4464005860401745 'तकदीर और किस्मत' देखा जाए तो ये एक सिक्के के दो पहलू जैसे हैं। एक के साथ दूसरा जुड़ा हुआ ही है। By Vnita kasnia Punjab तकदीर - बहुतों का यही कहना है कि जो तकदीर में लिखा है वही सही होता है। कहने वाले सही कहते हैं।अब कोई गरीब खानदान में पैदा होता है,वो उसकी तकदीर है क्योंकि उसमें वो कुछ नहीं कर सकता है। उसके माता पिता कौन होंगे यह सब उसकी तकदीर में लिखा होता है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।पर इंसान गरीब घर में जन्म लेकर गरीब ही रहे, यह तकदीर नहीं बल्कि उसके कर्म तय करते हैं।किस्मत - कहने वाले तो यह भी कहते हैं किस्मत का लिखा बदला नहीं जा सकता है।मेरा कहना है, जरूर बदला जा सकता है।गीता में दिए गए उपदेश जो कर्म को प्रधान बताते हैं और साथ में आज के अनेक उदाहरण जो यह साबित करते हैं कि कर्म से किस्मत को बदला जा सकता है।धीरू भाई अंबानी हो, बिल गेट्स हो,अलकेम दवा कंपनी के मालिक या ग्लैमर दुनिया के कई सितारे जैसे- राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी हों। सबने शुरुआत जी़रो से की थी आज वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।अपने देश के प्रधानमंत्री का उदाहरण क्या कम है?जिस परिवेश में उन्होंने जन्म लिया ये उनकी तकदीर थी। अपने मेहनत से वो प्रधानमंत्री बने ये उनकी मेहनत, लगन, धैर्य, अटूट परिश्रम का ही परिणाम है।आइए आपको एक तस्वीर दिखाते हैं।यह किसी इंसान के हाथ की तस्वीर है। इस हाथ में कई रेखाएँ दिखायी दे रही हैं जो उनकी तकदीर से जुड़ी कई कहानी को बयां करती होगी। कई लोग हाथ देखकर बता सकते हैं कि यह रेखा है तो यह होगा, वो रेखा है तो वो होगा।मानते हैं कुछ सही होंगी और कुछ नहीं होंगी। जहाँ नहीं वाली बात है तो क्या हम उस नहीं को सच मानकर बैठ जाएँ और कुछ करें ही नहीं ?आप हाथ को गौर से देखिए !!हमें बनाने वाले ने हाथों की लकीरों के आगे ऊंगलियाँ क्यों दी हैं ?वो इसलिए कि हम हाथों से मेहनत करके अपनी किस्मत अपने हाथ से लिख सकें।मैं अपना ही उदाहरण दे सकती हूँ। जब Quora शुरू हुआ था तो कोई हमें नहीं जानता था, आज कुछ लोग मुझे जानते हैं तो यह मेरी मेहनत ही है कि मैं यहाँ निरंतर लिखने, पढ़ने और सब के साथ जुड़े रहने का प्रयास करती रहती हूँ।पूरे लेख का सार यही है कि कुछ चीजें जो हमारे जन्म के साथ तकदीर से जुड़ी होती हैं, वो सत्य है, जिसे बदला नहीं जा सकता है लेकिन किस्मत को बदलना हमारे अपने कर्म पर निर्भर है।यह मेरी सोच है। सहमति या असहमति आपका अधिकार है। सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Siment is a binder , By Vnita Kasina Punjab ✌️ 🇮🇳A substance used in construction that sets, hardens, and binds other materials together.

  भाषा पीडीएफ डाउनलोड करें घड़ी संपादन क सीमेंट एक  बाइंडर  है , By Vnita Kasina Punjab ✌️ 🇮🇳    निर्माण में इस्तेमाल होने वाला एक  क पदार्थ जो  जमता है  , कठोर होता है और अन्य  सामग्रियों को आपस में जोड़ने के लिए उनसे चिपक जाता है। सीमेंट  का  इस्तेमाल अकेले शायद ही कभी किया जाता है, बल्कि इसका इस्तेमाल रेत और बजरी (  एग्रीगेट  ) को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। सीमेंट को महीन एग्रीगेट के साथ मिलाकर चिनाई के लिए  गारा  बनाया जाता है , या  रेत  और  बजरी के साथ मिलाकर  कंक्रीट  बनाया जाता है।  कंक्रीट दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली सामग्री है और पानी के बाद दुनिया का सबसे ज़्यादा खपत वाला संसाधन है।  [  2  ] एक बैग में सीमेंट पाउडर, समुच्चय और पानी के साथ मिश्रण करने के लिए तैयार।  [  1  ] 1905 में टोलेडो, ओहियो की मल्टीप्लेक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा सीमेंट ब्लॉक निर्माण के उदाहरण निर्माण में प्रयुक्त सीमेंट आमतौर पर  अ...

'तकदीर और किस्मत' देखा जाए तो ये एक सिक्के के दो पहलू जैसे हैं। एक के साथ दूसरा जुड़ा हुआ ही है। By Vnita kasnia Punjab तकदीर - बहुतों का यही कहना है कि जो तकदीर में लिखा है वही सही होता है। कहने वाले सही कहते हैं।अब कोई गरीब खानदान में पैदा होता है,वो उसकी तकदीर है क्योंकि उसमें वो कुछ नहीं कर सकता है। उसके माता पिता कौन होंगे यह सब उसकी तकदीर में लिखा होता है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।पर इंसान गरीब घर में जन्म लेकर गरीब ही रहे, यह तकदीर नहीं बल्कि उसके कर्म तय करते हैं।किस्मत - कहने वाले तो यह भी कहते हैं किस्मत का लिखा बदला नहीं जा सकता है।मेरा कहना है, जरूर बदला जा सकता है।गीता में दिए गए उपदेश जो कर्म को प्रधान बताते हैं और साथ में आज के अनेक उदाहरण जो यह साबित करते हैं कि कर्म से किस्मत को बदला जा सकता है।धीरू भाई अंबानी हो, बिल गेट्स हो,अलकेम दवा कंपनी के मालिक या ग्लैमर दुनिया के कई सितारे जैसे- राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी हों। सबने शुरुआत जी़रो से की थी आज वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।अपने देश के प्रधानमंत्री का उदाहरण क्या कम है?जिस परिवेश में उन्होंने जन्म लिया ये उनकी तकदीर थी। अपने मेहनत से वो प्रधानमंत्री बने ये उनकी मेहनत, लगन, धैर्य, अटूट परिश्रम का ही परिणाम है।आइए आपको एक तस्वीर दिखाते हैं।यह किसी इंसान के हाथ की तस्वीर है। इस हाथ में कई रेखाएँ दिखायी दे रही हैं जो उनकी तकदीर से जुड़ी कई कहानी को बयां करती होगी। कई लोग हाथ देखकर बता सकते हैं कि यह रेखा है तो यह होगा, वो रेखा है तो वो होगा।मानते हैं कुछ सही होंगी और कुछ नहीं होंगी। जहाँ नहीं वाली बात है तो क्या हम उस नहीं को सच मानकर बैठ जाएँ और कुछ करें ही नहीं ?आप हाथ को गौर से देखिए !!हमें बनाने वाले ने हाथों की लकीरों के आगे ऊंगलियाँ क्यों दी हैं ?वो इसलिए कि हम हाथों से मेहनत करके अपनी किस्मत अपने हाथ से लिख सकें।मैं अपना ही उदाहरण दे सकती हूँ। जब Quora शुरू हुआ था तो कोई हमें नहीं जानता था, आज कुछ लोग मुझे जानते हैं तो यह मेरी मेहनत ही है कि मैं यहाँ निरंतर लिखने, पढ़ने और सब के साथ जुड़े रहने का प्रयास करती रहती हूँ।पूरे लेख का सार यही है कि कुछ चीजें जो हमारे जन्म के साथ तकदीर से जुड़ी होती हैं, वो सत्य है, जिसे बदला नहीं जा सकता है लेकिन किस्मत को बदलना हमारे अपने कर्म पर निर्भर है।यह मेरी सोच है। सहमति या असहमति आपका अधिकार है।

'तकदीर और किस्मत' देखा जाए तो ये एक सिक्के के दो पहलू जैसे हैं। एक के साथ दूसरा जुड़ा हुआ ही है।

By Vnita kasnia Punjab

तकदीर - बहुतों का यही कहना है कि जो तकदीर में लिखा है वही सही होता है। कहने वाले सही कहते हैं।

अब कोई गरीब खानदान में पैदा होता है,वो उसकी तकदीर है क्योंकि उसमें वो कुछ नहीं कर सकता है। उसके माता पिता कौन होंगे यह सब उसकी तकदीर में लिखा होता है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।

पर इंसान गरीब घर में जन्म लेकर गरीब ही रहे, यह तकदीर नहीं बल्कि उसके कर्म तय करते हैं।

किस्मत - कहने वाले तो यह भी कहते हैं किस्मत का लिखा बदला नहीं जा सकता है।

मेरा कहना है, जरूर बदला जा सकता है।

गीता में दिए गए उपदेश जो कर्म को प्रधान बताते हैं और साथ में आज के अनेक उदाहरण जो यह साबित करते हैं कि कर्म से किस्मत को बदला जा सकता है।

धीरू भाई अंबानी हो, बिल गेट्स हो,अलकेम दवा कंपनी के मालिक या ग्लैमर दुनिया के कई सितारे जैसे- राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी हों। सबने शुरुआत जी़रो से की थी आज वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।

अपने देश के प्रधानमंत्री का उदाहरण क्या कम है?

जिस परिवेश में उन्होंने जन्म लिया ये उनकी तकदीर थी। अपने मेहनत से वो प्रधानमंत्री बने ये उनकी मेहनत, लगन, धैर्य, अटूट परिश्रम का ही परिणाम है।

आइए आपको एक तस्वीर दिखाते हैं।

यह किसी इंसान के हाथ की तस्वीर है। इस हाथ में कई रेखाएँ दिखायी दे रही हैं जो उनकी तकदीर से जुड़ी कई कहानी को बयां करती होगी। कई लोग हाथ देखकर बता सकते हैं कि यह रेखा है तो यह होगा, वो रेखा है तो वो होगा।

मानते हैं कुछ सही होंगी और कुछ नहीं होंगी। जहाँ नहीं वाली बात है तो क्या हम उस नहीं को सच मानकर बैठ जाएँ और कुछ करें ही नहीं ?

आप हाथ को गौर से देखिए !!

हमें बनाने वाले ने हाथों की लकीरों के आगे ऊंगलियाँ क्यों दी हैं ?

वो इसलिए कि हम हाथों से मेहनत करके अपनी किस्मत अपने हाथ से लिख सकें।

मैं अपना ही उदाहरण दे सकती हूँ। जब Quora शुरू हुआ था तो कोई हमें नहीं जानता था, आज कुछ लोग मुझे जानते हैं तो यह मेरी मेहनत ही है कि मैं यहाँ निरंतर लिखने, पढ़ने और सब के साथ जुड़े रहने का प्रयास करती रहती हूँ।

पूरे लेख का सार यही है कि कुछ चीजें जो हमारे जन्म के साथ तकदीर से जुड़ी होती हैं, वो सत्य है, जिसे बदला नहीं जा सकता है लेकिन किस्मत को बदलना हमारे अपने कर्म पर निर्भर है।

यह मेरी सोच है। सहमति या असहमति आपका अधिकार है।

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बलुवाना न्यूज 6 कोरोना वायरस का प्रसार:बीते 24 घंटे में देश में 19,100 नया केस, महाराष्ट्र-केरल के ब

बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रही है। इससे पॉल्युशन रोकने में भी मदद मिलेगी। बायोमीथेन फ्यूज का यूज एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गाय के गोबर से जो बायोमीथेन ईंधन तैयार होता है, उससे 270 BHP का ट्रैक्टर आसानी से चलाया जा सकता है। ब्रिटेन के साइंटिस्ट ने इस ट्रैक्टर को बनाने का काम किया है। यह उसी तरह काम करेगा, जिस तरह से CNG की गाड़ियां काम करती हैं। किस तरह काम करेगा यह ट्रैक्टर इस ट्रैक्टर को चलाने के लिए गायों के गोबर को इकट्ठा कर उसे बायोमीथेन (Positive Methane) में बदला गया। इसके लिए ट्रैक्टर में एक क्रॉयोजेनिक टैंक भी वैज्ञानिकों ने लगाया है। जिसमें गोबर से तैयार बायोमीथेन फ्यूल का यूज किया जाता है। क्रॉयोजेनिक टैंक (cryogenic tank) 162 डिग्री के टेंपरेचर में बायोमीथेन को लिक्विफाइड करने का काम करता है। खेती-किसानी होगा आसान इस ट्रैक्टर का टेस्ट कॉर्नवॉल (Cornwall) के एक खेत में किया गया है। इसका फायदा ये हुआ कि सिर्फ एक साल में ही कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 2,500 टन से घटकर 500 टन हो गया। इस ट्रैक्टर के आने से खेती-किसानी आसान होगी और डीजल पर आने वाला खर्च कम होगा।

   बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।   आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रह...

*💐💐💐 ज्ञान की पोटली 💐💐💐* *सदैव प्रथम स्थान पर रहें_* *मुस्कराने में...*, *प्रशंसा करने में....*, *सहयोग करने में...* *क्षमा करने में..."* *और,**अपनी गलती मान लेने में ॥* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*तकलीफ़ तो खुद ही* *कम हो गयी**जब लोगों कि उम्मीद* *हमसे कम हो गयी*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹वनिता कासनियां पंजाब *आपके प्रयत्न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिये न हों, बल्कि परिवार में विवेक जागृत करने के लिये भी हो।* *जिंदगी में खुशियाँ आपके पास पैसा कितना है इस बात पर कम व आपके पास धैर्य कितना है, इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है।* *आप में परिवार के अन्दर की समस्याओं और बाहरी द्वेष से विवेकपूर्ण ढंग से निपटने की तथा गलत को गलत कहने की क्षमता कितनी हे।**!!!....एक शांत मन* *चुनौतियों के खिलाफ* *सबसे बड़ा* *हथियार होता है...!!!**💐💐💐💐शुभ प्रभात 💐💐💐**🌷🌷आपका दिन मंगलमय हो 🌷🌷*

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,,आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है।सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभपारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है।अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढऩा चाहते हों, योग और ध्यान में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की पूजा एवं उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।यदि आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो, लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी समस्त कष्ट दूर हो जायेगे।संकटों से मुक्ति के लिए किसी भी माह में प्रदोष के दिन पारद के शिवलिंग की षोडशोपचार पूजा करके शिव महिमा मन्त्र से अभिषेक करें। फिर हर दिन पूजन करते रहें, कुछ ही समय में आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है। कर्ज मुक्ति होती है।अगर आपके घर या व्यापार स्थल पर अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो। तो पारद के शिवलिंग की पूजा करे।आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढऩा शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी। मेरे घर मे जो जल पारद के शिवलिंग पर चढ़ता है, वही गमले मे डाल दिया जाता है।पारद शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करने से समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।पारद के शिवलिंग के दर्शन मात्र से आपकी सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और धन-यश की इच्छा पूर्ण होती है।जो भी भक्त पारद शिवलिंग की पूजा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं महाकाल और महाकाली करते हैं।इस शिवलिंग के स्पर्श मात्र से दैवीय शक्तियां व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।आत्मविश्वास की कमी है तो करे पारद के शिवलिंग की पूजा। जो लोग अपनी बात सार्वजनिक रूप से खुलकर नही रख पाते है।लोग आपको दब्बू की संज्ञा देते हैं तो आपको नियमित रूप से पारद शिवलिंग की पूजा करना चाहिए। इससे मस्तिष्क को उर्वरता प्राप्त होती है। वाक सिद्धि प्राप्त होती है। हजारों लोगों को अपनी वाणी से सम्मोहित करने की क्षमता आ जाती है।पारद शिवलिंग की पूजा करने से धन से संबंधित, परिवार से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित और आपके जीवन से जुड़ी हुई हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या का अंत होता है।यह शिवलिंग घर की बुरी शक्तियों को दूर करती है |किसी भी तरह का जादू टोना घर के सदस्यों पर होने से रोकता है |परिवार के सदस्यों को असीम शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है |यह घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करता हैअगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है | ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है |ऐसे करे पारद के शिवलिंग की पूजासर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:चौथी बार ॐशिवाय नम:हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।मीठे का भोग लगा दे।भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।मेरे घर के पारद के शिवलिंगमेरे घर के पूजा घर के दो जगहों पर दो पारद के शिवलिंग थे । एक पूजा घर से चोरी हो गया या ग़ायब हो गया नही पता चला।उस शिवलिंग का पता नही चला उसकी मैं पूजा और ध्यान किया करता था। मुझे काफी लाभ मिला था । उस शिवलिंग पर मुझे बहुत श्रद्धा थी। चोरी हो गया अफसोस है , शायद मुझसे ज्यादा उसको जरूरत होगी ।ये पारद शिवलिंग है मेरे घर के पूजा घर मे है ।पारद का शिवलिंग बहुत कम देखने को मिलता है , पारद का शिवलिंग बनाने की एक विधि होती है । मेरे गुरुजी के शिष्य ने ये विद्या गुरुजी से सीखी थी , उन्होंने बना कर दो हम लोगो को दिया था , एक छोटा था , एक बड़ा था । उस शिष्य ने जब इस विद्या का धंधा शुरू कर दिया तो गुरुजी ने उसे आश्रम से निकाल दिया तब से आज तक उससे मुलाकात नही हो पाई।पारद के शिवलिंग का महत्वप्राचीन ग्रंथों में पारद को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है। इसका वर्णन चरक संहिता आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थों में भी मिलता है। शिवपुराण में पारद को शिव का वीर्य कहा गया है। वीर्य बीज है, जो संपूर्ण जीवों की उत्पत्ति का कारक है। इसी के माध्यम से भौतिक सृष्टि का विस्तार होता है। पारे को प्राकृतिक रूप से प्रबल ऊर्जा प्रदान करने वाला रासायनिक तत्व कहा गया है। पारे से बने शिवलिंग को समस्त प्रकार की वस्तुओं से बने शिवलिंगों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और इसकी पूजा सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाली कही गई है। ग्रंथों में शिव लिंग को ब्रम्हांड का प्रतीक माना गया है। जानकारों के अनुसार रुद्र संहिता में शिव लिंगों के भी प्रकार बताए गए हैं, जो सृष्टि में व्याप्त अलग-अलग ब्रम्हांडों के प्रतीक माने जाते हैं। वैदिक ग्रंथों में पारे को संसार के समस्त राग, द्वेष, विकार का विनाशक माना गया है। जो लोग अध्यात्म की राह पर चलना चाहते हैं, उनके लिए पारद शिवलिंग की पूजा अवश्य करना चाहिए। समस्त प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए भी पारद शिवलिंग की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि पारे के शिव लिंग को यदि निश्चित आकार में घर पर रखा जाए तो सारे वास्तुदोष्ज्ञ स्वत: समाप्त हो जाते हैं। इस शिवलिंग को पूरे शिव परिवार के साथ रखा जाना चाहिए। पूजन विधि में, समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति में पारद से बने शिवलिंग एवं अन्य आकृतियों का विशेष महत्व होता है।सरल नही है पारद का शिवलिंग बनानापारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्य धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम।इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, सोना, चाँदी,ताबा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए। इन सब को मिलाकर ठोस रूप दिया जाता है।पारद का शोधन अत्यंत कठिन कार्य होता है। इसको शोधित करने जैसी कठिन एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, तब जाकर पारा ठोस आकार ग्रहण करता है पारद शिवलिंग बनाने की एक विद्या होती है जिसको सीखना पड़ता है । इसे ठोस बनाने के लिए वैदिक क्रियाओं सहित चौसठ दिव्य औषधियों का मिश्रण करना पड़ता है। निर्माण के बाद उसे मांत्रिक क्रियाओं के जरिए रससिद्ध एवं चैतन्य किया जाता है, तब जाकर पारद शिवलिंग पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है तो उसकी पूजा होती है। असली पारद शिवलिंग का निर्माण एक विशेष समय अवधि में ही होता है | इस विशेष समय को विजयकाल के नाम से जाना जाता है | बाजार में दिखावे के भी पारद शिवलिंग भी मिलते है जो ठग विद्या के लिए बने है | इन्हे खरीदने से पहले इनकी अच्छे से जांच कर लेनी चाहिएवनिता कासनियां पंजाबकहाँ होता है निर्माणभोपाल से 142 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे बने बापौली-मांगरोल आश्रम में इन दिनों पारद शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। 8 महीने में 64 जड़ी-बूटियों के साथ सोना-चांदी-ताबा मिलाकर इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनकी कीमत 11000 रुपए से शुरू होकर 1 करोड़ तक होती है। यहाँ साल भर में 30 से 35 पारद शिवलिंग बनते है। रायसेन जिले के बरेली तहसील में नर्मदा किनारे मांगरौल आश्रम बना है। यहां बरसों से पारद शिवलिंग बनाया जाता है। देश के कई हिस्सों से लोग साल भर यहां शिवलिंग बनवाने आते हैं। ये काम पूरे साल चलता रहता है। सावन सोमवार और महाशिवरात्रि आने पर इनकी मांग बढ़ जाती है। पारद शिवलिंग को बनाना बेहद मुश्किल काम है। बिना किसी मशीनी मदद से पारे को साफ करने के लिए 8 संस्कार किए जाते हैं। अष्ट संस्कार में 6 महीने लग जाते हैं। 2 महीने 15 दिन से लगते हैं बाकी क्रियाओं में और इसके बाद पारद शिवलिंग बन कर तैयार होता है बाद सभी 64 औषधियां मिलाकर पारद को ठोस बनाया जाता है। कपारद का प्रभाव बढ़ाने के लिए सोना-चांदी भी मिलाया जाता है।स्रोत इमेज गूगल/ मेरा फोनस्रोत लिंकसमस्त सुखों की प्राप्ति के लिए कीजिए पारद शिवलिंग की पूजापारद शिवलिंग का महत्व महिमा और इसे पूजने से होने वाले लाभघर में रखें पारद शिवलिंग, जानें इनकी पूजा के कितने हैं फायदेपारद शिवलिंगपारद शिवलिंग

,, आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभ पारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है । पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज क...