कैसे हुई कलियुग की शुरुआत By वनिता कासनियां पंजाब पुराणों में चार युगों का वर्णन मिलता है सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग । कलियुग को एक श्राप कहा जाता है । पर क्या आपको पता है कि इस पृथ्वी पर कलयुग कैसे आया और कैसे हुई कलयुग की शुरुआत । ,चलिए हम आपको बताते हैं । स्वागत है दोस्तो आप सभी का आपकी पसंदीदा वेबसाइट बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम पर एक बार फिर । क्या आपने कभी इस बात की ओर ध्यान दिया है कि ऐसे क्या कारण रहे होंगे जिनके चलते कलयुग को धरती पर आना पड़ा ।महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभटीय में इस बात का उल्लेख किया है कि जब वे तेईस वर्ष के थे तब कलयुग का छत्तीस सौ वर्ष चल रहा था । आंकड़ों के अनुसार आर्यभट्ट का जन्म चार सौ छिहत्तर में हुआ था । गणना की जाए तो कलयुग का आरंभ इकत्तीस सौ दो ईसा पूर्व हो चुका था ।,,राजा परीक्षित द्वारा कलयुग को दंडजब धर्मराज युधिष्ठिर अपना पूरा राजपाठ परीक्षित को सौंपकर अन्य पांडवों और द्रोपदी सहित महाप्रयाण हेतु हिमालय की और निकल गए थे । उन दिनों स्वयं धर्म बैल का रूप लेकर गाय के रूप में बैठी पृथ्वी देवी से सरस्वती नदी के किनारे मिले। गाय रूपी पृथ्वी के नयन आंसुओं से भरे हुए थे । उनकी आँखों से लगातार अश्रु बह रहे थे ।पृथ्वी को दुखी देख कर धर्म ने उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछा । धर्म ने कहा देवी तुम ये देख कर तो नहीं रो रही हो कि मेरा बस एक ही पैर है या तुम इस बात से दुखी हो कि अब अधर्म बढ़ेगा? इस सवाल का जवाब देते हुए पृथ्वी देवी बोली हे धर्म तुम तो सब कुछ जानते हो ऐसे में मेरे दुखों का कारण पूछने का क्या लाभ ।सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, असीम सुंदरता, त्याग, संपत्ति, ज्ञान, बल, प्रसिद्धि, शास्त्र, विचार, ज्ञान, वैराग्य, ऐश्वर्य, निर्भीकता, कोमलता, धैर्य और भी अनंत गुणों के स्वामी भगवान श्रीकृष्ण के स्वधाम चले जाने की वजह से कलयुग ने मुझ पर कब्जा कर लिया है । पहले भगवान कृष्ण के चरण मुझ पर पड़ते थे जिसकी वजह से मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती थी परंतु अब ऐसा नहीं है ।अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो चुका है । धर्म और पृथ्वी आपस में बात ही कर रहे थे कि इतने में असुर रूपी कलयुग वहाँ आ पहुँचा और बैल और गाय रूपी धर्म और पृथ्वी को मारने लगा । राजा परीक्षित वहाँ से गुजर रहे थे । जब उन्होंने ये दृश्य अपनी आँखों से देखा तो कलयुग पर बहुत क्रोधित हुए ।राजा परीक्षित की कलियुग से मुलाकातराजा परीक्षित ने कलयुग से कहा दुष्ट पापी तू कौन है इस गाय और बैल को क्यों सता रहा है? तू महान अपराधी है । तेरा अपराध क्षमा योग्य नहीं है इसलिए तेरा मरण निश्चित है । राजा परीक्षित ने बैल के रूप में धर्म और गाय के रूप में पृथ्वी देवी को पहचान लिया।राजा परीक्षित उनसे कहते हैं कि धर्म सतयुग में आपके तप, पवित्रता, दया और सत्य ये चार चरण थे । त्रेता में तीन चरण ही रह गए । द्वापर में दो ही रह गए और अब इस दुष्ट कलयुग के कारण आपका एक ही चरण रह गया है ।पृथ्वी देवी भी इस बात से दुखी हैं। इतना कहते ही राजा परीक्षित ने अपनी तलवार निकाली और कलयुग को मारने के लिए आगे बढ़े। राजा परीक्षित का क्रोध देखकर कलयुग थरथर कांपने लगा । कलयुग भयभीत होकर अपने राजसी वेश को उतारकर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और क्षमा याचना करने लगा ।राजा परीक्षित ने दी कलयुग को शरणराजा परीक्षित ने भी शरण में आए हुए कलयुग को मारना उचित ना समझा और उससे कहा, कलयुग मेरे शरण में आ गया है इसलिए मैं तुझे जीवन दान दे रहा हूँ । किन्तु अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है तो मेरे राज्य से अभी निकल जाओ और फिर कभी लौटकर मत आना ।परीक्षित की बात को सुनकर कलयुग ने कहा कि पूरी पृथ्वी पर आपका निवास है । पृथ्वी पर ऐसा कोई भी स्थान नहीं है यहाँ आपका राज्य ना हो। ऐसे में मुझे रहने के लिए स्थान प्रदान करें । कलयुग के यह कहने पर राजा परीक्षित ने कहा कि जहाँ भी जुआ खेला जाता हो , शराब का सेवन होता हो , अवैध शारीरिक सम्बन्ध और मांसाहार होता हो । तू इन चार स्थानों पर रह सकता है ।परंतु इस पर कलयुग बोला हे राजन! ये चार स्थान मेरे रहने के लिए अपर्याप्त है । मुझे अन्य जगह भी प्रदान कीजिये क्यूंकि आपके पवित्र राज्य में कोई भी ऐसा स्थान नहीं है जहां ये चीजें होती हों। इस मांग पर राजा परीक्षित ने उसे स्वर्ण के रूप में पांचवां स्थान प्रदान किया ।संछिप्त विवरण कि कलियुग के आने के बाद क्या होगा।कलयुग में राजा प्रजा कि रक्षा करने कि जगह उन शोषण करेंगे और मनमाने ढंग से शासन करेंगे । मन चाहे ढंग से उन पर लगान थोपेंगे । शासक अपने राज्य में अध्यात्म की जगह भय का प्रसार करेंगे । बडी संख्या में पलायन शुरू हो जाएगा ।लोग सस्ते खाद्य पदार्थ और सुविधाओं की तलाश में अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर होंगे । धर्म को नजर अंदाज किया जाएगा और लालच, सत्ता, पैसा सभी के मस्तिष्क में प्रबल रूप से विद्यमान रहेंगे ।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रमलोग बिना किसी पश्चाताप के अपराधी बनकर लोगों की हत्या भी करेंगे । संभोग ही जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत बन जाएगी । लोग बहुत आसानी से कसम खाएंगे और उसे तोड़ भी देंगे । लोग मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों की चपेट में आ जायेंगे।गुरुओं का सम्मान करने की परंपरा भी समाप्त हो जाएगी । ब्राह्मण ज्ञानी नहीं रहेंगे, क्षत्रियों का साहस खो जाएगा और वैश्य अपने व्यवसाय में ईमानदार नहीं रह पाएंगे ।धन्यवादआज ये सभी चीजें दोस्तो हमारी रोजमर्रा के जीवन की साधारण सी बातें लगती है। कलयुग का अंत कैसे होगा ये हम आपको एक दूसरी पोस्ट में बताएंगे। उम्मीद करते हैं कि कलयुग की शुरुआत की ये कहानी आपको बेहद पसंद आयी होगी ।जुड़े रहें बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम के साथ ऐसे ही और रोचक प्रसंग और कहानियों के लिए। हमसे जुड़ने के लिए हमारा व्हाट्सप्प ग्रुप ज्वाइन करें। ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहाँ क्लिक करें –बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम Whatsapp Group। अगर आपको ये कहानी पसंद आयी हो तो नीचे व्हाट्सप्प का हरा वाला बटन दबाकर इसे शेयर जरूर करें। आपका बहुत बहुत शुक्रिया!यह भी पड़ें – गरुण पुराण के अनुसार किन बातों का ध्यान रखेंपोस्ट को व्हाट्सप्प पर शेयर करें,वनिता कासनियां पंजाब
बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम पर एक बार फिर । क्या आपने कभी इस बात की ओर ध्यान दिया है कि ऐसे क्या कारण रहे होंगे जिनके चलते कलयुग को धरती पर आना पड़ा ।
महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभटीय में इस बात का उल्लेख किया है कि जब वे तेईस वर्ष के थे तब कलयुग का छत्तीस सौ वर्ष चल रहा था । आंकड़ों के अनुसार आर्यभट्ट का जन्म चार सौ छिहत्तर में हुआ था । गणना की जाए तो कलयुग का आरंभ इकत्तीस सौ दो ईसा पूर्व हो चुका था ।,,
राजा परीक्षित द्वारा कलयुग को दंड
जब धर्मराज युधिष्ठिर अपना पूरा राजपाठ परीक्षित को सौंपकर अन्य पांडवों और द्रोपदी सहित महाप्रयाण हेतु हिमालय की और निकल गए थे । उन दिनों स्वयं धर्म बैल का रूप लेकर गाय के रूप में बैठी पृथ्वी देवी से सरस्वती नदी के किनारे मिले। गाय रूपी पृथ्वी के नयन आंसुओं से भरे हुए थे । उनकी आँखों से लगातार अश्रु बह रहे थे ।
पृथ्वी को दुखी देख कर धर्म ने उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछा । धर्म ने कहा देवी तुम ये देख कर तो नहीं रो रही हो कि मेरा बस एक ही पैर है या तुम इस बात से दुखी हो कि अब अधर्म बढ़ेगा? इस सवाल का जवाब देते हुए पृथ्वी देवी बोली हे धर्म तुम तो सब कुछ जानते हो ऐसे में मेरे दुखों का कारण पूछने का क्या लाभ ।
सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, असीम सुंदरता, त्याग, संपत्ति, ज्ञान, बल, प्रसिद्धि, शास्त्र, विचार, ज्ञान, वैराग्य, ऐश्वर्य, निर्भीकता, कोमलता, धैर्य और भी अनंत गुणों के स्वामी भगवान श्रीकृष्ण के स्वधाम चले जाने की वजह से कलयुग ने मुझ पर कब्जा कर लिया है । पहले भगवान कृष्ण के चरण मुझ पर पड़ते थे जिसकी वजह से मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती थी परंतु अब ऐसा नहीं है ।
अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो चुका है । धर्म और पृथ्वी आपस में बात ही कर रहे थे कि इतने में असुर रूपी कलयुग वहाँ आ पहुँचा और बैल और गाय रूपी धर्म और पृथ्वी को मारने लगा । राजा परीक्षित वहाँ से गुजर रहे थे । जब उन्होंने ये दृश्य अपनी आँखों से देखा तो कलयुग पर बहुत क्रोधित हुए ।
राजा परीक्षित की कलियुग से मुलाकात
राजा परीक्षित ने कलयुग से कहा दुष्ट पापी तू कौन है इस गाय और बैल को क्यों सता रहा है? तू महान अपराधी है । तेरा अपराध क्षमा योग्य नहीं है इसलिए तेरा मरण निश्चित है । राजा परीक्षित ने बैल के रूप में धर्म और गाय के रूप में पृथ्वी देवी को पहचान लिया।
राजा परीक्षित उनसे कहते हैं कि धर्म सतयुग में आपके तप, पवित्रता, दया और सत्य ये चार चरण थे । त्रेता में तीन चरण ही रह गए । द्वापर में दो ही रह गए और अब इस दुष्ट कलयुग के कारण आपका एक ही चरण रह गया है ।
पृथ्वी देवी भी इस बात से दुखी हैं। इतना कहते ही राजा परीक्षित ने अपनी तलवार निकाली और कलयुग को मारने के लिए आगे बढ़े। राजा परीक्षित का क्रोध देखकर कलयुग थरथर कांपने लगा । कलयुग भयभीत होकर अपने राजसी वेश को उतारकर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और क्षमा याचना करने लगा ।
राजा परीक्षित ने दी कलयुग को शरण
राजा परीक्षित ने भी शरण में आए हुए कलयुग को मारना उचित ना समझा और उससे कहा, कलयुग मेरे शरण में आ गया है इसलिए मैं तुझे जीवन दान दे रहा हूँ । किन्तु अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है तो मेरे राज्य से अभी निकल जाओ और फिर कभी लौटकर मत आना ।
परीक्षित की बात को सुनकर कलयुग ने कहा कि पूरी पृथ्वी पर आपका निवास है । पृथ्वी पर ऐसा कोई भी स्थान नहीं है यहाँ आपका राज्य ना हो। ऐसे में मुझे रहने के लिए स्थान प्रदान करें । कलयुग के यह कहने पर राजा परीक्षित ने कहा कि जहाँ भी जुआ खेला जाता हो , शराब का सेवन होता हो , अवैध शारीरिक सम्बन्ध और मांसाहार होता हो । तू इन चार स्थानों पर रह सकता है ।
परंतु इस पर कलयुग बोला हे राजन! ये चार स्थान मेरे रहने के लिए अपर्याप्त है । मुझे अन्य जगह भी प्रदान कीजिये क्यूंकि आपके पवित्र राज्य में कोई भी ऐसा स्थान नहीं है जहां ये चीजें होती हों। इस मांग पर राजा परीक्षित ने उसे स्वर्ण के रूप में पांचवां स्थान प्रदान किया ।
संछिप्त विवरण कि कलियुग के आने के बाद क्या होगा।
कलयुग में राजा प्रजा कि रक्षा करने कि जगह उन शोषण करेंगे और मनमाने ढंग से शासन करेंगे । मन चाहे ढंग से उन पर लगान थोपेंगे । शासक अपने राज्य में अध्यात्म की जगह भय का प्रसार करेंगे । बडी संख्या में पलायन शुरू हो जाएगा ।
लोग सस्ते खाद्य पदार्थ और सुविधाओं की तलाश में अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर होंगे । धर्म को नजर अंदाज किया जाएगा और लालच, सत्ता, पैसा सभी के मस्तिष्क में प्रबल रूप से विद्यमान रहेंगे ।
बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रमलोग बिना किसी पश्चाताप के अपराधी बनकर लोगों की हत्या भी करेंगे । संभोग ही जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत बन जाएगी । लोग बहुत आसानी से कसम खाएंगे और उसे तोड़ भी देंगे । लोग मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों की चपेट में आ जायेंगे।
गुरुओं का सम्मान करने की परंपरा भी समाप्त हो जाएगी । ब्राह्मण ज्ञानी नहीं रहेंगे, क्षत्रियों का साहस खो जाएगा और वैश्य अपने व्यवसाय में ईमानदार नहीं रह पाएंगे ।
धन्यवाद
आज ये सभी चीजें दोस्तो हमारी रोजमर्रा के जीवन की साधारण सी बातें लगती है। कलयुग का अंत कैसे होगा ये हम आपको एक दूसरी पोस्ट में बताएंगे। उम्मीद करते हैं कि कलयुग की शुरुआत की ये कहानी आपको बेहद पसंद आयी होगी ।
जुड़े रहें बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम के साथ ऐसे ही और रोचक प्रसंग और कहानियों के लिए। हमसे जुड़ने के लिए हमारा व्हाट्सप्प ग्रुप ज्वाइन करें। ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहाँ क्लिक करें –बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम अगर आपको ये कहानी पसंद आयी हो तो नीचे व्हाट्सप्प का हरा वाला बटन दबाकर इसे शेयर जरूर करें। आपका बहुत बहुत शुक्रिया!
यह भी पड़ें – गरुण पुराण के अनुसार किन बातों का ध्यान रखें
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