भाषा पीडीएफ डाउनलोड करें घड़ी संपादन क सीमेंट एक बाइंडर है , By Vnita Kasina Punjab ✌️ 🇮🇳 निर्माण में इस्तेमाल होने वाला एक क पदार्थ जो जमता है , कठोर होता है और अन्य सामग्रियों को आपस में जोड़ने के लिए उनसे चिपक जाता है। सीमेंट का इस्तेमाल अकेले शायद ही कभी किया जाता है, बल्कि इसका इस्तेमाल रेत और बजरी ( एग्रीगेट ) को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। सीमेंट को महीन एग्रीगेट के साथ मिलाकर चिनाई के लिए गारा बनाया जाता है , या रेत और बजरी के साथ मिलाकर कंक्रीट बनाया जाता है। कंक्रीट दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली सामग्री है और पानी के बाद दुनिया का सबसे ज़्यादा खपत वाला संसाधन है। [ 2 ] एक बैग में सीमेंट पाउडर, समुच्चय और पानी के साथ मिश्रण करने के लिए तैयार। [ 1 ] 1905 में टोलेडो, ओहियो की मल्टीप्लेक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा सीमेंट ब्लॉक निर्माण के उदाहरण निर्माण में प्रयुक्त सीमेंट आमतौर पर अ...
*एक आदमी की चार पत्नियाँ थी। वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत ही प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता, व उसको सबसे श्रेष्ठ देता।*,,*वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।**वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था। जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या सुलझा देती।**वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था, जबकि पहली पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।* *एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था की जल्दी ही वह मर जाएगा। उसने अपने आप से कहा-" मेरी चार पत्नियां हैं, उनमें से मैं एक को अपने साथ ले जाता हूँ...जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ दे।"**तब उसने चौथी पत्नी से अपने साथ आने को कहा तो वह बोली-" नहीं नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और वो चली गयी।**उसने तीसरी पत्नी से पूछा तो वह बोली की- " ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ। जब तुम मरोगे तो मैं दूसरी विवाह कर लूंगी।"**उसने दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली- " माफ़ कर दो, इसबार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती। ज्यादा से ज्यादा मैं श्मशानघाट तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ।"**अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़ गया। तब एक आवाज़ आई- " मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ। तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।"। ये मेरी वचन है।**उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली पत्नी थी। वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने पीने के अभाव में।**वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला-" मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए थी और मैं कर सकता थाI"... पर तुम्हें कभी भी आदर दिया नहीं।* *दरअसल हम सब की चार पत्नियां हैं जीवन में।*👇1. चौथी पत्नी हमारा शरीर है। हम चाहें जितना सजा लें संवार लें इसको, पर जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा।*2. तीसरी पत्नी है हमारी जमापूँजी,रुतबा । जब हम मरेंगे तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।*3. दूसरी पत्नी है हमारे #दोस्त व रिश्तेदार। चाहें वे कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे जीवन काल में, पर मरने के बाद हद से हद वे हमारे अंतिम संस्कार तक साथ रहते हैं।*4. पहली पत्नी हमारी आत्मा है, जो सांसारिक मोह माया में हमेशा हमारे द्वारा उपेक्षित रहती है।**यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है, जहाँ भी हम जाएँ....... कुछ देना है तो इसे दो.... देखभाल करनी है तो इसकी करो.... प्यार करना है तो इससे करो...इसकी सद्गति की सोचो एवम् हरि गुरु की शरण में जाओ...
*एक आदमी की चार पत्नियाँ थी। वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत ही प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता, व उसको सबसे श्रेष्ठ देता।*
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*वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।*
*वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था। जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या सुलझा देती।*
*वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था, जबकि पहली पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।*
*एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था की जल्दी ही वह मर जाएगा। उसने अपने आप से कहा-" मेरी चार पत्नियां हैं, उनमें से मैं एक को अपने साथ ले जाता हूँ...जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ दे।"*
*तब उसने चौथी पत्नी से अपने साथ आने को कहा तो वह बोली-" नहीं नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और वो चली गयी।*
*उसने तीसरी पत्नी से पूछा तो वह बोली की- " ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ। जब तुम मरोगे तो मैं दूसरी विवाह कर लूंगी।"*
*उसने दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली- " माफ़ कर दो, इसबार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती। ज्यादा से ज्यादा मैं श्मशानघाट तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ।"*
*अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़ गया। तब एक आवाज़ आई- " मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ। तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।"। ये मेरी वचन है।*
*उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली पत्नी थी। वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने पीने के अभाव में।*
*वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला-" मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए थी और मैं कर सकता थाI"... पर तुम्हें कभी भी आदर दिया नहीं।*
*दरअसल हम सब की चार पत्नियां हैं जीवन में।*👇
1. चौथी पत्नी हमारा शरीर है। हम चाहें जितना सजा लें संवार लें इसको, पर जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा।*
2. तीसरी पत्नी है हमारी जमापूँजी,रुतबा । जब हम मरेंगे तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।*
3. दूसरी पत्नी है हमारे #दोस्त व रिश्तेदार। चाहें वे कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे जीवन काल में, पर मरने के बाद हद से हद वे हमारे अंतिम संस्कार तक साथ रहते हैं।*
4. पहली पत्नी हमारी आत्मा है, जो सांसारिक मोह माया में हमेशा हमारे द्वारा उपेक्षित रहती है।*
*यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है, जहाँ भी हम जाएँ....... कुछ देना है तो इसे दो.... देखभाल करनी है तो इसकी करो.... प्यार करना है तो इससे करो...इसकी सद्गति की सोचो एवम् हरि गुरु की शरण में जाओ...
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