हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया, वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया. जय हिन्द Army हमारी दिवाली में रोशनी इसलिए हैं क्योंकि सरहद पर अँधेरे में कोई खड़ा हैं. जय हिन्द एक सैनिक ने क्या खूब कहा है. किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं, कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं. नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए. जय हिन्द जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को, भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को, खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है, सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है, जय हिन्द फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं, ऐसे सपूतो को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं. जिसकी वजह से पूरा हिन्दुस्तान चैन से सोता हैं, कड़ी ठंड, गर्मी और बरसात में अपना धैर्य न खोता ह...
Karwa Chauth 2022 Date: करवा चौथ व्रत में बाकी है बस एक दिन, जानें पूजा मुहूर्त, चांद के दीदार का सही समय#वनिता #कासनियां #पंजाब द्वाराKarwa Chauth 2022: #करवा_चौथ के व्रत में अब एक ही दिन बाकी है. कल यानी 13 अक्टूबर 2022 को ब्रह्म मुहूर्त के साथ इस पर्व की शुरुआत हो जाएगी. आइए जानते हैं करवा चौथ के मुहूर्त और पूजा विधि.Karwa Chauth 2022 Date: करवा चौथ के व्रत में अब एक ही दिन बाकी है. कल यानी 13 अक्टूबर 2022 को ब्रह्म मुहूर्त के साथ इस पर्व की शुरुआत हो जाएगी. करवा चौथ का व्रत सालों बाद कई संयोग लेकर आ रहा है जिसने इस दिन की अहमियत को और बढ़ा दिया है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पूरी निष्ठा के साथ दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं. फिर रात्रि में चंद्रमा की पूजा कर पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है. यह पर्व पति-पत्नी के अटूट रिश्ते की मिसाल है. आइए जानते हैं करवा चौथ के मुहूर्त और पूजा विधिटोटीवाला करवा और ढक्कन - करवा चौथ का व्रत में करवा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. करवा को गणपति का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं करवे में लगी टोटी गणेश जी की सूंड मानी जाती है. करवा में जल भरकर पूजा करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से मंगल कामनाएं पूर्ण होती है.करवा चौथ कथा की पुस्तक और तस्वीर - करवा चौथ का व्रत कथा के बाद ही पूरा माना जाता है. पूजा में चौथ माता, करवा माता और गणेश जी की कथा पढ़ी जाती है. करवा माता की पूजा के लिए उनकी फोटो लें आएंकांस की सींक - कांस की सींक को करवे की टोटी में डाला जाता है. मान्यता है कि यह सींक शक्ति का प्रदर्शन करती है.कलश - सनातन धर्म में पूजा में कलश का होना अनिवार्य होता है, क्योंकि इसमें ग्रह, नक्षत्र, 33 करोड़ देवी-देवता और पवित्र तीर्थों का वास माना जाता है. इनकी उपासना के बाद ही शुभ कार्य शुरू किया जाता है.16 श्रृंगार का सामान - चूड़ी, साड़ी, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछिया आदिपूजा की थाली - पान, फूल, चंदन, मौली, अक्षत, हल्दी, चावल, मिठाई, रोली, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, शक्कर का बूरा, दीपक, अगरबत्ती, कपूर, गेहूं, बाती (रूई)लकड़ी का आसन, छलनी, दक्षिणा के पैसे, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरीकरवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi)महिलाओं के अखंड सौभाग्य का प्रतीक करवा चौथ व्रत की कथा (Karwa Chautha Vrat Katha) कुछ इस प्रकार है- एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा।रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो।साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।इसे भी पढें: नवरात्रि में रखें इन 9 बातों का ध्यान, मातारानी हो जाएंगी प्रसन्नसाहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया।इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।करवा #चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)Sourceनारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा (Karwa Chauth Puja Vidhi) करने के लिए बालू या सफेद मिट्टी की एक वेदी बनाकर भगवान शिव- देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चंद्रमा एवं गणेशजी को स्थापित कर उनकी #विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।#पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। पति के हाथों से ही पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए। इस प्रकार व्रत को सोलह या बारह वर्षों तक करके उद्यापन कर देना चाहिए। पूजा की कुछ अन्य रस्मों में सास को बायना देना, मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना आदि शामिल है।#चन्द्रोदय समय (Karwa Chauth Puja Timings in Hindi)पौराणिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। इस दिन बिना चन्द्रमा को अर्घ्य दिए व्रत तोड़ना अशुभ माना जाता है। कहते हैं इस प्रकार यदि कोई मनुष्य छल-कपट, अहंकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्तिभाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत को पूर्ण करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है।लाइक करें हमारे #फेसबुक पेज को और न्यूज से सम्बंधित #वीडियो देखने के लिए विजिट करें हमारे यूट्यूब चैनल को।
Karwa Chauth 2022 Date: करवा चौथ व्रत में बाकी है बस एक दिन, जानें पूजा मुहूर्त, चांद के दीदार का सही समय
#वनिता #कासनियां #पंजाब द्वारा
Karwa Chauth 2022: #करवा_चौथ के व्रत में अब एक ही दिन बाकी है. कल यानी 13 अक्टूबर 2022 को ब्रह्म मुहूर्त के साथ इस पर्व की शुरुआत हो जाएगी. आइए जानते हैं करवा चौथ के मुहूर्त और पूजा विधि.Karwa Chauth 2022 Date: करवा चौथ के व्रत में अब एक ही दिन बाकी है. कल यानी 13 अक्टूबर 2022 को ब्रह्म मुहूर्त के साथ इस पर्व की शुरुआत हो जाएगी. करवा चौथ का व्रत सालों बाद कई संयोग लेकर आ रहा है जिसने इस दिन की अहमियत को और बढ़ा दिया है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पूरी निष्ठा के साथ दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं. फिर रात्रि में चंद्रमा की पूजा कर पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है. यह पर्व पति-पत्नी के अटूट रिश्ते की मिसाल है. आइए जानते हैं करवा चौथ के मुहूर्त और पूजा विधिटोटीवाला करवा और ढक्कन - करवा चौथ का व्रत में करवा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. करवा को गणपति का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं करवे में लगी टोटी गणेश जी की सूंड मानी जाती है. करवा में जल भरकर पूजा करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से मंगल कामनाएं पूर्ण होती है.
करवा चौथ कथा की पुस्तक और तस्वीर - करवा चौथ का व्रत कथा के बाद ही पूरा माना जाता है. पूजा में चौथ माता, करवा माता और गणेश जी की कथा पढ़ी जाती है. करवा माता की पूजा के लिए उनकी फोटो लें आएं
कांस की सींक - कांस की सींक को करवे की टोटी में डाला जाता है. मान्यता है कि यह सींक शक्ति का प्रदर्शन करती है.
कलश - सनातन धर्म में पूजा में कलश का होना अनिवार्य होता है, क्योंकि इसमें ग्रह, नक्षत्र, 33 करोड़ देवी-देवता और पवित्र तीर्थों का वास माना जाता है. इनकी उपासना के बाद ही शुभ कार्य शुरू किया जाता है.
16 श्रृंगार का सामान - चूड़ी, साड़ी, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछिया आदि
पूजा की थाली - पान, फूल, चंदन, मौली, अक्षत, हल्दी, चावल, मिठाई, रोली, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, शक्कर का बूरा, दीपक, अगरबत्ती, कपूर, गेहूं, बाती (रूई)लकड़ी का आसन, छलनी, दक्षिणा के पैसे, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरीकरवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi)
महिलाओं के अखंड सौभाग्य का प्रतीक करवा चौथ व्रत की कथा (Karwa Chautha Vrat Katha) कुछ इस प्रकार है- एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा।
रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो।
साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।
इसे भी पढें: नवरात्रि में रखें इन 9 बातों का ध्यान, मातारानी हो जाएंगी प्रसन्न
साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।
करवा #चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
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नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा (Karwa Chauth Puja Vidhi) करने के लिए बालू या सफेद मिट्टी की एक वेदी बनाकर भगवान शिव- देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चंद्रमा एवं गणेशजी को स्थापित कर उनकी #विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
#पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। पति के हाथों से ही पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए। इस प्रकार व्रत को सोलह या बारह वर्षों तक करके उद्यापन कर देना चाहिए। पूजा की कुछ अन्य रस्मों में सास को बायना देना, मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना आदि शामिल है।
#चन्द्रोदय समय (Karwa Chauth Puja Timings in Hindi)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। इस दिन बिना चन्द्रमा को अर्घ्य दिए व्रत तोड़ना अशुभ माना जाता है। कहते हैं इस प्रकार यदि कोई मनुष्य छल-कपट, अहंकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्तिभाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत को पूर्ण करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है।
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