4464005860401745 आज की खोज मानव खोज रहा है ये 10 रहस्य, आप भी जानिए... प्रस्तुति : वनिता कासनियां पंजाब पहले बल्ब का जलना, विमान का उड़ना, सिनेमा और टीवी का चलन, मोबाइल पर बात करना और कार में घूमना एक रहस्य और कल्पना की बातें हुआ करती थीं। आज इसके आविष्कार से दुनिया तो बदल गई है, लेकिन आदमी वही मध्ययुगीन सोच का ही है। धरती तो कई रहस्यों से पटी पड़ी है। उससे कहीं ज्यादा रहस्य तो समुद्र में छुपा हुआ है। उससे भी कहीं ज्यादा आकाश रहस्यमयी है और उससे कई गुना अं‍तरिक्ष में अंतहीन रहस्य छुपा हुआ है। दुनिया में ऐसे कई रहस्य हैं जिनका जवाब अभी भी खोजा जाना बाकी है। विज्ञान के पास इनके जवाब नहीं हैं, लेकिन खोज जारी है। ऐसे कौन-कौन से रहस्य हैं जिनके खुलने पर इंसान ही नहीं, धरती का संपूर्ण भविष्य बदल जाएगा। आओ जानते हैं ऐसी ही 10 रहस्य और रोमांच से भरी बतों को... सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। 2. अमर होने का रहस्य : अमर कौन नहीं होना चाहता? समुद्र मंथन में अमृत निकला। इसे प्राप्त करने के लिए देवताओं ने दानवों के साथ छल किया। देवता अमर हो गए। मतलब कि क्या समुद्र में ऐसा कुछ है कि उसमें से अमृत निकले? तो आज भी निकल सकता है? अभी अधिकतम 100 साल के जीवन में अनेकानेक रोग, कष्ट, संताप और झंझट हैं तो अमरता प्राप्त करने पर क्या होगा? 100 वर्ष बाद वैराग्य प्राप्त कर व्यक्ति हिमालय चला जाएगा। वहां क्या करेगा? बोर हो जाएगा तो फिर से संसार में आकर रहेगा। बस यही सिलसिला चलता रहेगा। महाभारत में 7 चिरंजीवियों का उल्लेख मिलता है। चिरंजीवी का मतलब अमर व्यक्ति। अमर का अर्थ, जो कभी मर नहीं सकते। ये 7 चिरंजीवी हैं- राजा बलि, परशुराम, विभीषण, हनुमानजी, वेदव्यास, अश्वत्थामा और कृपाचार्य। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि मार्कंडेय ऋषि भी चिरंजीवी हैं। माना जाता है कि ये सातों पिछले कई हजार वर्षों से इस धरती पर रह रहे हैं, लेकिन क्या धरती पर रहकर इतने हजारों वर्ष तक जीवित रहना संभव है? हालांकि कई ऐसे ऋषि-मुनि थे, जो धरती के बाहर जाकर फिर लौट आते थे और इस तरह वे अपनी उम्र फ्रिज कर बढ़ते रहते थे। हालांकि हिमालय में रहने से भी उम्र बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में ऐसी कई कथाएं हैं जिसमें लिखा है कि अमरता प्राप्त करने के लिए फलां-फलां दैत्य या साधु ने घोर तप करके शिवजी को प्रसन्न कर लिया। बाद में उसे मारने के लिए भगवान के भी पसीने छूट गए। अमर होने के लिए कई ऐसे मंत्र हैं जिनके जपने से शरीर हमेशा युवा बना रहता है। महामृत्युंजय मंत्र के बारे में कहा जाता है कि इसके माध्यम से अमरता पाई जा सकती है। वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, पुराण, योग और आयुर्वेद में अमरत्व प्राप्त करने के अनेक साधन बताए गए हैं। आयुर्वेद में कायाकल्प की विधि उसका ही एक हिस्सा है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि विज्ञान इस दिशा में क्या कर रहा है? विज्ञान भी इस दिशा में काम कर रहा है कि किस तरह व्यक्ति अमर हो जाए अर्थात कभी नहीं मरे। सावित्री-सत्यवान की कथा तो आपने सुनी ही होगी। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। सावित्री और यमराज के बीच लंबा संवाद हुआ। इसके बाद भी यह पता नहीं चलता है कि सावित्री ने ऐसा क्या किया कि सत्यवान फिर से जीवित हो उठा। इस जीवित कर देने या हो जाने की प्रक्रिया के बारे में महाभारत भी मौन है। जरूर सावित्री के पास कोई प्रक्रिया रही होगी। जिस दिन यह प्रक्रिया वैज्ञानिक ढंग से ज्ञात हो जाएगी, हम अमरत्व प्राप्त कर लेंगे। आपने अमरबेल का नाम सुना होगा। विज्ञान चाहता है कि मनुष्य भी इसी तरह का बन जाए, कायापलट करता रहा और जिंदा बना रहे। वैज्ञानिकों का एक समूह चरणबद्ध ढंग से इंसान को अमर बनाने में लगा हुआ है। समुद्र में जेलीफिश (टयूल्रीटोप्सिस न्यूट्रीकुला) नामक मछली पाई जाती है। यह तकनीकी दृष्टि से कभी नहीं मरती है। हां, यदि आप इसकी हत्या कर दें या कोई अन्य जीव जेलीफिश का भक्षण कर ले, फिर तो उसे मरना ही है। इस कारण इसे इम्मोर्टल जेलीफिश भी कहा जाता है। जेलीफिश बुढ़ापे से बाल्यकाल की ओर लौटने की क्षमता रखती है। अगर वैज्ञानिक जेलीफिश के अमरता के रहस्य को सुलझा लें, तो मानव अमर हो सकता है। क्या कर रहे हैं वैज्ञानिक : वैज्ञानिक अमरता के रहस्यों से पर्दा हटाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए कई तरह की दवाइयों और सर्जरी का विकास किया जा रहा है। अब इसमें योग और आयुर्वेद को भी महत्व दिया जाने लगा है। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के बारे में आयोजित एक व्यापक सर्वे में पाया गया कि उम्र बढ़ाने वाली 'गोली' को बनाना संभव है। रूस के साइबेरिया के जंगलों में एक औषधि पाई जाती है जिसे जिंगसिंग कहते हैं। चीन के लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल करके देर तक युवा बने रहते हैं। ' जर्नल नेचर' में प्रकाशित 'पजल, प्रॉमिस एंड क्योर ऑफ एजिंग' नामक रिव्यू में कहा गया है कि आने वाले दशकों में इंसान का जीवनकाल बढ़ा पाना लगभग संभव हो पाएगा। अखबार 'डेली टेलीग्राफ' के अनुसार एज रिसर्च पर बक इंस्टीट्यूट, कैलिफॉर्निया के डॉक्टर जूडिथ कैंपिसी ने बताया कि सिंपल ऑर्गनिज्म के बारे में मौजूदा नतीजों से इसमें कोई शक नहीं कि जीवनकाल को बढ़ाया-घटाया जा सकता है। पहले भी कई स्टडीज में पाया जा चुका है कि अगर बढ़ती उम्र के असर को उजागर करने वाले जिनेटिक प्रोसेस को बंद कर दिया जाए, तो इंसान हमेशा जवान बना रह सकता है। जर्नल सेल के जुलाई के अंक में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया कि बढ़ती उम्र का प्रभाव जिनेटिक प्लान का हिस्सा हो सकता है, शारीरिक गतिविधियों का नतीजा नहीं। खोज और रिसर्च जारी है...। अगले पन्ने पर तीसरा रहस्य... 3. गायब हो जाने का रहस्य : अमर होने से ज्यादा लोगों में गायब होने की तमन्ना है। जिसने भी 'मिस्टर इंडिया' फिल्म देखी होगी वह जानता है कि इसके ऐसे भी फायदे हो सकते हैं। गायब या अदृश्य होना मनुष्य की प्राचीन अभिलाषा रही है जिसके लिए समय-समय पर तरह-तरह के प्रयोग होते रहे हैं। इसके लिए कई सिद्धांत गढ़े गए हैं। हालांकि अभी अदृश्य होने का कोई पुख्ता फॉर्मूला विकसित नहीं हुआ है लेकिन अमेरिका सहित दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च में लगे हुए हैं ताकि हजारों अदृश्य मानवों से जासूसी करवाई जा सके और दूसरों देशों में अशांति फैलाई जा सके। हो सकता है कि आने वाले समय में नैनो टेक्नोलॉजी से यह संभव हो। अगले पन्ने पर चौथा रहस्य... 4. ब्रह्मांड के बनने का रहस्य : आजकल के ‍वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य को जानने से ज्यादा उसके अंत में उत्सुक हैं। वे बताते रहते हैं कि धरती पर जीवन का खात्मा इस तरह होगा। सूर्य ठंडा हो जाएगा। ग्रह-नक्षत्र आपस में टकरा जाएंगे। तब क्या होगा? इसलिए मानव को अभी से ही दूसरे ग्रहों को तलाश करना चाहिए। अधिकतर वैज्ञानिक शायद यह मान ही बैठे हैं ‍कि उत्पत्ति का रहस्य तो हम जान चुके हैं। बिग बैंग का सिद्धांत अकाट्य है। लेकिन कई ऐसे वैज्ञानिक हैं, जो यह कहते हैं कि हमने अभी भी ब्रह्मांड की उत्पत्ति और धरती पर जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को नहीं सुलझाया है। अभी तक जितने भी सिद्धांत बताए जा रहे हैं वे सभी तर्क से खारिज किए जा सकते हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत को महाविस्फोट (The Big Bang) कहते हैं। इसके अनुसार अब से लगभग 14 अरब वर्ष पहले एक बिंदु से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है। फिर उस बिंदु में महाविस्फोट हुआ और असंख्य सूर्य, ग्रह, नक्षत्र आदि का जन्म होता गया। वैज्ञानिक मानते हैं कि बिंदु के समय ब्रह्मांड के सभी कण एक-दूसरे के एकदम पास-पास थे। वे इतने ज्यादा पास-पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिंदु की शक्ल में था। यह बिंदु अत्यधिक घनत्व का, अत्यंत छोटा बिंदु था। ब्रह्मांड का यह बिंदु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म रहा होगा। इस स्थिति में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिति है, जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिति में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल या समय के कोई मायने नहीं रहते हैं। इस स्थिति में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक महाविस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक-दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया। हालांकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति और प्रलय के बारे में अभी भी प्रयोग और शोध जारी है। सबसे बड़े प्रयोग की चर्चा करें तो महाप्रयोग सर्न के वैज्ञानिक कर रहे हैं। ये वैज्ञानिक उस खास कण को ढूंढने में लगे हैं जिसके कारण ब्रह्मांड बना होगा। दावा किया जाता है कि फ्रांस और स्विट्जरलैंड की बॉर्डर पर बनी दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने वो कण ढूंढ लिया है जिसे गॉड पार्टिकल यानी भगवान का कण कहा जाता है। इसे उन्होंने 'हिग्स बोसन' नाम दिया है। सर्न के वैज्ञानिकों को 99 फीसदी यकीन है कि गॉड पार्टिकल का रहस्य सुलझ गया है। मतलब 1 प्रतिशत संदेह है? हमारा ब्रह्मांड रहस्य-रोमांच और अनजानी-अनसुलझी पहेलियों से भरा है। सदियों से इंसान सवालों की भूलभुलैया में भटक रहा है कि कैसे बना होगा ब्रह्मांड, कैसे बनी होगी धरती, कैसे बना होगा फिर इंसान। हालांकि धर्मग्रंथों में रेडीमेड उत्तर लिखे हैं कि भगवान ने इसे बनाया और फिर 7वें दिन आराम किया। अगले पन्ने पर पांचवां रहस्य... 5. बिगफुट का रहस्य : अमेरिका, अफ्रीका, चीन, रूस और भारत में बिगफुट की खोज जारी है। कई लोग बिगफुट को देखे जाने का दावा करते हैं। पूरे विश्व में इन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। तिब्बत और नेपाल में इन्हें 'येती' का नाम दिया जाता है तो ऑस्ट्रेलिया में 'योवी' के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे 'यति' कहते हैं। ज्यादा बालों वाले इंसान जंगलों में ही रहते थे। जंगल में भी वे वहां रहते थे, जहां कोई आता-जाता नहीं था। माना जाता था कि ज्यादा बालों वाले इंसानों में जादुई शक्तियां होती हैं। ज्यादा बालों वाले जीवों में बिगफुट का नाम सबसे ऊपर आता है। बिगफुट के बारे में आज भी रहस्य बरकरार है। अगले पन्ने पर छठा रहस्य... 6. एलियंस का रहस्य : वर्षों के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 10 हजार ईपू धरती पर एलियंस उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया और अंतत: उन्होंने इस तरह धरती पर कई प्रॉफेट पैदा कर दिए। क्या इस बात में सच्चाई है? अब वैज्ञानिक तो यही मानते हैं। हालांकि उन्होंने कभी एलियंस को देखा नहीं फिर भी वे विश्वास करते हैं कि धरती के बाहर किसी अन्य धरती पर हमारे जैसे ही लोग या कुछ अलग किस्म के लोग रहते हैं, जो हमसे भी ज्यादा बुद्धिमान हैं। आज नहीं तो कल उनसे हमारी मुलाकात हो जाएगी। हालांकि यह कल कब आएगा? नासा के शीर्ष वैज्ञानिकों ने कहा कि एलियन के जीवन का संकेत 2025 तक पता चल जाएगा जबकि परग्रही जीव के बारे में ‘निश्चित सबूत’ अगले 20-30 साल में मिल सकता है। यदि नासा का यह दावा सच साबित होता है तो सवाल यह उठता है कि तब क्या होगा? क्या एलियन मानव जैसे हैं या कि जैसी उनके बारे में कल्पना की गई है, वैसे हैं? यदि वे मिल गए तो मानव के साथ कैसा व्यवहार करेंगे? अगले पन्ने पर सातवां रहस्य... 7. गति का रहस्य : गति ने ही मानव का जीवन बदला है और गति ही बदल रही है। बैलगाड़ी और घोड़े से उतरकर व्यक्ति साइकल पर सवार हुआ। फिर बाइक पर और अब विमान में सफर करने लगा। पहले 100 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए 2 दिन लगते थे अब 2 घंटे में 100 किलोमीटर पहुंच सकते हैं। रफ्तार ने व्यक्ति की जिंदगी बदल दी। पहले पत्र को 400 किलोमीटर पहुंचने में पूरा 1 हफ्ता लगता था अब मेल करेंगे तो 4 सेकंड में 6 हजार किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति को मिल जाएगी। मोबाइल करेंगे तो 1 सेकंड में वह आपकी आवाज सुन लेगा। तो कहने का मतलब यह है कि गति का जीवन में बहुत महत्व है। इस गति के कारण ही पहले मानव का भविष्य कुछ और था लेकिन अब भविष्य बदल गया है। मानव के पास अभी इतनी गति नहीं है कि वह चंद्रमा पर जाकर चाय की एक चुस्की लेकर पुन: धरती पर 1 घंटे में वापस लौट आए। मंगल ग्रह पर शाम को यदि किसी ने डिनर का आयोजन किया हो तो धरती पर सुबह होते ही पुन: लौट आए। जब इतनी गति विकसित हो जाएगी तब आज हम जो विकास देख रहे हैं उससे कई हजार गुना ज्यादा विकास हो जाएगा। वैज्ञानिक इस तरह की गति को हासिल करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। मानव चाहता है प्रकाश की गति से यात्रा करना : आकाश में जब बिजली चमकती है तो सबसे पहले हमें बिजली की चमक दिखाई देती है और उसके बाद ही उसकी गड़गड़ाहट सुनाई देती है। इसका मतलब यह कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज है। वैज्ञानिकों ने ध्वनि की गति तो हासिल कर ली है लेकिन अभी प्रकाश की गति हासिल करना जरा टेढ़ी खीर है। बहुत सी ऐसी मिसाइलें हैं जिनकी मारक क्षमता ध्वनि की गति से भी तेज है। ऐसे भी लड़ाकू विमान हैं, जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ते हैं। लेकिन मानव चाहता है कि ध्वनि की गति से कार चले, बस चले और ट्रेन चले। हालांकि इसमें वह कुछ हद तक सफल भी हुआ है और अब इच्छा है कि प्रकाश की गति से चलने वाला अंतरिक्ष विमान हो। प्रकाश की गति इतनी ज्यादा होती है कि यह लंदन से न्यूयॉर्क की दूरी को 1 सेकंड में 50 से ज्यादा बार तय कर लेगी। यदि ऐसी स्पीड संदेश भेजने में हो तो मंगल ग्रह पर संदेश भेजने में 12.5 मिनट लगेंगे। अब यदि हमें मंगल ग्रह पर जाकर लौटना है तो प्रकाश की गति ही हासिल करना होगी अन्यथा जा तो सकते हैं लेकिन लौटने की कोई गारंटी नहीं। अब आप जोड़ सकते हैं कि 22 करोड़ किलोमीटर दूर जाने में कितना समय लगेगा यदि हम 1,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से जाएं तो...। क्या है प्रकाश की गति : अंतरिक्ष जैसी शून्यता में प्रकाश की एकदम सही गति 2,99,792.458 किलोमीटर प्रति सेकंड है। ऋग्वेद में सूर्य की प्रकाश की गति लगभग इतनी ही बताई गई है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग 14,96,00,000 किलोमीटर या 9,29,60,000 मील है तथा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 16.6 सेकंड का समय लगता है। एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की जाने वाली दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। एक प्रकाश वर्ष का मतलब होता है लगभग 9,500 अरब किलोमीटर। यह होती है प्रकाश की गति। अगले पन्ने पर 8वां रहस्य... जीवन की शुरुआत : धरती पर जीवन की शुरुआत कब और कैसे हुई? किसने की या यह कि यह क्रमविकास का परिणाम है? ये कुछ सवाल जिनके जवाब अभी भी ढूंढे जा रहे हैं। सवाल यह भी है कि यह शुरुआत पृथ्वी पर ही क्यों हुई? कई शोध बताते हैं कि मनुष्य का विकास जटिल अणुओं के विघटन और सम्मिलन से हुआ होगा, लेकिन सारे जवाब अभी नहीं मिले हैं। हालांकि चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत में त्रुटी है तो महर्षि अरविंद का सिद्धांत तार्किक ही है। लेकिन विज्ञान आज भी डार्विन के सिद्धांत को मानने को मजबूर है, लेकिन अब कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारी धरती पर जीवन की शुरुआत परग्रही लोगों ने की है जिन्हें आजकल एलियन कहा जाता है। डीएनए कोड पर अभी रिसर्च जारी है। पश्चिमी धर्म कहता है कि मानव की उत्पत्ति ईश्‍वर ने की। उसने पहले आदम को बनाया फिर उसकी ही छाती की एक पसली से हव्वा को। जबकि पूर्वी धर्मों के पास दो तरह के सिद्धांत है पहला यह कि मानव की रचना ईश्वर ने की और दूसरी की आठ तत्वों से संपूर्ण संसार की क्रमश: रचना हुई। उक्त आठ तत्वों में पंच तत्व क्रमश: है आकाश, वायु, अग्नि, जल और धरती। अगले पन्ने पर नौवां सिद्धांत... डार्क मैटर : अंतरिक्ष में 80 फीसदी से ज्यादा पदार्थ दिखाई नहीं देता इसे डार्क मैटर कहते हैं। वैज्ञानिक अभी तक इसकी खोज में लगे हुए हैं। आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि डार्क मैटर किस चीज से बना है। अगले पन्ने पर 10 वां रहस्य... कैसे काम करता है गुरुत्वाकर्षण : न्यूटन ने यह तो कह दिया की धरती में गुरुत्वाकर्षण बल है जिसके कारण चीजें टीकी रहती है लेकिन यह बल कहां से आया, कैसे काम करता है यह नहीं बताया। हालांकि न्यूटन से पहले भास्कराचार्य ने भी गुरुत्वाकर्षण बल की चर्चा की लेकिन उन्होंने भी यह नहीं बताया कि यह बल काम कैसे करता है। पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे सूर्य के कक्ष में स्थिर रखता है अन्यथा पृथ्वी किसी अंधकार में खो जाती। चंद्रमाका गुरुत्वबल धरती पर फैला समुद्र है। लेकिन यह गुरुत्वाकर्षण बल असल में कहां से आया, वैज्ञानिक इसे पूरी तरह से स्पष्ट नहीं कर पाए हैं। यह गुरुत्वाकर्षण अन्य कणों के गुरुत्व केंद्र के साथ कैसे संतुलन बनाता है? खगोल विज्ञान को वेद का नेत्र कहा गया, क्योंकि सम्पूर्ण सृष्टियों में होने वाले व्यवहार का निर्धारण काल से होता है और काल का ज्ञान ग्रहीय गति से होता है। अत: प्राचीन काल से खगोल विज्ञान वेदांग का हिस्सा रहा है। ऋग्वेद, शतपथ ब्राहृण आदि ग्रथों में नक्षत्र, चान्द्रमास, सौरमास, मल मास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायन, दक्षिणायन, आकाशचक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के संदर्भ में अनेक उद्धरण मिलते हैं। सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

He fell asleep because we could sleep peacefully.It was an Indian soldier who got martyred today.Jai HindMilitaryThere are lights in our Diwali because someone is standing on the border in the dark.Jai Hindwhat did a soldier lose

हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया, वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया. जय हिन्द Army  हमारी दिवाली में रोशनी इसलिए हैं क्योंकि सरहद पर अँधेरे में कोई खड़ा हैं. जय हिन्द एक सैनिक ने क्या खूब कहा है. किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं, कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं. नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए. जय हिन्द जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को, भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को, खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है, सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है, जय हिन्द फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं, ऐसे सपूतो को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं. जिसकी वजह से पूरा हिन्दुस्तान चैन से सोता हैं, कड़ी ठंड, गर्मी और बरसात में अपना धैर्य न खोता ह...

आज की खोज मानव खोज रहा है ये 10 रहस्य, आप भी जानिए... प्रस्तुति : वनिता कासनियां पंजाब पहले बल्ब का जलना, विमान का उड़ना, सिनेमा और टीवी का चलन, मोबाइल पर बात करना और कार में घूमना एक रहस्य और कल्पना की बातें हुआ करती थीं। आज इसके आविष्कार से दुनिया तो बदल गई है, लेकिन आदमी वही मध्ययुगीन सोच का ही है। धरती तो कई रहस्यों से पटी पड़ी है। उससे कहीं ज्यादा रहस्य तो समुद्र में छुपा हुआ है। उससे भी कहीं ज्यादा आकाश रहस्यमयी है और उससे कई गुना अं‍तरिक्ष में अंतहीन रहस्य छुपा हुआ है। दुनिया में ऐसे कई रहस्य हैं जिनका जवाब अभी भी खोजा जाना बाकी है। विज्ञान के पास इनके जवाब नहीं हैं, लेकिन खोज जारी है। ऐसे कौन-कौन से रहस्य हैं जिनके खुलने पर इंसान ही नहीं, धरती का संपूर्ण भविष्य बदल जाएगा। आओ जानते हैं ऐसी ही 10 रहस्य और रोमांच से भरी बतों को... सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। 2. अमर होने का रहस्य : अमर कौन नहीं होना चाहता? समुद्र मंथन में अमृत निकला। इसे प्राप्त करने के लिए देवताओं ने दानवों के साथ छल किया। देवता अमर हो गए। मतलब कि क्या समुद्र में ऐसा कुछ है कि उसमें से अमृत निकले? तो आज भी निकल सकता है? अभी अधिकतम 100 साल के जीवन में अनेकानेक रोग, कष्ट, संताप और झंझट हैं तो अमरता प्राप्त करने पर क्या होगा? 100 वर्ष बाद वैराग्य प्राप्त कर व्यक्ति हिमालय चला जाएगा। वहां क्या करेगा? बोर हो जाएगा तो फिर से संसार में आकर रहेगा। बस यही सिलसिला चलता रहेगा। महाभारत में 7 चिरंजीवियों का उल्लेख मिलता है। चिरंजीवी का मतलब अमर व्यक्ति। अमर का अर्थ, जो कभी मर नहीं सकते। ये 7 चिरंजीवी हैं- राजा बलि, परशुराम, विभीषण, हनुमानजी, वेदव्यास, अश्वत्थामा और कृपाचार्य। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि मार्कंडेय ऋषि भी चिरंजीवी हैं। माना जाता है कि ये सातों पिछले कई हजार वर्षों से इस धरती पर रह रहे हैं, लेकिन क्या धरती पर रहकर इतने हजारों वर्ष तक जीवित रहना संभव है? हालांकि कई ऐसे ऋषि-मुनि थे, जो धरती के बाहर जाकर फिर लौट आते थे और इस तरह वे अपनी उम्र फ्रिज कर बढ़ते रहते थे। हालांकि हिमालय में रहने से भी उम्र बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में ऐसी कई कथाएं हैं जिसमें लिखा है कि अमरता प्राप्त करने के लिए फलां-फलां दैत्य या साधु ने घोर तप करके शिवजी को प्रसन्न कर लिया। बाद में उसे मारने के लिए भगवान के भी पसीने छूट गए। अमर होने के लिए कई ऐसे मंत्र हैं जिनके जपने से शरीर हमेशा युवा बना रहता है। महामृत्युंजय मंत्र के बारे में कहा जाता है कि इसके माध्यम से अमरता पाई जा सकती है। वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, पुराण, योग और आयुर्वेद में अमरत्व प्राप्त करने के अनेक साधन बताए गए हैं। आयुर्वेद में कायाकल्प की विधि उसका ही एक हिस्सा है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि विज्ञान इस दिशा में क्या कर रहा है? विज्ञान भी इस दिशा में काम कर रहा है कि किस तरह व्यक्ति अमर हो जाए अर्थात कभी नहीं मरे। सावित्री-सत्यवान की कथा तो आपने सुनी ही होगी। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। सावित्री और यमराज के बीच लंबा संवाद हुआ। इसके बाद भी यह पता नहीं चलता है कि सावित्री ने ऐसा क्या किया कि सत्यवान फिर से जीवित हो उठा। इस जीवित कर देने या हो जाने की प्रक्रिया के बारे में महाभारत भी मौन है। जरूर सावित्री के पास कोई प्रक्रिया रही होगी। जिस दिन यह प्रक्रिया वैज्ञानिक ढंग से ज्ञात हो जाएगी, हम अमरत्व प्राप्त कर लेंगे। आपने अमरबेल का नाम सुना होगा। विज्ञान चाहता है कि मनुष्य भी इसी तरह का बन जाए, कायापलट करता रहा और जिंदा बना रहे। वैज्ञानिकों का एक समूह चरणबद्ध ढंग से इंसान को अमर बनाने में लगा हुआ है। समुद्र में जेलीफिश (टयूल्रीटोप्सिस न्यूट्रीकुला) नामक मछली पाई जाती है। यह तकनीकी दृष्टि से कभी नहीं मरती है। हां, यदि आप इसकी हत्या कर दें या कोई अन्य जीव जेलीफिश का भक्षण कर ले, फिर तो उसे मरना ही है। इस कारण इसे इम्मोर्टल जेलीफिश भी कहा जाता है। जेलीफिश बुढ़ापे से बाल्यकाल की ओर लौटने की क्षमता रखती है। अगर वैज्ञानिक जेलीफिश के अमरता के रहस्य को सुलझा लें, तो मानव अमर हो सकता है। क्या कर रहे हैं वैज्ञानिक : वैज्ञानिक अमरता के रहस्यों से पर्दा हटाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए कई तरह की दवाइयों और सर्जरी का विकास किया जा रहा है। अब इसमें योग और आयुर्वेद को भी महत्व दिया जाने लगा है। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के बारे में आयोजित एक व्यापक सर्वे में पाया गया कि उम्र बढ़ाने वाली 'गोली' को बनाना संभव है। रूस के साइबेरिया के जंगलों में एक औषधि पाई जाती है जिसे जिंगसिंग कहते हैं। चीन के लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल करके देर तक युवा बने रहते हैं। ' जर्नल नेचर' में प्रकाशित 'पजल, प्रॉमिस एंड क्योर ऑफ एजिंग' नामक रिव्यू में कहा गया है कि आने वाले दशकों में इंसान का जीवनकाल बढ़ा पाना लगभग संभव हो पाएगा। अखबार 'डेली टेलीग्राफ' के अनुसार एज रिसर्च पर बक इंस्टीट्यूट, कैलिफॉर्निया के डॉक्टर जूडिथ कैंपिसी ने बताया कि सिंपल ऑर्गनिज्म के बारे में मौजूदा नतीजों से इसमें कोई शक नहीं कि जीवनकाल को बढ़ाया-घटाया जा सकता है। पहले भी कई स्टडीज में पाया जा चुका है कि अगर बढ़ती उम्र के असर को उजागर करने वाले जिनेटिक प्रोसेस को बंद कर दिया जाए, तो इंसान हमेशा जवान बना रह सकता है। जर्नल सेल के जुलाई के अंक में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया कि बढ़ती उम्र का प्रभाव जिनेटिक प्लान का हिस्सा हो सकता है, शारीरिक गतिविधियों का नतीजा नहीं। खोज और रिसर्च जारी है...। अगले पन्ने पर तीसरा रहस्य... 3. गायब हो जाने का रहस्य : अमर होने से ज्यादा लोगों में गायब होने की तमन्ना है। जिसने भी 'मिस्टर इंडिया' फिल्म देखी होगी वह जानता है कि इसके ऐसे भी फायदे हो सकते हैं। गायब या अदृश्य होना मनुष्य की प्राचीन अभिलाषा रही है जिसके लिए समय-समय पर तरह-तरह के प्रयोग होते रहे हैं। इसके लिए कई सिद्धांत गढ़े गए हैं। हालांकि अभी अदृश्य होने का कोई पुख्ता फॉर्मूला विकसित नहीं हुआ है लेकिन अमेरिका सहित दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च में लगे हुए हैं ताकि हजारों अदृश्य मानवों से जासूसी करवाई जा सके और दूसरों देशों में अशांति फैलाई जा सके। हो सकता है कि आने वाले समय में नैनो टेक्नोलॉजी से यह संभव हो। अगले पन्ने पर चौथा रहस्य... 4. ब्रह्मांड के बनने का रहस्य : आजकल के ‍वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य को जानने से ज्यादा उसके अंत में उत्सुक हैं। वे बताते रहते हैं कि धरती पर जीवन का खात्मा इस तरह होगा। सूर्य ठंडा हो जाएगा। ग्रह-नक्षत्र आपस में टकरा जाएंगे। तब क्या होगा? इसलिए मानव को अभी से ही दूसरे ग्रहों को तलाश करना चाहिए। अधिकतर वैज्ञानिक शायद यह मान ही बैठे हैं ‍कि उत्पत्ति का रहस्य तो हम जान चुके हैं। बिग बैंग का सिद्धांत अकाट्य है। लेकिन कई ऐसे वैज्ञानिक हैं, जो यह कहते हैं कि हमने अभी भी ब्रह्मांड की उत्पत्ति और धरती पर जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को नहीं सुलझाया है। अभी तक जितने भी सिद्धांत बताए जा रहे हैं वे सभी तर्क से खारिज किए जा सकते हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत को महाविस्फोट (The Big Bang) कहते हैं। इसके अनुसार अब से लगभग 14 अरब वर्ष पहले एक बिंदु से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है। फिर उस बिंदु में महाविस्फोट हुआ और असंख्य सूर्य, ग्रह, नक्षत्र आदि का जन्म होता गया। वैज्ञानिक मानते हैं कि बिंदु के समय ब्रह्मांड के सभी कण एक-दूसरे के एकदम पास-पास थे। वे इतने ज्यादा पास-पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिंदु की शक्ल में था। यह बिंदु अत्यधिक घनत्व का, अत्यंत छोटा बिंदु था। ब्रह्मांड का यह बिंदु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म रहा होगा। इस स्थिति में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिति है, जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिति में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल या समय के कोई मायने नहीं रहते हैं। इस स्थिति में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक महाविस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक-दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया। हालांकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति और प्रलय के बारे में अभी भी प्रयोग और शोध जारी है। सबसे बड़े प्रयोग की चर्चा करें तो महाप्रयोग सर्न के वैज्ञानिक कर रहे हैं। ये वैज्ञानिक उस खास कण को ढूंढने में लगे हैं जिसके कारण ब्रह्मांड बना होगा। दावा किया जाता है कि फ्रांस और स्विट्जरलैंड की बॉर्डर पर बनी दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने वो कण ढूंढ लिया है जिसे गॉड पार्टिकल यानी भगवान का कण कहा जाता है। इसे उन्होंने 'हिग्स बोसन' नाम दिया है। सर्न के वैज्ञानिकों को 99 फीसदी यकीन है कि गॉड पार्टिकल का रहस्य सुलझ गया है। मतलब 1 प्रतिशत संदेह है? हमारा ब्रह्मांड रहस्य-रोमांच और अनजानी-अनसुलझी पहेलियों से भरा है। सदियों से इंसान सवालों की भूलभुलैया में भटक रहा है कि कैसे बना होगा ब्रह्मांड, कैसे बनी होगी धरती, कैसे बना होगा फिर इंसान। हालांकि धर्मग्रंथों में रेडीमेड उत्तर लिखे हैं कि भगवान ने इसे बनाया और फिर 7वें दिन आराम किया। अगले पन्ने पर पांचवां रहस्य... 5. बिगफुट का रहस्य : अमेरिका, अफ्रीका, चीन, रूस और भारत में बिगफुट की खोज जारी है। कई लोग बिगफुट को देखे जाने का दावा करते हैं। पूरे विश्व में इन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। तिब्बत और नेपाल में इन्हें 'येती' का नाम दिया जाता है तो ऑस्ट्रेलिया में 'योवी' के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे 'यति' कहते हैं। ज्यादा बालों वाले इंसान जंगलों में ही रहते थे। जंगल में भी वे वहां रहते थे, जहां कोई आता-जाता नहीं था। माना जाता था कि ज्यादा बालों वाले इंसानों में जादुई शक्तियां होती हैं। ज्यादा बालों वाले जीवों में बिगफुट का नाम सबसे ऊपर आता है। बिगफुट के बारे में आज भी रहस्य बरकरार है। अगले पन्ने पर छठा रहस्य... 6. एलियंस का रहस्य : वर्षों के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 10 हजार ईपू धरती पर एलियंस उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया और अंतत: उन्होंने इस तरह धरती पर कई प्रॉफेट पैदा कर दिए। क्या इस बात में सच्चाई है? अब वैज्ञानिक तो यही मानते हैं। हालांकि उन्होंने कभी एलियंस को देखा नहीं फिर भी वे विश्वास करते हैं कि धरती के बाहर किसी अन्य धरती पर हमारे जैसे ही लोग या कुछ अलग किस्म के लोग रहते हैं, जो हमसे भी ज्यादा बुद्धिमान हैं। आज नहीं तो कल उनसे हमारी मुलाकात हो जाएगी। हालांकि यह कल कब आएगा? नासा के शीर्ष वैज्ञानिकों ने कहा कि एलियन के जीवन का संकेत 2025 तक पता चल जाएगा जबकि परग्रही जीव के बारे में ‘निश्चित सबूत’ अगले 20-30 साल में मिल सकता है। यदि नासा का यह दावा सच साबित होता है तो सवाल यह उठता है कि तब क्या होगा? क्या एलियन मानव जैसे हैं या कि जैसी उनके बारे में कल्पना की गई है, वैसे हैं? यदि वे मिल गए तो मानव के साथ कैसा व्यवहार करेंगे? अगले पन्ने पर सातवां रहस्य... 7. गति का रहस्य : गति ने ही मानव का जीवन बदला है और गति ही बदल रही है। बैलगाड़ी और घोड़े से उतरकर व्यक्ति साइकल पर सवार हुआ। फिर बाइक पर और अब विमान में सफर करने लगा। पहले 100 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए 2 दिन लगते थे अब 2 घंटे में 100 किलोमीटर पहुंच सकते हैं। रफ्तार ने व्यक्ति की जिंदगी बदल दी। पहले पत्र को 400 किलोमीटर पहुंचने में पूरा 1 हफ्ता लगता था अब मेल करेंगे तो 4 सेकंड में 6 हजार किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति को मिल जाएगी। मोबाइल करेंगे तो 1 सेकंड में वह आपकी आवाज सुन लेगा। तो कहने का मतलब यह है कि गति का जीवन में बहुत महत्व है। इस गति के कारण ही पहले मानव का भविष्य कुछ और था लेकिन अब भविष्य बदल गया है। मानव के पास अभी इतनी गति नहीं है कि वह चंद्रमा पर जाकर चाय की एक चुस्की लेकर पुन: धरती पर 1 घंटे में वापस लौट आए। मंगल ग्रह पर शाम को यदि किसी ने डिनर का आयोजन किया हो तो धरती पर सुबह होते ही पुन: लौट आए। जब इतनी गति विकसित हो जाएगी तब आज हम जो विकास देख रहे हैं उससे कई हजार गुना ज्यादा विकास हो जाएगा। वैज्ञानिक इस तरह की गति को हासिल करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। मानव चाहता है प्रकाश की गति से यात्रा करना : आकाश में जब बिजली चमकती है तो सबसे पहले हमें बिजली की चमक दिखाई देती है और उसके बाद ही उसकी गड़गड़ाहट सुनाई देती है। इसका मतलब यह कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज है। वैज्ञानिकों ने ध्वनि की गति तो हासिल कर ली है लेकिन अभी प्रकाश की गति हासिल करना जरा टेढ़ी खीर है। बहुत सी ऐसी मिसाइलें हैं जिनकी मारक क्षमता ध्वनि की गति से भी तेज है। ऐसे भी लड़ाकू विमान हैं, जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ते हैं। लेकिन मानव चाहता है कि ध्वनि की गति से कार चले, बस चले और ट्रेन चले। हालांकि इसमें वह कुछ हद तक सफल भी हुआ है और अब इच्छा है कि प्रकाश की गति से चलने वाला अंतरिक्ष विमान हो। प्रकाश की गति इतनी ज्यादा होती है कि यह लंदन से न्यूयॉर्क की दूरी को 1 सेकंड में 50 से ज्यादा बार तय कर लेगी। यदि ऐसी स्पीड संदेश भेजने में हो तो मंगल ग्रह पर संदेश भेजने में 12.5 मिनट लगेंगे। अब यदि हमें मंगल ग्रह पर जाकर लौटना है तो प्रकाश की गति ही हासिल करना होगी अन्यथा जा तो सकते हैं लेकिन लौटने की कोई गारंटी नहीं। अब आप जोड़ सकते हैं कि 22 करोड़ किलोमीटर दूर जाने में कितना समय लगेगा यदि हम 1,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से जाएं तो...। क्या है प्रकाश की गति : अंतरिक्ष जैसी शून्यता में प्रकाश की एकदम सही गति 2,99,792.458 किलोमीटर प्रति सेकंड है। ऋग्वेद में सूर्य की प्रकाश की गति लगभग इतनी ही बताई गई है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग 14,96,00,000 किलोमीटर या 9,29,60,000 मील है तथा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 16.6 सेकंड का समय लगता है। एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की जाने वाली दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। एक प्रकाश वर्ष का मतलब होता है लगभग 9,500 अरब किलोमीटर। यह होती है प्रकाश की गति। अगले पन्ने पर 8वां रहस्य... जीवन की शुरुआत : धरती पर जीवन की शुरुआत कब और कैसे हुई? किसने की या यह कि यह क्रमविकास का परिणाम है? ये कुछ सवाल जिनके जवाब अभी भी ढूंढे जा रहे हैं। सवाल यह भी है कि यह शुरुआत पृथ्वी पर ही क्यों हुई? कई शोध बताते हैं कि मनुष्य का विकास जटिल अणुओं के विघटन और सम्मिलन से हुआ होगा, लेकिन सारे जवाब अभी नहीं मिले हैं। हालांकि चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत में त्रुटी है तो महर्षि अरविंद का सिद्धांत तार्किक ही है। लेकिन विज्ञान आज भी डार्विन के सिद्धांत को मानने को मजबूर है, लेकिन अब कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारी धरती पर जीवन की शुरुआत परग्रही लोगों ने की है जिन्हें आजकल एलियन कहा जाता है। डीएनए कोड पर अभी रिसर्च जारी है। पश्चिमी धर्म कहता है कि मानव की उत्पत्ति ईश्‍वर ने की। उसने पहले आदम को बनाया फिर उसकी ही छाती की एक पसली से हव्वा को। जबकि पूर्वी धर्मों के पास दो तरह के सिद्धांत है पहला यह कि मानव की रचना ईश्वर ने की और दूसरी की आठ तत्वों से संपूर्ण संसार की क्रमश: रचना हुई। उक्त आठ तत्वों में पंच तत्व क्रमश: है आकाश, वायु, अग्नि, जल और धरती। अगले पन्ने पर नौवां सिद्धांत... डार्क मैटर : अंतरिक्ष में 80 फीसदी से ज्यादा पदार्थ दिखाई नहीं देता इसे डार्क मैटर कहते हैं। वैज्ञानिक अभी तक इसकी खोज में लगे हुए हैं। आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि डार्क मैटर किस चीज से बना है। अगले पन्ने पर 10 वां रहस्य... कैसे काम करता है गुरुत्वाकर्षण : न्यूटन ने यह तो कह दिया की धरती में गुरुत्वाकर्षण बल है जिसके कारण चीजें टीकी रहती है लेकिन यह बल कहां से आया, कैसे काम करता है यह नहीं बताया। हालांकि न्यूटन से पहले भास्कराचार्य ने भी गुरुत्वाकर्षण बल की चर्चा की लेकिन उन्होंने भी यह नहीं बताया कि यह बल काम कैसे करता है। पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे सूर्य के कक्ष में स्थिर रखता है अन्यथा पृथ्वी किसी अंधकार में खो जाती। चंद्रमाका गुरुत्वबल धरती पर फैला समुद्र है। लेकिन यह गुरुत्वाकर्षण बल असल में कहां से आया, वैज्ञानिक इसे पूरी तरह से स्पष्ट नहीं कर पाए हैं। यह गुरुत्वाकर्षण अन्य कणों के गुरुत्व केंद्र के साथ कैसे संतुलन बनाता है? खगोल विज्ञान को वेद का नेत्र कहा गया, क्योंकि सम्पूर्ण सृष्टियों में होने वाले व्यवहार का निर्धारण काल से होता है और काल का ज्ञान ग्रहीय गति से होता है। अत: प्राचीन काल से खगोल विज्ञान वेदांग का हिस्सा रहा है। ऋग्वेद, शतपथ ब्राहृण आदि ग्रथों में नक्षत्र, चान्द्रमास, सौरमास, मल मास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायन, दक्षिणायन, आकाशचक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के संदर्भ में अनेक उद्धरण मिलते हैं।

 

आज की खोज

मानव खोज रहा है ये 10 रहस्य, आप भी जानिए...

प्रस्तुति : वनिता कासनियां पंजाब 

पहले बल्ब का जलना, विमान का उड़ना, सिनेमा और टीवी का चलन, मोबाइल पर बात करना और कार में घूमना एक रहस्य और कल्पना की बातें हुआ करती थीं। आज इसके आविष्कार से दुनिया तो बदल गई है, लेकिन आदमी वही मध्ययुगीन सोच का ही है। धरती तो कई रहस्यों से पटी पड़ी है। उससे कहीं ज्यादा रहस्य तो समुद्र में छुपा हुआ है। उससे भी कहीं ज्यादा आकाश रहस्यमयी है और उससे कई गुना अं‍तरिक्ष में अंतहीन रहस्य छुपा हुआ है।
दुनिया में ऐसे कई रहस्य हैं जिनका जवाब अभी भी खोजा जाना बाकी है। विज्ञान के पास इनके जवाब नहीं हैं, लेकिन खोज जारी है। ऐसे कौन-कौन से रहस्य हैं जिनके खुलने पर इंसान ही नहीं, धरती का संपूर्ण भविष्य बदल जाएगा। आओ जानते हैं ऐसी ही 10 रहस्य और रोमांच से भरी बतों को...


सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
 
2. अमर होने का रहस्य : अमर कौन नहीं होना चाहता? समुद्र मंथन में अमृत निकला। इसे प्राप्त करने के लिए देवताओं ने दानवों के साथ छल किया। देवता अमर हो गए। मतलब कि क्या समुद्र में ऐसा कुछ है कि उसमें से अमृत निकले? तो आज भी निकल सकता है? अभी अधिकतम 100 साल के जीवन में अनेकानेक रोग, कष्ट, संताप और झंझट हैं तो अमरता प्राप्त करने पर क्या होगा? 100 वर्ष बाद वैराग्य प्राप्त कर व्यक्ति हिमालय चला जाएगा। वहां क्या करेगा? बोर हो जाएगा तो फिर से संसार में आकर रहेगा। बस यही सिलसिला चलता रहेगा।
 
महाभारत में 7 चिरंजीवियों का उल्लेख मिलता है। चिरंजीवी का मतलब अमर व्यक्ति। अमर का अर्थ, जो कभी मर नहीं सकते। ये 7 चिरंजीवी हैं- राजा बलि, परशुराम, विभीषण, हनुमानजी, वेदव्यास, अश्वत्थामा और कृपाचार्य। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि मार्कंडेय ऋषि भी चिरंजीवी हैं।
 
माना जाता है कि ये सातों पिछले कई हजार वर्षों से इस धरती पर रह रहे हैं, लेकिन क्या धरती पर रहकर इतने हजारों वर्ष तक जीवित रहना संभव है? हालांकि कई ऐसे ऋषि-मुनि थे, जो धरती के बाहर जाकर फिर लौट आते थे और इस तरह वे अपनी उम्र फ्रिज कर बढ़ते रहते थे। हालांकि हिमालय में रहने से भी उम्र बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में ऐसी कई कथाएं हैं जिसमें लिखा है कि अमरता प्राप्त करने के लिए फलां-फलां दैत्य या साधु ने घोर तप करके शिवजी को प्रसन्न कर लिया। बाद में उसे मारने के लिए भगवान के भी पसीने छूट गए। अमर होने के लिए कई ऐसे मंत्र हैं जिनके जपने से शरीर हमेशा युवा बना रहता है। महामृत्युंजय मंत्र के बारे में कहा जाता है कि इसके माध्यम से अमरता पाई जा सकती है।
 
वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, पुराण, योग और आयुर्वेद में अमरत्व प्राप्त करने के अनेक साधन बताए गए हैं। आयुर्वेद में कायाकल्प की विधि उसका ही एक हिस्सा है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि विज्ञान इस दिशा में क्या कर रहा है? विज्ञान भी इस दिशा में काम कर रहा है कि किस तरह व्यक्ति अमर हो जाए अर्थात कभी नहीं मरे।
 सावित्री-सत्यवान की कथा तो आपने सुनी ही होगी। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। सावित्री और यमराज के बीच लंबा संवाद हुआ। इसके बाद भी यह पता नहीं चलता है कि सावित्री ने ऐसा क्या किया कि सत्यवान फिर से जीवित हो उठा। इस जीवित कर देने या हो जाने की प्रक्रिया के बारे में महाभारत भी मौन है। जरूर सावित्री के पास कोई प्रक्रिया रही होगी। जिस दिन यह प्रक्रिया वैज्ञानिक ढंग से ज्ञात हो जाएगी, हम अमरत्व प्राप्त कर लेंगे।
 

आपने अमरबेल का नाम सुना होगा। विज्ञान चाहता है कि मनुष्य भी इसी तरह का बन जाए, कायापलट करता रहा और जिंदा बना रहे। वैज्ञानिकों का एक समूह चरणबद्ध ढंग से इंसान को अमर बनाने में लगा हुआ है। समुद्र में जेलीफिश (टयूल्रीटोप्सिस न्यूट्रीकुला)  नामक मछली पाई जाती है। यह तकनीकी दृष्टि से कभी नहीं मरती है। हां, यदि आप इसकी हत्या कर दें या कोई अन्य जीव जेलीफिश का भक्षण कर ले, फिर तो उसे मरना ही है। इस कारण इसे इम्मोर्टल जेलीफिश भी कहा जाता है। जेलीफिश बुढ़ापे से बाल्यकाल की ओर लौटने की क्षमता रखती है। अगर वैज्ञानिक जेलीफिश के अमरता के रहस्य को सुलझा लें, तो मानव अमर हो सकता है।

 
क्या कर रहे हैं वैज्ञानिक : वैज्ञानिक अमरता के रहस्यों से पर्दा हटाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए कई तरह की दवाइयों और सर्जरी का विकास किया जा रहा है। अब इसमें योग और आयुर्वेद को भी महत्व दिया जाने लगा है। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के बारे में आयोजित एक व्यापक सर्वे में पाया गया कि उम्र बढ़ाने वाली 'गोली' को बनाना संभव है। रूस के साइबेरिया के जंगलों में एक औषधि पाई जाती है जिसे जिंगसिंग कहते हैं। चीन के लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल करके देर तक युवा बने रहते हैं।
 
' जर्नल नेचर' में प्रकाशित 'पजल, प्रॉमिस एंड क्योर ऑफ एजिंग' नामक रिव्यू में कहा गया है कि आने वाले दशकों में इंसान का जीवनकाल बढ़ा पाना लगभग संभव हो पाएगा। अखबार 'डेली टेलीग्राफ' के अनुसार एज रिसर्च पर बक इंस्टीट्यूट, कैलिफॉर्निया के डॉक्टर जूडिथ कैंपिसी ने बताया कि सिंपल ऑर्गनिज्म के बारे में मौजूदा नतीजों से इसमें कोई शक नहीं कि जीवनकाल को बढ़ाया-घटाया जा सकता है। पहले भी कई स्टडीज में पाया जा चुका है कि अगर बढ़ती उम्र के असर को उजागर करने वाले जिनेटिक प्रोसेस को बंद कर दिया जाए, तो इंसान हमेशा जवान बना रह सकता है। जर्नल सेल के जुलाई के अंक में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया कि बढ़ती उम्र का प्रभाव जिनेटिक प्लान का हिस्सा हो सकता है, शारीरिक गतिविधियों का नतीजा नहीं। खोज और रिसर्च जारी है...।
 
अगले पन्ने पर तीसरा रहस्य...
 

3. गायब हो जाने का रहस्य : अमर होने से ज्यादा लोगों में गायब होने की तमन्ना है। जिसने भी 'मिस्टर इंडिया' फिल्म देखी होगी वह जानता है कि इसके ऐसे भी फायदे हो सकते हैं। गायब या अदृश्य होना मनुष्य की प्राचीन अभिलाषा रही है जिसके लिए समय-समय पर तरह-तरह के प्रयोग होते रहे हैं। इसके लिए कई सिद्धांत गढ़े गए हैं।
हालांकि अभी अदृश्य होने का कोई पुख्ता फॉर्मूला विकसित नहीं हुआ है लेकिन अमेरिका सहित दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च में लगे हुए हैं ताकि हजारों अदृश्य मानवों से जासूसी करवाई जा सके और दूसरों देशों में अशांति फैलाई जा सके। हो सकता है कि आने वाले समय में नैनो टेक्नोलॉजी से यह संभव हो। 
 
अगले पन्ने पर चौथा रहस्य...

4. ब्रह्मांड के बनने का रहस्य : आजकल के ‍वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य को जानने से ज्यादा उसके अंत में उत्सुक हैं। वे बताते रहते हैं कि धरती पर जीवन का खात्मा इस तरह होगा। सूर्य ठंडा हो जाएगा। ग्रह-नक्षत्र आपस में टकरा जाएंगे। तब क्या होगा? इसलिए मानव को अभी से ही दूसरे ग्रहों को तलाश करना चाहिए।


अधिकतर वैज्ञानिक शायद यह मान ही बैठे हैं ‍कि उत्पत्ति का रहस्य तो हम जान चुके हैं। बिग बैंग का सिद्धांत अकाट्य है। लेकिन कई ऐसे वैज्ञानिक हैं, जो यह कहते हैं कि हमने अभी भी ब्रह्मांड की उत्पत्ति और धरती पर जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को नहीं सुलझाया है। अभी तक जितने भी सिद्धांत बताए जा रहे हैं वे सभी तर्क से खारिज किए जा सकते हैं।

ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत को महाविस्फोट (The Big Bang) कहते हैं। इसके अनुसार अब से लगभग 14 अरब वर्ष पहले एक बिंदु से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है। फिर उस बिंदु में महाविस्फोट हुआ और असंख्य सूर्य, ग्रह, नक्षत्र आदि का जन्म होता गया। 

 
वैज्ञानिक मानते हैं कि बिंदु के समय ब्रह्मांड के सभी कण एक-दूसरे के एकदम पास-पास थे। वे इतने ज्यादा पास-पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिंदु की शक्ल में था।
 
यह बिंदु अत्यधिक घनत्व का, अत्यंत छोटा बिंदु था। ब्रह्मांड का यह बिंदु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म रहा होगा। इस स्थिति में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिति है, जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिति में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल या समय के कोई मायने नहीं रहते हैं। इस स्थिति में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक महाविस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक-दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।
 
हालांकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति और प्रलय के बारे में अभी भी प्रयोग और शोध जारी है। सबसे बड़े प्रयोग की चर्चा करें तो महाप्रयोग सर्न के वैज्ञानिक कर रहे हैं। ये वैज्ञानिक उस खास कण को ढूंढने में लगे हैं जिसके कारण ब्रह्मांड बना होगा। दावा किया जाता है कि फ्रांस और स्विट्जरलैंड की बॉर्डर पर बनी दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने वो कण ढूंढ लिया है जिसे गॉड पार्टिकल यानी भगवान का कण कहा जाता है। इसे उन्होंने 'हिग्स बोसन' नाम दिया है। सर्न के वैज्ञानिकों को 99 फीसदी यकीन है कि गॉड पार्टिकल का रहस्य सुलझ गया है। मतलब 1 प्रतिशत संदेह है? 
 
हमारा ब्रह्मांड रहस्य-रोमांच और अनजानी-अनसुलझी पहेलियों से भरा है। सदियों से इंसान सवालों की भूलभुलैया में भटक रहा है कि कैसे बना होगा ब्रह्मांड, कैसे बनी होगी धरती, कैसे बना होगा फिर इंसान। हालांकि धर्मग्रंथों में रेडीमेड उत्तर लिखे हैं कि भगवान ने इसे बनाया और फिर 7वें दिन आराम किया।
 
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5. बिगफुट का रहस्य : अमेरिका, अफ्रीका, चीन, रूस और भारत में बिगफुट की खोज जारी है। कई लोग बिगफुट को देखे जाने का दावा करते हैं। पूरे विश्व में इन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। तिब्बत और नेपाल में इन्हें 'येती' का नाम दिया जाता है तो ऑस्ट्रेलिया में 'योवी' के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे 'यति' कहते हैं।


ज्यादा बालों वाले इंसान जंगलों में ही रहते थे। जंगल में भी वे वहां रहते थे, जहां कोई आता-जाता नहीं था। माना जाता था कि ज्यादा बालों वाले इंसानों में जादुई शक्तियां होती हैं। ज्यादा बालों वाले जीवों में बिगफुट का नाम सबसे ऊपर आता है। बिगफुट के बारे में आज भी रहस्य बरकरार है।
 
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6. एलियंस का रहस्य : वर्षों के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 10 हजार ईपू धरती पर एलियंस उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया और अंतत: उन्होंने इस तरह धरती पर कई प्रॉफेट पैदा कर दिए। क्या इस बात में सच्चाई है?
 
अब वैज्ञानिक तो यही मानते हैं। हालांकि उन्होंने कभी एलियंस को देखा नहीं फिर भी वे विश्वास करते हैं कि धरती के बाहर किसी अन्य धरती पर हमारे जैसे ही लोग या कुछ अलग किस्म के लोग रहते हैं, जो हमसे भी ज्यादा बुद्धिमान हैं। आज नहीं तो कल उनसे हमारी मुलाकात हो जाएगी। हालांकि यह कल कब आएगा?
 
नासा के शीर्ष वैज्ञानिकों ने कहा कि एलियन के जीवन का संकेत 2025 तक पता चल जाएगा जबकि परग्रही जीव के बारे में ‘निश्चित सबूत’ अगले 20-30 साल में मिल सकता है। यदि नासा का यह दावा सच साबित होता है तो सवाल यह उठता है कि तब क्या होगा? क्या एलियन मानव जैसे हैं या कि जैसी उनके बारे में कल्पना की गई है, वैसे हैं? यदि वे मिल गए तो मानव के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?
 
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7. गति का रहस्य : गति ने ही मानव का जीवन बदला है और गति ही बदल रही है। बैलगाड़ी और घोड़े से उतरकर व्यक्ति साइकल पर सवार हुआ। फिर बाइक पर और अब विमान में सफर करने लगा। पहले 100 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए 2 दिन लगते थे अब 2 घंटे में 100 किलोमीटर पहुंच सकते हैं। रफ्तार ने व्यक्ति की जिंदगी बदल दी। पहले पत्र को 400 किलोमीटर पहुंचने में पूरा 1 हफ्ता लगता था अब मेल करेंगे तो 4 सेकंड में 6 हजार किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति को मिल जाएगी। मोबाइल करेंगे तो 1 सेकंड में वह आपकी आवाज सुन लेगा। तो कहने का मतलब यह है कि गति का जीवन में बहुत महत्व है। इस गति के कारण ही पहले मानव का भविष्य कुछ और था लेकिन अब भविष्य बदल गया है।
 
मानव के पास अभी इतनी गति नहीं है कि वह चंद्रमा पर जाकर चाय की एक चुस्की लेकर पुन: धरती पर 1 घंटे में वापस लौट आए। मंगल ग्रह पर शाम को यदि किसी ने डिनर का आयोजन किया हो तो धरती पर सुबह होते ही पुन: लौट आए। जब इतनी गति विकसित हो जाएगी तब आज हम जो विकास देख रहे हैं उससे कई हजार गुना ज्यादा विकास हो जाएगा। वैज्ञानिक इस तरह की गति को हासिल करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
 
मानव चाहता है प्रकाश की गति से यात्रा करना : आकाश में जब बिजली चमकती है तो सबसे पहले हमें बिजली की चमक दिखाई देती है और उसके बाद ही उसकी गड़गड़ाहट सुनाई देती है। इसका मतलब यह कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज है। वैज्ञानिकों ने ध्वनि की गति तो हासिल कर ली है लेकिन अभी प्रकाश की गति हासिल करना जरा टेढ़ी खीर है।
 
बहुत सी ऐसी मिसाइलें हैं जिनकी मारक क्षमता ध्वनि की गति से भी तेज है। ऐसे भी लड़ाकू विमान हैं, जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ते हैं। लेकिन मानव चाहता है कि ध्वनि की गति से कार चले, बस चले और ट्रेन चले। हालांकि इसमें वह कुछ हद तक सफल भी हुआ है और अब इच्छा है कि प्रकाश की गति से चलने वाला अंतरिक्ष विमान हो।
 
प्रकाश की गति इतनी ज्यादा होती है कि यह लंदन से न्यूयॉर्क की दूरी को 1 सेकंड में 50 से ज्यादा बार तय कर लेगी। यदि ऐसी स्पीड संदेश भेजने में हो तो मंगल ग्रह पर संदेश भेजने में 12.5 मिनट लगेंगे। अब यदि हमें मंगल ग्रह पर जाकर लौटना है तो प्रकाश की गति ही हासिल करना होगी अन्यथा जा तो सकते हैं लेकिन लौटने की कोई गारंटी नहीं। अब आप जोड़ सकते हैं कि 22 करोड़ किलोमीटर दूर जाने में कितना समय लगेगा यदि हम 1,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से जाएं तो...।
 
क्या है प्रकाश की गति : अंतरिक्ष जैसी शून्यता में प्रकाश की एकदम सही गति 2,99,792.458 किलोमीटर प्रति सेकंड है। ऋग्वेद में सूर्य की प्रकाश की गति लगभग इतनी ही बताई गई है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग 14,96,00,000 किलोमीटर या 9,29,60,000 मील है तथा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 16.6 सेकंड का समय लगता है।
 
एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की जाने वाली दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। एक प्रकाश वर्ष का मतलब होता है लगभग 9,500 अरब किलोमीटर। यह होती है प्रकाश की गति।
 
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जीवन की शुरुआत : धरती पर जीवन की शुरुआत कब और कैसे हुई? किसने की या यह कि यह  क्रमविकास का परिणाम है? ये कुछ सवाल जिनके जवाब अभी भी ढूंढे जा रहे हैं। सवाल यह भी है कि यह शुरुआत पृथ्वी पर ही क्यों हुई? कई शोध बताते हैं कि मनुष्य का विकास जटिल अणुओं के विघटन और सम्मिलन से हुआ होगा, लेकिन सारे जवाब अभी नहीं मिले हैं।
हालांकि चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत में त्रुटी है तो महर्षि अरविंद का सिद्धांत तार्किक ही है। लेकिन विज्ञान आज भी डार्विन के सिद्धांत को मानने को मजबूर है, लेकिन अब कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारी धरती पर जीवन की शुरुआत परग्रही लोगों ने की है जिन्हें आजकल एलियन कहा जाता है। डीएनए कोड पर अभी रिसर्च जारी है। 
 
पश्चिमी धर्म कहता है कि मानव की उत्पत्ति ईश्‍वर ने की। उसने पहले आदम को बनाया फिर उसकी ही छाती की एक पसली से हव्वा को। जबकि पूर्वी धर्मों के पास दो तरह के सिद्धांत है पहला यह कि मानव की रचना ईश्वर ने की और दूसरी की आठ तत्वों से संपूर्ण संसार की क्रमश: रचना हुई। उक्त आठ तत्वों में पंच तत्व क्रमश: है आकाश, वायु, अग्नि, जल और धरती।

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डार्क मैटर : अंतरिक्ष में 80 फीसदी से ज्यादा पदार्थ दिखाई नहीं देता इसे डार्क मैटर कहते हैं। वैज्ञानिक अभी तक इसकी खोज में लगे हुए हैं। आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि डार्क मैटर किस चीज से बना है।  

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कैसे काम करता है गुरुत्वाकर्षण : न्यूटन ने यह तो कह दिया की धरती में गुरुत्वाकर्षण बल है जिसके कारण चीजें टीकी रहती है लेकिन यह बल कहां से आया, कैसे काम करता है यह नहीं बताया। हालांकि न्यूटन से पहले भास्कराचार्य ने भी गुरुत्वाकर्षण बल की चर्चा की लेकिन उन्होंने भी यह नहीं बताया कि यह बल काम कैसे करता है।
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे सूर्य के कक्ष में स्थिर रखता है अन्यथा पृथ्वी किसी अंधकार में खो जाती। चंद्रमाका गुरुत्वबल धरती पर फैला समुद्र है। लेकिन यह गुरुत्वाकर्षण बल असल में कहां से आया, वैज्ञानिक इसे पूरी तरह से स्पष्ट नहीं कर पाए हैं। यह गुरुत्वाकर्षण अन्य कणों के गुरुत्व केंद्र के साथ कैसे संतुलन बनाता है?
 
खगोल विज्ञान को वेद का नेत्र कहा गया, क्योंकि सम्पूर्ण सृष्टियों में होने वाले व्यवहार का निर्धारण काल से होता है और काल का ज्ञान ग्रहीय गति से होता है। अत: प्राचीन काल से खगोल विज्ञान वेदांग का हिस्सा रहा है। ऋग्वेद, शतपथ ब्राहृण आदि ग्रथों में नक्षत्र, चान्द्रमास, सौरमास, मल मास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायन, दक्षिणायन, आकाशचक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के संदर्भ में अनेक उद्धरण मिलते हैं।  

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बलुवाना न्यूज 6 कोरोना वायरस का प्रसार:बीते 24 घंटे में देश में 19,100 नया केस, महाराष्ट्र-केरल के ब

बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रही है। इससे पॉल्युशन रोकने में भी मदद मिलेगी। बायोमीथेन फ्यूज का यूज एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गाय के गोबर से जो बायोमीथेन ईंधन तैयार होता है, उससे 270 BHP का ट्रैक्टर आसानी से चलाया जा सकता है। ब्रिटेन के साइंटिस्ट ने इस ट्रैक्टर को बनाने का काम किया है। यह उसी तरह काम करेगा, जिस तरह से CNG की गाड़ियां काम करती हैं। किस तरह काम करेगा यह ट्रैक्टर इस ट्रैक्टर को चलाने के लिए गायों के गोबर को इकट्ठा कर उसे बायोमीथेन (Positive Methane) में बदला गया। इसके लिए ट्रैक्टर में एक क्रॉयोजेनिक टैंक भी वैज्ञानिकों ने लगाया है। जिसमें गोबर से तैयार बायोमीथेन फ्यूल का यूज किया जाता है। क्रॉयोजेनिक टैंक (cryogenic tank) 162 डिग्री के टेंपरेचर में बायोमीथेन को लिक्विफाइड करने का काम करता है। खेती-किसानी होगा आसान इस ट्रैक्टर का टेस्ट कॉर्नवॉल (Cornwall) के एक खेत में किया गया है। इसका फायदा ये हुआ कि सिर्फ एक साल में ही कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 2,500 टन से घटकर 500 टन हो गया। इस ट्रैक्टर के आने से खेती-किसानी आसान होगी और डीजल पर आने वाला खर्च कम होगा।

   बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।   आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रह...

*💐💐💐 ज्ञान की पोटली 💐💐💐* *सदैव प्रथम स्थान पर रहें_* *मुस्कराने में...*, *प्रशंसा करने में....*, *सहयोग करने में...* *क्षमा करने में..."* *और,**अपनी गलती मान लेने में ॥* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*तकलीफ़ तो खुद ही* *कम हो गयी**जब लोगों कि उम्मीद* *हमसे कम हो गयी*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹वनिता कासनियां पंजाब *आपके प्रयत्न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिये न हों, बल्कि परिवार में विवेक जागृत करने के लिये भी हो।* *जिंदगी में खुशियाँ आपके पास पैसा कितना है इस बात पर कम व आपके पास धैर्य कितना है, इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है।* *आप में परिवार के अन्दर की समस्याओं और बाहरी द्वेष से विवेकपूर्ण ढंग से निपटने की तथा गलत को गलत कहने की क्षमता कितनी हे।**!!!....एक शांत मन* *चुनौतियों के खिलाफ* *सबसे बड़ा* *हथियार होता है...!!!**💐💐💐💐शुभ प्रभात 💐💐💐**🌷🌷आपका दिन मंगलमय हो 🌷🌷*

*💐💐💐 ज्ञान की पोटली 💐💐💐*  *सदैव प्रथम स्थान पर रहें_*        *मुस्कराने में...*,  *प्रशंसा करने में....*,        *सहयोग करने में...*  *क्षमा करने में..."*              *और,* *अपनी गलती मान लेने में ॥*    🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *तकलीफ़ तो खुद ही*  *कम हो गयी* *जब लोगों कि उम्मीद*  *हमसे कम हो गयी* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 वनिता कासनियां पंजाब               *आपके प्रयत्न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिये न हों, बल्कि परिवार में विवेक जागृत करने के लिये भी हो।*               *जिंदगी में खुशियाँ आपके पास पैसा कितना है इस बात पर कम व आपके पास धैर्य कितना है, इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है।*           *आप में परिवार के अन्दर की समस्याओं और बाहरी द्वेष से विवेकपूर्ण ढंग से निपटने की तथा गलत को गलत कहने की क्षमता कितनी हे।* *!!!....एक शांत मन*  *चुनौतियों के खिलाफ*...

,,आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है।सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभपारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है।अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढऩा चाहते हों, योग और ध्यान में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की पूजा एवं उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।यदि आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो, लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी समस्त कष्ट दूर हो जायेगे।संकटों से मुक्ति के लिए किसी भी माह में प्रदोष के दिन पारद के शिवलिंग की षोडशोपचार पूजा करके शिव महिमा मन्त्र से अभिषेक करें। फिर हर दिन पूजन करते रहें, कुछ ही समय में आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है। कर्ज मुक्ति होती है।अगर आपके घर या व्यापार स्थल पर अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो। तो पारद के शिवलिंग की पूजा करे।आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढऩा शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी। मेरे घर मे जो जल पारद के शिवलिंग पर चढ़ता है, वही गमले मे डाल दिया जाता है।पारद शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करने से समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।पारद के शिवलिंग के दर्शन मात्र से आपकी सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और धन-यश की इच्छा पूर्ण होती है।जो भी भक्त पारद शिवलिंग की पूजा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं महाकाल और महाकाली करते हैं।इस शिवलिंग के स्पर्श मात्र से दैवीय शक्तियां व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।आत्मविश्वास की कमी है तो करे पारद के शिवलिंग की पूजा। जो लोग अपनी बात सार्वजनिक रूप से खुलकर नही रख पाते है।लोग आपको दब्बू की संज्ञा देते हैं तो आपको नियमित रूप से पारद शिवलिंग की पूजा करना चाहिए। इससे मस्तिष्क को उर्वरता प्राप्त होती है। वाक सिद्धि प्राप्त होती है। हजारों लोगों को अपनी वाणी से सम्मोहित करने की क्षमता आ जाती है।पारद शिवलिंग की पूजा करने से धन से संबंधित, परिवार से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित और आपके जीवन से जुड़ी हुई हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या का अंत होता है।यह शिवलिंग घर की बुरी शक्तियों को दूर करती है |किसी भी तरह का जादू टोना घर के सदस्यों पर होने से रोकता है |परिवार के सदस्यों को असीम शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है |यह घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करता हैअगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है | ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है |ऐसे करे पारद के शिवलिंग की पूजासर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:चौथी बार ॐशिवाय नम:हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।मीठे का भोग लगा दे।भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।मेरे घर के पारद के शिवलिंगमेरे घर के पूजा घर के दो जगहों पर दो पारद के शिवलिंग थे । एक पूजा घर से चोरी हो गया या ग़ायब हो गया नही पता चला।उस शिवलिंग का पता नही चला उसकी मैं पूजा और ध्यान किया करता था। मुझे काफी लाभ मिला था । उस शिवलिंग पर मुझे बहुत श्रद्धा थी। चोरी हो गया अफसोस है , शायद मुझसे ज्यादा उसको जरूरत होगी ।ये पारद शिवलिंग है मेरे घर के पूजा घर मे है ।पारद का शिवलिंग बहुत कम देखने को मिलता है , पारद का शिवलिंग बनाने की एक विधि होती है । मेरे गुरुजी के शिष्य ने ये विद्या गुरुजी से सीखी थी , उन्होंने बना कर दो हम लोगो को दिया था , एक छोटा था , एक बड़ा था । उस शिष्य ने जब इस विद्या का धंधा शुरू कर दिया तो गुरुजी ने उसे आश्रम से निकाल दिया तब से आज तक उससे मुलाकात नही हो पाई।पारद के शिवलिंग का महत्वप्राचीन ग्रंथों में पारद को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है। इसका वर्णन चरक संहिता आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थों में भी मिलता है। शिवपुराण में पारद को शिव का वीर्य कहा गया है। वीर्य बीज है, जो संपूर्ण जीवों की उत्पत्ति का कारक है। इसी के माध्यम से भौतिक सृष्टि का विस्तार होता है। पारे को प्राकृतिक रूप से प्रबल ऊर्जा प्रदान करने वाला रासायनिक तत्व कहा गया है। पारे से बने शिवलिंग को समस्त प्रकार की वस्तुओं से बने शिवलिंगों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और इसकी पूजा सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाली कही गई है। ग्रंथों में शिव लिंग को ब्रम्हांड का प्रतीक माना गया है। जानकारों के अनुसार रुद्र संहिता में शिव लिंगों के भी प्रकार बताए गए हैं, जो सृष्टि में व्याप्त अलग-अलग ब्रम्हांडों के प्रतीक माने जाते हैं। वैदिक ग्रंथों में पारे को संसार के समस्त राग, द्वेष, विकार का विनाशक माना गया है। जो लोग अध्यात्म की राह पर चलना चाहते हैं, उनके लिए पारद शिवलिंग की पूजा अवश्य करना चाहिए। समस्त प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए भी पारद शिवलिंग की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि पारे के शिव लिंग को यदि निश्चित आकार में घर पर रखा जाए तो सारे वास्तुदोष्ज्ञ स्वत: समाप्त हो जाते हैं। इस शिवलिंग को पूरे शिव परिवार के साथ रखा जाना चाहिए। पूजन विधि में, समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति में पारद से बने शिवलिंग एवं अन्य आकृतियों का विशेष महत्व होता है।सरल नही है पारद का शिवलिंग बनानापारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्य धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम।इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, सोना, चाँदी,ताबा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए। इन सब को मिलाकर ठोस रूप दिया जाता है।पारद का शोधन अत्यंत कठिन कार्य होता है। इसको शोधित करने जैसी कठिन एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, तब जाकर पारा ठोस आकार ग्रहण करता है पारद शिवलिंग बनाने की एक विद्या होती है जिसको सीखना पड़ता है । इसे ठोस बनाने के लिए वैदिक क्रियाओं सहित चौसठ दिव्य औषधियों का मिश्रण करना पड़ता है। निर्माण के बाद उसे मांत्रिक क्रियाओं के जरिए रससिद्ध एवं चैतन्य किया जाता है, तब जाकर पारद शिवलिंग पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है तो उसकी पूजा होती है। असली पारद शिवलिंग का निर्माण एक विशेष समय अवधि में ही होता है | इस विशेष समय को विजयकाल के नाम से जाना जाता है | बाजार में दिखावे के भी पारद शिवलिंग भी मिलते है जो ठग विद्या के लिए बने है | इन्हे खरीदने से पहले इनकी अच्छे से जांच कर लेनी चाहिएवनिता कासनियां पंजाबकहाँ होता है निर्माणभोपाल से 142 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे बने बापौली-मांगरोल आश्रम में इन दिनों पारद शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। 8 महीने में 64 जड़ी-बूटियों के साथ सोना-चांदी-ताबा मिलाकर इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनकी कीमत 11000 रुपए से शुरू होकर 1 करोड़ तक होती है। यहाँ साल भर में 30 से 35 पारद शिवलिंग बनते है। रायसेन जिले के बरेली तहसील में नर्मदा किनारे मांगरौल आश्रम बना है। यहां बरसों से पारद शिवलिंग बनाया जाता है। देश के कई हिस्सों से लोग साल भर यहां शिवलिंग बनवाने आते हैं। ये काम पूरे साल चलता रहता है। सावन सोमवार और महाशिवरात्रि आने पर इनकी मांग बढ़ जाती है। पारद शिवलिंग को बनाना बेहद मुश्किल काम है। बिना किसी मशीनी मदद से पारे को साफ करने के लिए 8 संस्कार किए जाते हैं। अष्ट संस्कार में 6 महीने लग जाते हैं। 2 महीने 15 दिन से लगते हैं बाकी क्रियाओं में और इसके बाद पारद शिवलिंग बन कर तैयार होता है बाद सभी 64 औषधियां मिलाकर पारद को ठोस बनाया जाता है। कपारद का प्रभाव बढ़ाने के लिए सोना-चांदी भी मिलाया जाता है।स्रोत इमेज गूगल/ मेरा फोनस्रोत लिंकसमस्त सुखों की प्राप्ति के लिए कीजिए पारद शिवलिंग की पूजापारद शिवलिंग का महत्व महिमा और इसे पूजने से होने वाले लाभघर में रखें पारद शिवलिंग, जानें इनकी पूजा के कितने हैं फायदेपारद शिवलिंगपारद शिवलिंग

,, आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभ पारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है । पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज क...