी व्यक्ति जो इनकम होने के कारण से टैक्स जमा करने के लिए उत्तरदायी है, एक इनकम टैक्स असेसी है। हालांकि, कुछ व्यक्ति जो इनकम होने के बावजूद भी टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं होते हैं जैसे किसान आदि। इसके अतिरिक्त, एक असेसी कुछ स्थितियों में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए बाध्य हो सकता है।इनकम टैक्स स्लैबसभी व्यक्तियों पर समान टैक्स लागू नहीं होता है, नियम के अनुसार आपकी आय जितनी अधिक है, आपको उतनी अधिक राशि का भुगतान करना होगा। यह सुनिश्चित करता है कि टैक्स की दरें और नियम एक समान होने के बजाय निष्पक्ष हों, सरकार आयकर स्लैब के उपयोग से टैक्स दर को निर्धारित करती है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। 60 वर्ष से कम आयु के भारतीय निवासियों के लिए वर्ष 2018-19 से टैक्स स्लैब दर निम्नलिखित है।वर्ष 2021-22 में नई टैक्स रेजिम में लागू टैक्स दरें: कुल आय लागू दर ₹ 2.5 लाख से कम टैक्स माफ़ ₹ 2.5 लाख से ₹ 5 लाख 5% ₹ 5 लाख से ₹ 7.5 लाख 10% ₹ 7.5 लाख से ₹ 10 लाख 15% ₹ 10 लाख से ₹ 12.5 लाख 20%₹ 12.5 लाख से ₹ 15 लाख 25% ₹ 15 लाख से अधिक 30%इनकम टैक्स पर छूटअगर आप पुरानी नई टैक्स रेजिम में टैक्स फाइल कर रहे हैं तो आपको आयकर धारा 80CCD (2) के तहत टियर 1 NPS में किये गए निवेश पर टैक्स में छूट मिल सकती है, अधिकतम छूट आपकी बैसिक सैलरी और DRA के 10% तक ही होगी। वहीं पुरानी टैक्स रेजिम में आप ELSS , म्यूचुअल फंड, PPF, EPF, FD, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और आदि में निवेश करने पर टैक्स में छूट का क्लेम कर सकते हैं। इनके बारे में इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80C और 80D में बताया गया है।TDS TDS को टैक्स के सबसे आम तरीकों में से एक माना जाता है, इसमें एक नौकरीपेशा व्यक्ति का टैक्स उसके वेतन में से काटकर नियोक्ता/ कम्पनी द्वारा सरकार को भुगतान किया जाता है। व्यक्ति द्वारा किये गए निवेश के बाद उस पर जितना टैक्स लागू होता है उसे नियोक्ता/ कंपनी द्वारा हर महीने वेतन से काटा जाता है। यदि टैक्स कटने के बाद, कोई व्यक्ति टैक्स माफ़ी के लिए निवेश दस्तावेज देता है और नियमों के मुताबिक, टैक्स छूट के लिए योग्य होता है तो उसके वेतन से काटा गया टैक्स वापस यानी रिफंड कर दिया जाता है। वेतन के अलावा, FD पर व RD के ब्याज से हुई आय पर भी TDS काटा जाता है। इस मामले में भी, इनकम रिटर्न (ITR) दाखिल करने के बाद व्यक्ति को रिफंड मिल सकता है।इनकम टैक्स रिफंडयदि टैक्स देने वाले किसी वयक्ति के नियोक्ता/ कम्पनी ने गलती से टैक्स प्रक्रिया में ज़्यादा TDS या ज़्यादा एडवांस टैक्स काट लिया है तो वह आयकर विभाग से आयकर रिफंड ले सकता है। हालाँकि, इस रिफंड का दावा केवल उस मामले में किया जा सकता है जब व्यक्ति ने ITR दाखिल किया हो।इनकम टैक्स रिटर्नप्रत्येक फाइनेंशियल वर्ष की समाप्ति के बाद, व्यक्तियों को चाहे वे नौकरीपेशा हों या स्व-नियोजित (अपना व्यवसाय करने वाला) हों, उन्हें अपना आयकर रिटर्न या ITR जमा करना आवश्यक है। यह दस्तावेज़ विभिन्न स्रोतों से हुई करदाता की वार्षिक इनकम, निवेश/ खर्च, कुल टैक्स भुगतान, TDS/ एडवांस टैक्स का भुगतान और अन्य डाटा इस पर निर्भर करता है कि ITR दाखिल करने वाले व्यक्ति नौकरीपेशा है या अपना व्यवसाय करता है। ITR जमा करने के बाद, आयकर विभाग एक एकनॉलेजमेंट नंबर जारी करता है और टैक्स अधिकारी रिफंड जारी करने से पहले ITR वैरीफाई करता है या व्यक्ति से कोई स्पष्टीकरण मांगता है।इनकम टैक्स नोटिससरकार द्वारा भेजे गए किसी भी प्रकार के नोटिस की तरह ही इनकम टैक्स नोटिस को भी एक बुरा संकेत माना जाता है। जबकि यह आपके ITR से संबंधित किसी जानकारी की वैरीफिकेशन के लिए भी हो सकता है। पहले इस तरह के नोटिस डाक प्रणाली का उपयोग करके भेजे जाते थे, लेकिन काफी वर्षों से, यह बदल गया है और ई-फाइलिंग के साथ, इनकम टैक्स विभाग ईमेल भेजता है जिसमें आपको अपने ई-फाइलिंग खाते पर लॉग-इन कर नोटिस देखने के लिए खा जाता है। इस तरह के नोटिस को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और निर्धारित तरीके से जवाब दिया जाना चाहिए। यदि विभाग को कई नोटिस भेजने के बाद आपसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो वे आपकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर आपके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर सकते हैं या आप पर जुर्माना लगा सकते हैं।GST (वस्तु एवं सेवा कर)भारत की आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधार को ध्यान में रखते हुए, GST जुलाई 2017, से लागू हुआ है। यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स के एवज़ में बनाया गया है जो उत्पादों और सेवाओं पर लगते थे। GST, उन सभी इन-डायरेक्ट के बदले लागू होगा जिन्हें राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लगाए जाता था। वर्तमान में वस्तुओं और सेवाओं पर 0%, 5%, 12%, 18% या 28% की दरों के अनुसार, GST लगाया जाता है, जबकि कुछ अन्य वस्तुओं/ सेवाओं को इस से छूट दी गई है।VAT (वैल्यू एडेड टैक्स)यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स में से एक था जो भारत में GST से पहले लगाए जाते थे। पूरी दुनिया में बहुत आम है। जब भी बिक्री के लिए अंतिम वस्तु तैयार करने के लिए कच्चे माल का उपयोग होता है तब वैट लागू किया जाता है। यदि एक निश्चित वस्तु अपने अंतिम रूप में आने से पहले अर्ध-तैयार या कच्चे माल के रूप में कई बार खरीदी और बेची जाए, तो वैट प्रत्येक खरीद पर लागू होगा, बशर्ते हर बार वस्तु की कीमत बढ़ी हो।सेल्स टैक्सयह वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री पर लगाया गया एक इन-डायरेक्ट टैक्स है, जो GST लागू होने से पहले लागू था। वैट के विपरीत, सेल्स टैक्स को एक विशेष टैक्स माना जाता है, क्योंकि ये हर बार वस्तु या सेवा की बिक्री पर लागू होता है। भले ही बिक्री के समय वस्तु का मूल्य ना बढ़ा हो।सर्विस टैक्सभारत में वित्त अधिनियम, 1994 के भाग के रूप में, सर्विस टैक्स को सेवा देने वालों द्वारा सरकार को दिया जाने वाले इन-डायरेक्ट टैक्स के रूप में परिभाषित किया गया था। सेवा देने वाले बाद में अपने ग्राहकों से यह टैक्स वसूलते हैं। सामान्य उदाहरण जो ग्राहकों से सर्विस टैक्स वसूलते हैं, उनमें होटल, रेस्टोरेंट, मोबाइल कनेक्शन प्रदाता आदि शामिल हैं।एंट्री टैक्सएंट्री टैक्स एक राज्य द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आवाजाही पर लगाया जाने वाला टैक्स है।यह टैक्स डीलरों, कंपनियों, क्लबों, फर्मों, सोसायटी, औद्योगिक या वाणिज्यिक उपक्रम आदि पर लागू होता है।वर्तमान व्यवस्था के अनुसार,GST आने के बाद एंट्री टैक्स को समाप्त कर दिया गया है।इंफास्ट्रक्चर सेसग्यारहवीं अनुसूची में,विशिष्ट वस्तुओं पर केंद्र सरकार द्वारा इंफास्ट्रक्चर सेस लगाया जाता है।छोटी पेट्रोल, LPG, CNG कार जैसे वाहन पर 1% व छोटी डीज़ल कारों पर 5% और उच्च इंजन क्षमता वाले वाहन पर 4% सेस लगता है।इस सेस को मार्च 2016 में,देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की वित्त व्यवस्था के लिए पेश किया गया था।इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है।कृषि कल्याण सेसकृषि कल्याण सेस (KKC) को वित्त अधिनियम, 2015 के अध्याय 6 के प्रावधानों के अनुसार,2016 में पेश किया गया था।सेस 5% की दर से सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर लागू होता है।इस के माध्यम से जमा राशि का उपयोग पूरी तरह से किसानों की स्थिति में सुधार और बुनियादी ढांचे और कृषि से संबंधित अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा।अब कृषि कल्याण सेस को GSTमें शामिल कर लिया गया है।स्वच्छ भारत सेस स्वच्छ भारत सेस सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर 5% की दर से लगाया जाता है।इस से जमा हुई राशि काउद्देश्य स्वच्छ भारत पहल से संबंधित गतिविधियों को फंड करनाऔर देश में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है और अलग से नहीं लगाया जाता है।रोड टैक्ससार्वजनिक सड़कों पर उपयोग के लिए सभी पहिया वाहनों पर रोड टैक्स लगाया जाता है।यह राज्य सरकार द्वारा वाहन की खरीद पर लगाया जाता है।निजी वाहन के लिए टैक्स एक बार होता है जबकि कमर्शियलवाहनों को रोड टैक्स का सालाना भुगतान करना होता है।टैक्स की गणना इंजन की क्षमता, लागत मूल्य, वज़न, बैठने की क्षमता आदि पर निर्धारित है।सरकार 1% से 15% तक की इंजन क्षमता के आधार पर 28% GST और एक अतिरिक्त सेस लेती है।हालांकि, इलेक्ट्रिक कारों पर 12%रोडटैक्स लिया जाता है।टोल टैक्सटोल टैक्स राजमार्ग के एक विशेष हिस्से पर यात्रा करने के लिए अधिकारियों द्वारा लगाया गया टैक्स है।हालांकि, टोल टैक्स दरें अलग-अलग टोल प्लाज़ा पर विभिन्न हैं, क्योंकि प्रत्येक टोल प्लाज़ा राजमार्ग के अलग-अलग हिस्से का रखरखाव करते हैं।राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (निर्धारण दर और संग्रह नियम, 2008) में उल्लिखित नीतियों के अनुसार,सभी टोल प्लाज़ाके लिए टोल दरें हर साल संशोधित की जाती हैं।छूट लिस्टमें उल्लिखित VIP और गणमान्य व्यक्तियों को टोल टैक्स सेछूट दी गई है। शिक्षा सेसशिक्षा सेस एक प्रकार का उपकर है जो टैक्स देने वाले की टैक्सराशि पर लगाया जाता है।देश में शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए शिखा सेस लियाजाता है।व्यक्ति और साथ ही कॉर्पोरेट दोनों की इनकम पर 2% का अतिरिक्त शिक्षा सेस लगाया जाता है।वर्ष 2008 में, तत्कालीन सरकार ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए 1% का अतिरिक्त सेस लगाया था।सरकार ने असेसमेंट वर्ष 2019-20 के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सेस के नाम पर आयकर पर कुल 4% का सेस लगाया है।स्टांप ड्यूटीस्टांप ड्यूटी भारतीय स्टैम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत सरकार द्वारा एकत्र किया जाने वाला एक प्रकार का टैक्सहै।इसका भुगतान समय पर किया जाना चाहिए क्योंकि भुगतान में किसी भी तरहकी देरी दंड का कारण बन सकती है।जिस भीदस्तावेज को कानूनी दस्तावेज के रूप में माना जाता है, उसकेलिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जाता है।स्टांप ड्यूटी के भुगतान में देरी के कारण राशि का 2% से 200% तक जुर्माना लगता सकता है।आमतौर पर, खरीदार को स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, संपत्ति के दस्तावेजों के मामले में, दोनों पक्षों के बीच स्टांप ड्यूटी की राशि विभाजित की जाती है।मनोरंजंन टैक्समनोरंजन की गतिविधियों जैसे कि फिल्में, थिएटर, मनोरंजन पार्क, निजी त्योहार आदि पर लगाए गए टैक्स को मनोरंजन टैक्स कहते हैं।यह राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों के लिए दर अलग-अलगहै।मनोरंजन भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की लिस्ट2 के अंतर्गत आता है जो एक राज्य को इस तरह काटैक्स लगाने का पूर्ण अधिकार देता है।GST आने के बाद इसे हटा दिया गया है और फिल्मों, मनोरंजन पार्कों आदि पर 28% का टैक्सलगाया जाता है, जबकि थिएटर, नाटक, सर्कस और भारतीय शास्त्रीय शो पर 18% टैक्सलगाया जाता है।प्रॉपर्टी टैक्सरियल स्टेट प्रोजेक्ट के साथ भूमि पर लगाए जाने वाले टैक्स को प्रॉपर्टी टैक्स कहते हैं।स्थानीय सरकार घर के वर्तमान मालिक पर टैक्स लगाती है। अलग-अलग राज्यों के लिए ये टैक्स अलग-अलग होता है और स्थानीय स्तर पर नगर निकाय को टैक्स जमा करने का अधिकार दिया जाता है।टैक्स का भुगतान करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से संपत्ति के मालिक पर होती है।टैक्स दर संपत्ति के उपयोग पर भी निर्भर करती है, कि वह संपत्ति कमर्शियल कार्यों के लिए उपयोग की जा रही है या रहने के लिए।प्रोफेशनल टैक्सप्रोफेशनल टैक्स सभी व्यवसायों, कर्मचारियों, फ्रीलांसर, पेशेवरों, आदि पर लगाया जाता है, यदि इनकम एक निर्धारित सीमा से अधिक है।यह राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है।इनकम टैक्स अधिनियम1961 के अनुसार, इसे टैक्सयोग्य आय से काटा जा सकता है।कमर्शियलटैक्स विभाग इस टैक्सको जमा करता है और फिर राशि को स्थानीय नगर निकाय के खाते में जमा कर दिया जाता है।यह कर GSTके लागू होने के बाद भी लागू है लेकिन अधिकतम 2,500 रु. तक ही टैक्स लगा सकते हैं।ब्याज टैक्स ब्याज टैक्स अधिनियम, 1974 के अनुसार किसी निवेश से कमाए गएब्याज पर लगाए गए टैक्सको ब्याज टैक्स के रूप में जाना जाता है।यह अधिनियम सभी अनुसूचित बैंकों के लिए लागू था जबकि सहकारी समितियों को इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया था।31 मार्च, वर्ष 2000 के बाद इस अधिनियम को बंद कर दिया गया था।एक्सपेंडिचर टैक्सएक्सपेंडिचर यानी खर्च, येटैक्स किसी व्यक्ति द्वारा कियेगए खर्चों पर लगाया जाता है, यदि को खर्च टैक्स के दायरे में आता है।इसे टैक्सअधिनियम, 1987 के अनुसार लागू किया गया था।यह जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है।लागू टैक्स कुल खर्चका 10 – 15% है।गिफ्ट टैक्सकिसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहारपर “अन्य स्रोतों से प्राप्त आय” के तहत, गिफ्ट टैक्स लगाया जाता है।गिफ्ट टैक्स का उल्लेख इनकम टैक्सअधिनियम, 1961 की धारा 56 (2) (x) के तहत किया गया है।एक वर्ष में 50,000रु. से कम की राशि वाले उपहारों को टैक्स से छूट दी जाती है।विवाह में प्राप्त उपहार और धन को टैक्स से मुक्त रखा गया है।बिना किसी सेवा दिए 50,000 रू. के अतिरिक्त धन की कुल राशि पर 100% टैक्स लगाया जाता है।एक्साइज ड्यूटीकेंद्रीय एक्साइज ड्यूटी अधिनियम, 1985 के तहत लगाए गए इन-डायरेक्टटैक्स का एक रूप है।यह उन वस्तुओं पर लगता है जो भारत में उपयोग के लिए देश में ही बनती हैं।निर्माता टैक्स का भुगतान तब करता है जब माल बनकट बाज़ार में चला जाता है।GST के लागू होने के बाद, इस टैक्स को हटा दिया गया हैकस्टम ड्यूटीवस्तुओं के एक्सपोर्टऔर इम्पोर्ट पर लगाया जाने वाला टैक्स कस्टम ड्यूटी कहलाता है।यह मुख्य रूप से माल के आने और जाने परनियंत्रित करता है।घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए यह समय-समय पर बदलता रहता हैWTO, FTA, आदि के तहत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर कस्टम ड्यूटी निर्भर करती है।,कॉरपोरेट टैक्सयह घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियों की आय पर लगाया जाने वाला टैक्स है और यह इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 के तहत लगाया जाता है।कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत रजिस्टरकंपनी की”शुद्ध आय” पर कॉर्पोरेट टैक्स लगाया जाता है।केवल भारत में इनकम पर कॉर्पोरेट टैक्स के तहत टैक्स लगाया जाता है।घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30% है और विदेशी कंपनियों का 40%।कंपनियों पर उनकी कमाई और राजस्व के आधार पर सरचार्जभी लगाया जाता हैसिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्समान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से प्रतिभूतियों के मूल्य पर लगाए गए टैक्स को सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स कहा जाता है।यह डायरेक्ट टैक्स केंद्र सरकार द्वारा लगाया और वसूला जाता है।स्टॉक, शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर, डेरिवेटिव, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड आदि जैसे उत्पादों पर ये टैक्स लगाया जाता है।ऑफ-मार्केट ट्रांजैक्शन पर नहीं लगाया जाता है।म्युचुअल फंड या ETF के रिडंप्शन पर लागू STT 0.025% है।MF या ETF की बिक्री पर लगाया गया STT 0.001% है और यह केवल विक्रेता पर लगाया जाता है।

भारत में लागू विभिन्न प्रकार के टैक्स: इनकम टैक्स, GST, TDS, कॉर्पोरेट टैक्स, सर्विस टैक्स

By वनिता कासनियां पंजाब 

चाहे आप दुनिया में कहीं भी रहते हों, पर आपको स्थानीय सरकार को टैक्स का भुगतान करना होता है । टैक्स कई प्रकार के होते हैं जैसे स्टेट टैक्स (राज्य कर), सेण्टर गवर्नमेंट टैक्स (केंद्र सरकार कर), डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर), इन-डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) इत्यादि। मुख्यता भारत में टैक्स को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं – डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार को टैक्स का भुगतान कैसे किया जा रहा है। निम्नलिखित लेख में हम हम उस टैक्स पर चर्चा करेंगे जिनका भुगतान एक भारतीय नागरिक द्वारा किया जाता है।

टैक्स क्या है

टैक्स शब्द लैटिन शब्द “टैक्सो” से आया है। एक टैक्स एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है। जमा हुए टैक्स की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से टैक्स भुगतान ना करने पर जुर्माना या सज़ा मिलने सकती है।

टैक्स के प्रकार

व्यक्ति/ संगठन को विभिन्न तरीकों से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। टैक्स अधिकारियों द्वारा टैक्स भुगतान के तरीके के आधार पर, टैक्स को डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स में बाटा जाता है। दोनों टैक्स की जानकारी निम्नलिखित है।

डायरेक्ट टैक्स

  • जैसा किनाम से ही पता चलता है ये टैक्स करदाता (टैक्स देने वाला) द्वारा सीधे सरकार को दिया जाता है।
  • भारत में इस प्रकार के टैक्स के सबसे अच्छे उदाहरण इनकम टैक्स और वैल्थ टैक्स हैं।
  • सरकार की नज़र में, डायरेक्ट टैक्ससे कुल टैक्स इनकम का अनुमान लगाना आसान होता है क्योंकि यह करदाताओं की इनकम से सीधा संबंध रखता है।

इन-डायरेक्ट टैक्स

  • इन-डायरेक्टटैक्स को अलग तरीके से जमा किया जाता है और ये टैक्स सामान और सेवाओं के उपयोगपर आधारित होते हैं।
  • जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इन-डायरेक्टटैक्स का भुगतान सामान/ सेवाओं के उपभोक्ता सीधे सरकार को नहीं करते हैं।
  • सरकार सामान/ सेवा के विक्रेता(बेचने वाला) से इन-डायरेक्टटैक्स प्राप्त करती है।
  • विक्रेता, बदले में, सामान/ सेवा के खरीदार से टैक्स लेता है।
  • इन-डायरेक्टटैक्स के सामान्य उदाहरणों में सेल्स टैक्स, GST, VAT, आदि शामिल हैं।

टैक्स भरने के लाभ

मूलत: टैक्स वह राशि है जिस पर सरकार चलती है और अपने नागरिक को सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करती है। टैक्स का भुगतान करने के लाभ निम्नलिखित हैं।

  • आपका टैक्स भुगतान सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहेंगी।
  • आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं।
  • इस टैक्स की राशि से सरकार अपने नागरिक के लिए बेहतर सुविधाओं और उपयोगिताओं को निधि दे सकती है जो बदले में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करती है।
  • सरकार को बहुत सारे कार्य करने होते हैं और जिसके लिए धन की आवश्यकता होती है। आपके धन का उपयोग सेनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, नागरिकों की सुरक्षा, प्रशासनिक सेवाओं आदि के लिए भी किया जाता है।

टैक्स प्रणाली में बदलाव

सरकार ने 2017 में GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) पेश किया जो स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे अहम टैक्स सुधार है। इससे पहले, सरकारों ने विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने या विभिन्न वस्तुओं को खरीदने के लिए कई तरह के अलग-अलग टैक्स लगा रखे थे। टैक्स की प्रक्रिया कठिन थी और कुछ पेचीदा नियमों की वजह से कुछ लोग टैक्स से बच जाते थे। GST लागू होने के बाद से टैक्स चोरी करने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

टैक्स चोरी कानून व जुर्माना

भारत सरकार ने टैक्स से संबंधित विभिन्न अधिनियम बनाए हैं और प्रत्येक नागरिक उन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है। टैक्स संबंधित विभिन्न अधिनियम का पालन ना करने पर लगाए गए कुछ दंड निम्नलिखित हैं:

  • धारा 140A (1) के अनुसार, यदि एक असेसी (टैक्स देने वाले) आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से मूल राशि या ब्याज पर टैक्स का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे डिफॉल्टर माना जाएगा।
  • धारा 221 (1) के अनुसार,टैक्स अधिकारी बकाया राशि के बराबर जुर्माना लगा सकता है।
  • धारा 271 (C) के तहत,यदि कोई असेसी इनकम को छुपाता है तो उसपर 100% से 300% का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • यदि कोई डिफॉल्टर धारा 142 (1) या 143 (2) के तहत,नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो टैक्स अधिकारी उसेको रिटर्न दाखिल करने या लिखित रूप में संपत्ति और लाइबिलिटी के सभी विवरण प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।

इनकम टैक्स

यह सबसे साधारण टैक्स है जो एक नागरिक सरकार को व्यक्तिगत रूप से चुकाता है। यह बहुत ही सरल है – आपकी इनकम का एक हिस्सा हर साल सरकार को टैक्स के रूप में देना होता है और इस धन का उपयोग सरकार द्वारा देश भर में विकास कार्यों के लिए किया जाता है। वर्ष 2015-16 में, सरकार द्वारा जमा कुल इनकम टैक्स 2.86 लाख करोड़ रुपए से अधिक था।

इनकम टैक्स असेसी

कोई भी व्यक्ति जो इनकम होने के कारण से टैक्स जमा करने के लिए उत्तरदायी है, एक इनकम टैक्स असेसी है। हालांकि, कुछ व्यक्ति जो इनकम होने के बावजूद भी टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं होते हैं जैसे किसान आदि। इसके अतिरिक्त, एक असेसी कुछ स्थितियों में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए बाध्य हो सकता है।

इनकम टैक्स स्लैब

सभी व्यक्तियों पर समान टैक्स लागू नहीं होता है, नियम के अनुसार आपकी आय जितनी अधिक है, आपको उतनी अधिक राशि का भुगतान करना होगा। यह सुनिश्चित करता है कि टैक्स की दरें और नियम एक समान होने के बजाय निष्पक्ष हों, सरकार आयकर स्लैब के उपयोग से टैक्स दर को निर्धारित करती है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। 60 वर्ष से कम आयु के भारतीय निवासियों के लिए वर्ष 2018-19 से टैक्स स्लैब दर निम्नलिखित है।

वर्ष 2021-22 में नई टैक्स रेजिम में लागू टैक्स दरें: 

कुल आयलागू दर
 ₹ 2.5 लाख से कमटैक्स माफ़
  ₹ 2.5 लाख से ₹ 5 लाख  5%
 ₹ 5 लाख से  ₹ 7.5 लाख  10%
 ₹ 7.5 लाख से ₹ 10 लाख 15%
 ₹ 10 लाख से ₹ 12.5 लाख  20%
₹ 12.5 लाख से ₹ 15 लाख 25%
 ₹ 15 लाख से अधिक 30%

इनकम टैक्स पर छूट

अगर आप पुरानी नई टैक्स रेजिम में टैक्स फाइल कर रहे हैं तो आपको आयकर धारा 80CCD (2) के तहत टियर 1 NPS में किये गए निवेश पर टैक्स में छूट मिल सकती है, अधिकतम छूट आपकी बैसिक सैलरी और DRA के 10% तक ही होगी। वहीं पुरानी टैक्स रेजिम में आप  ELSS , म्यूचुअल फंड, PPF, EPF, FD, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और आदि में निवेश करने पर टैक्स में छूट का क्लेम कर सकते हैं। इनके बारे में इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80C और 80D में बताया गया है।

TDS 

TDS को टैक्स के सबसे आम तरीकों में से एक माना जाता है, इसमें एक नौकरीपेशा व्यक्ति का टैक्स उसके वेतन में से काटकर नियोक्ता/ कम्पनी द्वारा सरकार को भुगतान किया जाता है। व्यक्ति द्वारा किये गए निवेश के बाद उस पर जितना टैक्स लागू होता है उसे नियोक्ता/ कंपनी द्वारा हर महीने वेतन से काटा जाता है। यदि टैक्स कटने के बाद, कोई व्यक्ति टैक्स माफ़ी के लिए निवेश दस्तावेज देता है और नियमों के मुताबिक, टैक्स छूट के लिए योग्य होता है तो उसके वेतन से काटा गया टैक्स वापस यानी रिफंड कर दिया जाता है। वेतन के अलावा, FD पर व RD के ब्याज से हुई आय पर भी TDS काटा जाता है। इस मामले में भी, इनकम रिटर्न (ITR) दाखिल करने के बाद व्यक्ति को रिफंड मिल सकता है।

इनकम टैक्स रिफंड

यदि टैक्स देने वाले किसी वयक्ति के नियोक्ता/ कम्पनी ने गलती से टैक्स प्रक्रिया में ज़्यादा TDS या ज़्यादा एडवांस टैक्स काट लिया है तो वह आयकर विभाग से आयकर रिफंड ले सकता है। हालाँकि, इस रिफंड का दावा केवल उस मामले में किया जा सकता है जब व्यक्ति ने ITR दाखिल किया हो।

इनकम टैक्स रिटर्न

प्रत्येक फाइनेंशियल वर्ष की समाप्ति के बाद, व्यक्तियों को चाहे वे नौकरीपेशा हों या स्व-नियोजित (अपना व्यवसाय करने वाला) हों, उन्हें अपना आयकर रिटर्न या ITR जमा करना आवश्यक है। यह दस्तावेज़ विभिन्न स्रोतों से हुई करदाता की वार्षिक इनकम, निवेश/ खर्च, कुल टैक्स भुगतान, TDS/ एडवांस टैक्स का भुगतान और अन्य डाटा इस पर निर्भर करता है कि ITR दाखिल करने वाले व्यक्ति नौकरीपेशा है या अपना व्यवसाय करता है। ITR जमा करने के बाद, आयकर विभाग एक एकनॉलेजमेंट नंबर जारी करता है और टैक्स अधिकारी रिफंड जारी करने से पहले ITR वैरीफाई करता है या व्यक्ति से कोई स्पष्टीकरण मांगता है।

इनकम टैक्स नोटिस

सरकार द्वारा भेजे गए किसी भी प्रकार के नोटिस की तरह ही इनकम टैक्स नोटिस को भी एक बुरा संकेत माना जाता है। जबकि यह आपके ITR से संबंधित किसी जानकारी की  वैरीफिकेशन के लिए भी हो सकता है। पहले इस तरह के नोटिस डाक प्रणाली का उपयोग करके भेजे जाते थे, लेकिन काफी वर्षों से, यह बदल गया है और ई-फाइलिंग के साथ, इनकम टैक्स विभाग ईमेल भेजता है जिसमें आपको अपने ई-फाइलिंग खाते पर लॉग-इन कर नोटिस देखने के लिए खा जाता है। इस तरह के नोटिस को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और निर्धारित तरीके से जवाब दिया जाना चाहिए। यदि विभाग को कई नोटिस भेजने के बाद आपसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो वे आपकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर आपके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर सकते हैं या आप पर जुर्माना लगा सकते हैं।

GST (वस्तु एवं सेवा कर)

भारत की आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधार को ध्यान में रखते हुए, GST जुलाई 2017, से लागू हुआ है। यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स के एवज़ में बनाया गया है जो उत्पादों और सेवाओं पर लगते थे। GST, उन सभी इन-डायरेक्ट के बदले लागू होगा जिन्हें राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लगाए जाता था। वर्तमान में वस्तुओं और सेवाओं पर 0%, 5%, 12%, 18% या 28% की दरों के अनुसार, GST लगाया जाता है, जबकि कुछ अन्य वस्तुओं/ सेवाओं को इस से छूट दी गई है।

VAT (वैल्यू एडेड टैक्स)

यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स में से एक था जो भारत में GST से पहले लगाए जाते थे। पूरी दुनिया में बहुत आम है। जब भी बिक्री के लिए अंतिम वस्तु तैयार करने के लिए कच्चे माल का उपयोग होता है तब वैट लागू किया जाता है। यदि एक निश्चित वस्तु अपने अंतिम रूप में आने से पहले अर्ध-तैयार या कच्चे माल के रूप में कई बार खरीदी और बेची जाए, तो वैट प्रत्येक खरीद पर लागू होगा, बशर्ते हर बार वस्तु की कीमत बढ़ी हो।

सेल्स टैक्स

यह वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री पर लगाया गया एक इन-डायरेक्ट टैक्स है, जो GST लागू होने से पहले लागू था। वैट के विपरीत, सेल्स टैक्स को एक विशेष टैक्स माना जाता है, क्योंकि ये हर बार वस्तु या सेवा की बिक्री पर लागू होता है। भले ही बिक्री के समय वस्तु का मूल्य ना बढ़ा हो।

सर्विस टैक्स

भारत में वित्त अधिनियम, 1994 के भाग के रूप में, सर्विस टैक्स को सेवा देने वालों द्वारा सरकार को दिया जाने वाले इन-डायरेक्ट टैक्स के रूप में परिभाषित किया गया था। सेवा देने वाले बाद में अपने ग्राहकों से यह टैक्स वसूलते हैं।  सामान्य उदाहरण जो ग्राहकों से सर्विस टैक्स वसूलते हैं, उनमें होटल, रेस्टोरेंट, मोबाइल कनेक्शन प्रदाता आदि शामिल हैं।

एंट्री टैक्स

  • एंट्री टैक्स एक राज्य द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आवाजाही पर लगाया जाने वाला टैक्स है।
  • यह टैक्स डीलरों, कंपनियों, क्लबों, फर्मों, सोसायटी, औद्योगिक या वाणिज्यिक उपक्रम आदि पर लागू होता है।
  • वर्तमान व्यवस्था के अनुसार,GST आने के बाद एंट्री टैक्स को समाप्त कर दिया गया है।

इंफास्ट्रक्चर सेस

  • ग्यारहवीं अनुसूची में,विशिष्ट वस्तुओं पर केंद्र सरकार द्वारा इंफास्ट्रक्चर सेस लगाया जाता है।
  • छोटी पेट्रोल, LPG, CNG कार जैसे वाहन पर 1% व छोटी डीज़ल कारों पर 5% और उच्च इंजन क्षमता वाले वाहन पर 4% सेस लगता है।
  • इस सेस को मार्च 2016 में,देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की वित्त व्यवस्था के लिए पेश किया गया था।
  • इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है।

कृषि कल्याण सेस

  • कृषि कल्याण सेस (KKC) को वित्त अधिनियम, 2015 के अध्याय 6 के प्रावधानों के अनुसार,2016 में पेश किया गया था।
  • सेस 5% की दर से सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर लागू होता है।
  • इस के माध्यम से जमा राशि का उपयोग पूरी तरह से किसानों की स्थिति में सुधार और बुनियादी ढांचे और कृषि से संबंधित अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा।
  • अब कृषि कल्याण सेस को GSTमें शामिल कर लिया गया है।

स्वच्छ भारत सेस 

  • स्वच्छ भारत सेस सभी टैक्सयोग्य सेवाओं पर 5% की दर से लगाया जाता है।
  • इस से जमा हुई राशि काउद्देश्य स्वच्छ भारत पहल से संबंधित गतिविधियों को फंड करनाऔर देश में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।
  • इस सेस को अब GST में शामिल कर लिया गया है और अलग से नहीं लगाया जाता है।

रोड टैक्स

  • सार्वजनिक सड़कों पर उपयोग के लिए सभी पहिया वाहनों पर रोड टैक्स लगाया जाता है।
  • यह राज्य सरकार द्वारा वाहन की खरीद पर लगाया जाता है।
  • निजी वाहन के लिए टैक्स एक बार होता है जबकि कमर्शियलवाहनों को रोड टैक्स का सालाना भुगतान करना होता है।
  • टैक्स की गणना इंजन की क्षमता, लागत मूल्य, वज़न, बैठने की क्षमता आदि पर निर्धारित है।
  • सरकार 1% से 15% तक की इंजन क्षमता के आधार पर 28% GST और एक अतिरिक्त सेस लेती है।
  • हालांकि, इलेक्ट्रिक कारों पर 12%रोडटैक्स लिया जाता है।

टोल टैक्स

  • टोल टैक्स राजमार्ग के एक विशेष हिस्से पर यात्रा करने के लिए अधिकारियों द्वारा लगाया गया टैक्स है।
  • हालांकि, टोल टैक्स दरें अलग-अलग टोल प्लाज़ा पर विभिन्न हैं, क्योंकि प्रत्येक टोल प्लाज़ा राजमार्ग के अलग-अलग हिस्से का रखरखाव करते हैं।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (निर्धारण दर और संग्रह नियम, 2008) में उल्लिखित नीतियों के अनुसार,सभी टोल प्लाज़ाके लिए टोल दरें हर साल संशोधित की जाती हैं।
  • छूट लिस्टमें उल्लिखित VIP और गणमान्य व्यक्तियों को टोल टैक्स सेछूट दी गई है। 

शिक्षा सेस

  • शिक्षा सेस एक प्रकार का उपकर है जो टैक्स देने वाले की टैक्सराशि पर लगाया जाता है।
  • देश में शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए शिखा सेस लियाजाता है।
  • व्यक्ति और साथ ही कॉर्पोरेट दोनों की इनकम पर 2% का अतिरिक्त शिक्षा सेस लगाया जाता है।
  • वर्ष 2008 में, तत्कालीन सरकार ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए 1% का अतिरिक्त सेस लगाया था।
  • सरकार ने असेसमेंट वर्ष 2019-20 के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सेस के नाम पर आयकर पर कुल 4% का सेस लगाया है।

स्टांप ड्यूटी

  • स्टांप ड्यूटी भारतीय स्टैम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत सरकार द्वारा एकत्र किया जाने वाला एक प्रकार का टैक्सहै।
  • इसका भुगतान समय पर किया जाना चाहिए क्योंकि भुगतान में किसी भी तरहकी देरी दंड का कारण बन सकती है।
  • जिस भीदस्तावेज को कानूनी दस्तावेज के रूप में माना जाता है, उसकेलिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया जाता है।
  • स्टांप ड्यूटी के भुगतान में देरी के कारण राशि का 2% से 200% तक जुर्माना लगता सकता है।
  • आमतौर पर, खरीदार को स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, संपत्ति के दस्तावेजों के मामले में, दोनों पक्षों के बीच स्टांप ड्यूटी की राशि विभाजित की जाती है।

मनोरंजंन टैक्स

  • मनोरंजन की गतिविधियों जैसे कि फिल्में, थिएटर, मनोरंजन पार्क, निजी त्योहार आदि पर लगाए गए टैक्स को मनोरंजन टैक्स कहते हैं।
  • यह राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों के लिए दर अलग-अलगहै।
  • मनोरंजन भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की लिस्ट2 के अंतर्गत आता है जो एक राज्य को इस तरह काटैक्स लगाने का पूर्ण अधिकार देता है।
  • GST आने के बाद इसे हटा दिया गया है और फिल्मों, मनोरंजन पार्कों आदि पर 28% का टैक्सलगाया जाता है, जबकि थिएटर, नाटक, सर्कस और भारतीय शास्त्रीय शो पर 18% टैक्सलगाया जाता है।

प्रॉपर्टी टैक्स

  • रियल स्टेट प्रोजेक्ट के साथ भूमि पर लगाए जाने वाले टैक्स को प्रॉपर्टी टैक्स कहते हैं।
  • स्थानीय सरकार घर के वर्तमान मालिक पर टैक्स लगाती है। अलग-अलग राज्यों के लिए ये टैक्स अलग-अलग होता है और स्थानीय स्तर पर नगर निकाय को टैक्स जमा करने का अधिकार दिया जाता है।
  • टैक्स का भुगतान करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से संपत्ति के मालिक पर होती है।
  • टैक्स दर संपत्ति के उपयोग पर भी निर्भर करती है, कि वह संपत्ति कमर्शियल कार्यों के लिए उपयोग की जा रही है या रहने के लिए।

प्रोफेशनल टैक्स

  • प्रोफेशनल टैक्स सभी व्यवसायों, कर्मचारियों, फ्रीलांसर, पेशेवरों, आदि पर लगाया जाता है, यदि इनकम एक निर्धारित सीमा से अधिक है।
  • यह राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है।
  • इनकम टैक्स अधिनियम1961 के अनुसार, इसे टैक्सयोग्य आय से काटा जा सकता है।
  • कमर्शियलटैक्स विभाग इस टैक्सको जमा करता है और फिर राशि को स्थानीय नगर निकाय के खाते में जमा कर दिया जाता है।
  • यह कर GSTके लागू होने के बाद भी लागू है लेकिन अधिकतम 2,500 रु. तक ही टैक्स लगा सकते हैं।

ब्याज टैक्स 

  • ब्याज टैक्स अधिनियम, 1974 के अनुसार किसी निवेश से कमाए गएब्याज पर लगाए गए टैक्सको ब्याज टैक्स के रूप में जाना जाता है।
  • यह अधिनियम सभी अनुसूचित बैंकों के लिए लागू था जबकि सहकारी समितियों को इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया था।
  • 31 मार्च, वर्ष 2000 के बाद इस अधिनियम को बंद कर दिया गया था।

एक्सपेंडिचर टैक्स

  • एक्सपेंडिचर यानी खर्च, येटैक्स किसी व्यक्ति द्वारा कियेगए खर्चों पर लगाया जाता है, यदि को खर्च टैक्स के दायरे में आता है।
  • इसे टैक्सअधिनियम, 1987 के अनुसार लागू किया गया था।
  • यह जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है।
  • लागू टैक्स कुल खर्चका 10 – 15% है।

गिफ्ट टैक्स

  • किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहारपर “अन्य स्रोतों से प्राप्त आय” के तहत, गिफ्ट टैक्स लगाया जाता है।
  • गिफ्ट टैक्स का उल्लेख इनकम टैक्सअधिनियम, 1961 की धारा 56 (2) (x) के तहत किया गया है।
  • एक वर्ष में 50,000रु. से कम की राशि वाले उपहारों को टैक्स से छूट दी जाती है।
  • विवाह में प्राप्त उपहार और धन को टैक्स से मुक्त रखा गया है।
  • बिना किसी सेवा दिए 50,000 रू. के अतिरिक्त धन की कुल राशि पर 100% टैक्स लगाया जाता है।

एक्साइज ड्यूटी

  • केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी अधिनियम, 1985 के तहत लगाए गए इन-डायरेक्टटैक्स का एक रूप है।
  • यह उन वस्तुओं पर लगता है जो भारत में उपयोग के लिए देश में ही बनती हैं।
  • निर्माता टैक्स का भुगतान तब करता है जब माल बनकट बाज़ार में चला जाता है।
  • GST के लागू होने के बाद, इस टैक्स को हटा दिया गया है

कस्टम ड्यूटी

  • वस्तुओं के एक्सपोर्टऔर इम्पोर्ट पर लगाया जाने वाला टैक्स कस्टम ड्यूटी कहलाता है।
  • यह मुख्य रूप से माल के आने और जाने परनियंत्रित करता है।
  • घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए यह समय-समय पर बदलता रहता है
  • WTO, FTA,  आदि के तहत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर कस्टम ड्यूटी निर्भर करती है।

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कॉरपोरेट टैक्स

  • यह घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियों की आय पर लगाया जाने वाला टैक्स है और यह इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 के तहत लगाया जाता है।
  • कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत रजिस्टरकंपनी की”शुद्ध आय” पर कॉर्पोरेट टैक्स लगाया जाता है।
  • केवल भारत में इनकम पर कॉर्पोरेट टैक्स के तहत टैक्स लगाया जाता है।
  • घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30% है और विदेशी कंपनियों का 40%।
  • कंपनियों पर उनकी कमाई और राजस्व के आधार पर सरचार्जभी लगाया जाता है

सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स

  • मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से प्रतिभूतियों के मूल्य पर लगाए गए टैक्स को सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स कहा जाता है।
  • यह डायरेक्ट टैक्स केंद्र सरकार द्वारा लगाया और वसूला जाता है।
  • स्टॉक, शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर, डेरिवेटिव, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड आदि जैसे उत्पादों पर ये टैक्स लगाया जाता है।
  • ऑफ-मार्केट ट्रांजैक्शन पर नहीं लगाया जाता है।
  • म्युचुअल फंड या ETF के रिडंप्शन पर लागू STT 0.025% है।
  • MF या ETF की बिक्री पर लगाया गया STT 0.001% है और यह केवल विक्रेता पर लगाया जाता है।

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बलुवाना न्यूज 6 कोरोना वायरस का प्रसार:बीते 24 घंटे में देश में 19,100 नया केस, महाराष्ट्र-केरल के ब

बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रही है। इससे पॉल्युशन रोकने में भी मदद मिलेगी। बायोमीथेन फ्यूज का यूज एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गाय के गोबर से जो बायोमीथेन ईंधन तैयार होता है, उससे 270 BHP का ट्रैक्टर आसानी से चलाया जा सकता है। ब्रिटेन के साइंटिस्ट ने इस ट्रैक्टर को बनाने का काम किया है। यह उसी तरह काम करेगा, जिस तरह से CNG की गाड़ियां काम करती हैं। किस तरह काम करेगा यह ट्रैक्टर इस ट्रैक्टर को चलाने के लिए गायों के गोबर को इकट्ठा कर उसे बायोमीथेन (Positive Methane) में बदला गया। इसके लिए ट्रैक्टर में एक क्रॉयोजेनिक टैंक भी वैज्ञानिकों ने लगाया है। जिसमें गोबर से तैयार बायोमीथेन फ्यूल का यूज किया जाता है। क्रॉयोजेनिक टैंक (cryogenic tank) 162 डिग्री के टेंपरेचर में बायोमीथेन को लिक्विफाइड करने का काम करता है। खेती-किसानी होगा आसान इस ट्रैक्टर का टेस्ट कॉर्नवॉल (Cornwall) के एक खेत में किया गया है। इसका फायदा ये हुआ कि सिर्फ एक साल में ही कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 2,500 टन से घटकर 500 टन हो गया। इस ट्रैक्टर के आने से खेती-किसानी आसान होगी और डीजल पर आने वाला खर्च कम होगा।

   बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।   आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रह...

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,,आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है।सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभपारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है।अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढऩा चाहते हों, योग और ध्यान में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की पूजा एवं उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।यदि आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो, लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी समस्त कष्ट दूर हो जायेगे।संकटों से मुक्ति के लिए किसी भी माह में प्रदोष के दिन पारद के शिवलिंग की षोडशोपचार पूजा करके शिव महिमा मन्त्र से अभिषेक करें। फिर हर दिन पूजन करते रहें, कुछ ही समय में आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है। कर्ज मुक्ति होती है।अगर आपके घर या व्यापार स्थल पर अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो। तो पारद के शिवलिंग की पूजा करे।आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढऩा शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी। मेरे घर मे जो जल पारद के शिवलिंग पर चढ़ता है, वही गमले मे डाल दिया जाता है।पारद शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करने से समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।पारद के शिवलिंग के दर्शन मात्र से आपकी सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और धन-यश की इच्छा पूर्ण होती है।जो भी भक्त पारद शिवलिंग की पूजा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं महाकाल और महाकाली करते हैं।इस शिवलिंग के स्पर्श मात्र से दैवीय शक्तियां व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।आत्मविश्वास की कमी है तो करे पारद के शिवलिंग की पूजा। जो लोग अपनी बात सार्वजनिक रूप से खुलकर नही रख पाते है।लोग आपको दब्बू की संज्ञा देते हैं तो आपको नियमित रूप से पारद शिवलिंग की पूजा करना चाहिए। इससे मस्तिष्क को उर्वरता प्राप्त होती है। वाक सिद्धि प्राप्त होती है। हजारों लोगों को अपनी वाणी से सम्मोहित करने की क्षमता आ जाती है।पारद शिवलिंग की पूजा करने से धन से संबंधित, परिवार से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित और आपके जीवन से जुड़ी हुई हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या का अंत होता है।यह शिवलिंग घर की बुरी शक्तियों को दूर करती है |किसी भी तरह का जादू टोना घर के सदस्यों पर होने से रोकता है |परिवार के सदस्यों को असीम शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है |यह घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करता हैअगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है | ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है |ऐसे करे पारद के शिवलिंग की पूजासर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:चौथी बार ॐशिवाय नम:हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।मीठे का भोग लगा दे।भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।मेरे घर के पारद के शिवलिंगमेरे घर के पूजा घर के दो जगहों पर दो पारद के शिवलिंग थे । एक पूजा घर से चोरी हो गया या ग़ायब हो गया नही पता चला।उस शिवलिंग का पता नही चला उसकी मैं पूजा और ध्यान किया करता था। मुझे काफी लाभ मिला था । उस शिवलिंग पर मुझे बहुत श्रद्धा थी। चोरी हो गया अफसोस है , शायद मुझसे ज्यादा उसको जरूरत होगी ।ये पारद शिवलिंग है मेरे घर के पूजा घर मे है ।पारद का शिवलिंग बहुत कम देखने को मिलता है , पारद का शिवलिंग बनाने की एक विधि होती है । मेरे गुरुजी के शिष्य ने ये विद्या गुरुजी से सीखी थी , उन्होंने बना कर दो हम लोगो को दिया था , एक छोटा था , एक बड़ा था । उस शिष्य ने जब इस विद्या का धंधा शुरू कर दिया तो गुरुजी ने उसे आश्रम से निकाल दिया तब से आज तक उससे मुलाकात नही हो पाई।पारद के शिवलिंग का महत्वप्राचीन ग्रंथों में पारद को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है। इसका वर्णन चरक संहिता आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थों में भी मिलता है। शिवपुराण में पारद को शिव का वीर्य कहा गया है। वीर्य बीज है, जो संपूर्ण जीवों की उत्पत्ति का कारक है। इसी के माध्यम से भौतिक सृष्टि का विस्तार होता है। पारे को प्राकृतिक रूप से प्रबल ऊर्जा प्रदान करने वाला रासायनिक तत्व कहा गया है। पारे से बने शिवलिंग को समस्त प्रकार की वस्तुओं से बने शिवलिंगों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और इसकी पूजा सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाली कही गई है। ग्रंथों में शिव लिंग को ब्रम्हांड का प्रतीक माना गया है। जानकारों के अनुसार रुद्र संहिता में शिव लिंगों के भी प्रकार बताए गए हैं, जो सृष्टि में व्याप्त अलग-अलग ब्रम्हांडों के प्रतीक माने जाते हैं। वैदिक ग्रंथों में पारे को संसार के समस्त राग, द्वेष, विकार का विनाशक माना गया है। जो लोग अध्यात्म की राह पर चलना चाहते हैं, उनके लिए पारद शिवलिंग की पूजा अवश्य करना चाहिए। समस्त प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए भी पारद शिवलिंग की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि पारे के शिव लिंग को यदि निश्चित आकार में घर पर रखा जाए तो सारे वास्तुदोष्ज्ञ स्वत: समाप्त हो जाते हैं। इस शिवलिंग को पूरे शिव परिवार के साथ रखा जाना चाहिए। पूजन विधि में, समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति में पारद से बने शिवलिंग एवं अन्य आकृतियों का विशेष महत्व होता है।सरल नही है पारद का शिवलिंग बनानापारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्य धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम।इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, सोना, चाँदी,ताबा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए। इन सब को मिलाकर ठोस रूप दिया जाता है।पारद का शोधन अत्यंत कठिन कार्य होता है। इसको शोधित करने जैसी कठिन एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, तब जाकर पारा ठोस आकार ग्रहण करता है पारद शिवलिंग बनाने की एक विद्या होती है जिसको सीखना पड़ता है । इसे ठोस बनाने के लिए वैदिक क्रियाओं सहित चौसठ दिव्य औषधियों का मिश्रण करना पड़ता है। निर्माण के बाद उसे मांत्रिक क्रियाओं के जरिए रससिद्ध एवं चैतन्य किया जाता है, तब जाकर पारद शिवलिंग पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है तो उसकी पूजा होती है। असली पारद शिवलिंग का निर्माण एक विशेष समय अवधि में ही होता है | इस विशेष समय को विजयकाल के नाम से जाना जाता है | बाजार में दिखावे के भी पारद शिवलिंग भी मिलते है जो ठग विद्या के लिए बने है | इन्हे खरीदने से पहले इनकी अच्छे से जांच कर लेनी चाहिएवनिता कासनियां पंजाबकहाँ होता है निर्माणभोपाल से 142 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे बने बापौली-मांगरोल आश्रम में इन दिनों पारद शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। 8 महीने में 64 जड़ी-बूटियों के साथ सोना-चांदी-ताबा मिलाकर इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनकी कीमत 11000 रुपए से शुरू होकर 1 करोड़ तक होती है। यहाँ साल भर में 30 से 35 पारद शिवलिंग बनते है। रायसेन जिले के बरेली तहसील में नर्मदा किनारे मांगरौल आश्रम बना है। यहां बरसों से पारद शिवलिंग बनाया जाता है। देश के कई हिस्सों से लोग साल भर यहां शिवलिंग बनवाने आते हैं। ये काम पूरे साल चलता रहता है। सावन सोमवार और महाशिवरात्रि आने पर इनकी मांग बढ़ जाती है। पारद शिवलिंग को बनाना बेहद मुश्किल काम है। बिना किसी मशीनी मदद से पारे को साफ करने के लिए 8 संस्कार किए जाते हैं। अष्ट संस्कार में 6 महीने लग जाते हैं। 2 महीने 15 दिन से लगते हैं बाकी क्रियाओं में और इसके बाद पारद शिवलिंग बन कर तैयार होता है बाद सभी 64 औषधियां मिलाकर पारद को ठोस बनाया जाता है। कपारद का प्रभाव बढ़ाने के लिए सोना-चांदी भी मिलाया जाता है।स्रोत इमेज गूगल/ मेरा फोनस्रोत लिंकसमस्त सुखों की प्राप्ति के लिए कीजिए पारद शिवलिंग की पूजापारद शिवलिंग का महत्व महिमा और इसे पूजने से होने वाले लाभघर में रखें पारद शिवलिंग, जानें इनकी पूजा के कितने हैं फायदेपारद शिवलिंगपारद शिवलिंग

,, आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभ पारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है । पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज क...