भाषा पीडीएफ डाउनलोड करें घड़ी संपादन क सीमेंट एक बाइंडर है , By Vnita Kasina Punjab ✌️ 🇮🇳 निर्माण में इस्तेमाल होने वाला एक क पदार्थ जो जमता है , कठोर होता है और अन्य सामग्रियों को आपस में जोड़ने के लिए उनसे चिपक जाता है। सीमेंट का इस्तेमाल अकेले शायद ही कभी किया जाता है, बल्कि इसका इस्तेमाल रेत और बजरी ( एग्रीगेट ) को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। सीमेंट को महीन एग्रीगेट के साथ मिलाकर चिनाई के लिए गारा बनाया जाता है , या रेत और बजरी के साथ मिलाकर कंक्रीट बनाया जाता है। कंक्रीट दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली सामग्री है और पानी के बाद दुनिया का सबसे ज़्यादा खपत वाला संसाधन है। [ 2 ] एक बैग में सीमेंट पाउडर, समुच्चय और पानी के साथ मिश्रण करने के लिए तैयार। [ 1 ] 1905 में टोलेडो, ओहियो की मल्टीप्लेक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा सीमेंट ब्लॉक निर्माण के उदाहरण निर्माण में प्रयुक्त सीमेंट आमतौर पर अ...
*सत्संग बड़ा है या तप* By वनिता कासनियां पंजाब 🤔 एक बार विश्वामित्र और वशिष्ठ जी में इस बात पर बहस हो गई कि सत्संग बड़ा है या तप। विश्वामित्र जी ने कठोर तपस्या करके ऋदिध्-सिध्दियों को प्राप्त किया था इसीलिए वे तप को बड़ा बता रहे थे। जबकि वशिष्ठ जी सत्संग को बड़ा बताते थे। वे इस बात का फैसला करवाने ब्रह्मा जी के पास चले गए। उनकी बात सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा कि मैं सृष्टि की रचना करने में व्यस्त हूं। आप विष्णु जी के पास जाइये। विष्णु जी आपका फैसला अवश्य कर देगें। अब दोनों विष्णु जी के पास चले गए। विष्णु जी ने सोचा कि यदि मैं सत्संग को बड़ा बताता हूं तो विश्वामित्र जी नाराज होंगे और यदि तप को बड़ा बताता हूं तो वशिष्ठ जी के साथ अन्याय होगा। इसीलिए उन्होंने भी यह कहकर उन्हें टाल दिया कि मैं सृष्टि का पालन करने मैं व्यस्त हूं। आप शंकर जी के पास चले जाइये अब दोनों शंकर जी के पास पहुंचे शंकर जी ने उनसे कहा कि यह मेरे वश की बात नहीं है। इसका फैसला तो शेषनाग जी कर सकते हैं। अब दोनों शेषनाग जी के पास गए। शेषनाग ने उनसे पुछा-कहो ऋषियो कैसे आना हुआ।वशिष्ठ जी ने बताया कि हमारा फैसला किजिये कि तप बड़ा है या सत्संग बड़ा है। विश्वामित्र जी कहते हैं कि तप बड़ा है और मैं सत्संग को बड़ा बताता हूं शेषनाग जी ने कहा मैं अपने सिर पर पृथ्वी का भार उठाए हूं यदि आप में से कोई थोड़ी देर के लिए पृथ्वी के भार को उठा ले तो मैं आपका फैसला कर दूंगा। तप में अहंकार होता है विश्वामित्र जी तपस्वी थे। उन्होंने तुरन्त अहंकार में भरकर शेषनाग जी से कहा कि पृथ्वी को आप मुझे दिजिए विश्वामित्र ने पृथ्वी अपने सिर पर ले ली अब पृथ्वी नीचे की और चलने लगी शेषनाग जी बोले-विश्वामित्र जी रोको ! पृथ्वी रसातल को जा रही है विश्वामित्र ने कहा-मैं अपना सारा तप देता हूं पृथ्वी रूक जा परन्तु पृथ्वी नहीं रूकी। यह देखकर वशिष्ठ जी ने कहा -मैं आधी घड़ी का सत्संग देता हूं पृथ्वी माता रूक जा । पृथ्वी वहीं रूक गई। अब शेषनाग जी ने पृथ्वी को अपने सिर पर ले लिया और उनको कहने लगे कि अब आप जाइये। विश्वामित्र जी कहने लगे -हमारी बात का फैसला तो नहीं हुआ। शेषनाग जी बोले -विश्वामित्र जी फैसला तो हो चुका है।आपके पूरे जीवन का तप देने से भी पृथ्वी नहीं रूकी और वशिष्ठ जी के आधी घड़ी के सत्संग से ही पृथ्वी अपनी जगह पर रूक गई। फैसला तो हो गया तप से सत्संग बड़ा होता है। इसीलिए हमे सत्संग सुनना चाहिए और कभी भी जब भी कही आस पास सत्संग हो उसे सुनना उसपर अमल करना चाहिए ।*सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार। तो भी नहीं बराबरी सन्तन कियो विचार।।* 🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏 🙏🌹🌹🙏
*सत्संग बड़ा है या तप*
एक बार विश्वामित्र और वशिष्ठ जी में इस बात पर बहस हो गई कि सत्संग बड़ा है या तप। विश्वामित्र जी ने कठोर तपस्या करके ऋदिध्-सिध्दियों को प्राप्त किया था इसीलिए वे तप को बड़ा बता रहे थे। जबकि वशिष्ठ जी सत्संग को बड़ा बताते थे। वे इस बात का फैसला करवाने ब्रह्मा जी के पास चले गए। उनकी बात सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा कि मैं सृष्टि की रचना करने में व्यस्त हूं। आप विष्णु जी के पास जाइये।
विष्णु जी आपका फैसला अवश्य कर देगें। अब दोनों विष्णु जी के पास चले गए। विष्णु जी ने सोचा कि यदि मैं सत्संग को बड़ा बताता हूं तो विश्वामित्र जी नाराज होंगे और यदि तप को बड़ा बताता हूं तो वशिष्ठ जी के साथ अन्याय होगा। इसीलिए उन्होंने भी यह कहकर उन्हें टाल दिया कि मैं सृष्टि का पालन करने मैं व्यस्त हूं।
आप शंकर जी के पास चले जाइये अब दोनों शंकर जी के पास पहुंचे शंकर जी ने उनसे कहा कि यह मेरे वश की बात नहीं है। इसका फैसला तो शेषनाग जी कर सकते हैं।
अब दोनों शेषनाग जी के पास गए। शेषनाग ने उनसे पुछा-कहो ऋषियो कैसे आना हुआ।वशिष्ठ जी ने बताया कि हमारा फैसला किजिये कि तप बड़ा है या सत्संग बड़ा है। विश्वामित्र जी कहते हैं कि तप बड़ा है और मैं सत्संग को बड़ा बताता हूं शेषनाग जी ने कहा मैं अपने सिर पर पृथ्वी का भार उठाए हूं यदि आप में से कोई थोड़ी देर के लिए पृथ्वी के भार को उठा ले तो मैं आपका फैसला कर दूंगा। तप में अहंकार होता है विश्वामित्र जी तपस्वी थे। उन्होंने तुरन्त अहंकार में भरकर शेषनाग जी से कहा कि पृथ्वी को आप मुझे दिजिए विश्वामित्र ने पृथ्वी अपने सिर पर ले ली अब पृथ्वी नीचे की और चलने लगी शेषनाग जी बोले-विश्वामित्र जी रोको ! पृथ्वी रसातल को जा रही है विश्वामित्र ने कहा-मैं अपना सारा तप देता हूं पृथ्वी रूक जा परन्तु पृथ्वी नहीं रूकी। यह देखकर वशिष्ठ जी ने कहा -मैं आधी घड़ी का सत्संग देता हूं पृथ्वी माता रूक जा । पृथ्वी वहीं रूक गई। अब शेषनाग जी ने पृथ्वी को अपने सिर पर ले लिया और उनको कहने लगे कि अब आप जाइये। विश्वामित्र जी कहने लगे -हमारी बात का फैसला तो नहीं हुआ। शेषनाग जी बोले -विश्वामित्र जी फैसला तो हो चुका है।आपके पूरे जीवन का तप देने से भी पृथ्वी नहीं रूकी और वशिष्ठ जी के आधी घड़ी के सत्संग से ही पृथ्वी अपनी जगह पर रूक गई। फैसला तो हो गया तप से सत्संग बड़ा होता है।
इसीलिए हमे सत्संग सुनना चाहिए और कभी भी जब भी कही आस पास सत्संग हो उसे सुनना उसपर अमल करना चाहिए ।
*सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार। तो भी नहीं बराबरी सन्तन कियो विचार।।*
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