'तकदीर और किस्मत' देखा जाए तो ये एक सिक्के के दो पहलू जैसे हैं। एक के साथ दूसरा जुड़ा हुआ ही है। By Vnita kasnia Punjab तकदीर - बहुतों का यही कहना है कि जो तकदीर में लिखा है वही सही होता है। कहने वाले सही कहते हैं।अब कोई गरीब खानदान में पैदा होता है,वो उसकी तकदीर है क्योंकि उसमें वो कुछ नहीं कर सकता है। उसके माता पिता कौन होंगे यह सब उसकी तकदीर में लिखा होता है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।पर इंसान गरीब घर में जन्म लेकर गरीब ही रहे, यह तकदीर नहीं बल्कि उसके कर्म तय करते हैं।किस्मत - कहने वाले तो यह भी कहते हैं किस्मत का लिखा बदला नहीं जा सकता है।मेरा कहना है, जरूर बदला जा सकता है।गीता में दिए गए उपदेश जो कर्म को प्रधान बताते हैं और साथ में आज के अनेक उदाहरण जो यह साबित करते हैं कि कर्म से किस्मत को बदला जा सकता है।धीरू भाई अंबानी हो, बिल गेट्स हो,अलकेम दवा कंपनी के मालिक या ग्लैमर दुनिया के कई सितारे जैसे- राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी हों। सबने शुरुआत जी़रो से की थी आज वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।अपने देश के प्रधानमंत्री का उदाहरण क्या कम है?जिस परिवेश में उन्होंने जन्म लिया ये उनकी तकदीर थी। अपने मेहनत से वो प्रधानमंत्री बने ये उनकी मेहनत, लगन, धैर्य, अटूट परिश्रम का ही परिणाम है।आइए आपको एक तस्वीर दिखाते हैं।यह किसी इंसान के हाथ की तस्वीर है। इस हाथ में कई रेखाएँ दिखायी दे रही हैं जो उनकी तकदीर से जुड़ी कई कहानी को बयां करती होगी। कई लोग हाथ देखकर बता सकते हैं कि यह रेखा है तो यह होगा, वो रेखा है तो वो होगा।मानते हैं कुछ सही होंगी और कुछ नहीं होंगी। जहाँ नहीं वाली बात है तो क्या हम उस नहीं को सच मानकर बैठ जाएँ और कुछ करें ही नहीं ?आप हाथ को गौर से देखिए !!हमें बनाने वाले ने हाथों की लकीरों के आगे ऊंगलियाँ क्यों दी हैं ?वो इसलिए कि हम हाथों से मेहनत करके अपनी किस्मत अपने हाथ से लिख सकें।मैं अपना ही उदाहरण दे सकती हूँ। जब Quora शुरू हुआ था तो कोई हमें नहीं जानता था, आज कुछ लोग मुझे जानते हैं तो यह मेरी मेहनत ही है कि मैं यहाँ निरंतर लिखने, पढ़ने और सब के साथ जुड़े रहने का प्रयास करती रहती हूँ।पूरे लेख का सार यही है कि कुछ चीजें जो हमारे जन्म के साथ तकदीर से जुड़ी होती हैं, वो सत्य है, जिसे बदला नहीं जा सकता है लेकिन किस्मत को बदलना हमारे अपने कर्म पर निर्भर है।यह मेरी सोच है। सहमति या असहमति आपका अधिकार है।
'तकदीर और किस्मत' देखा जाए तो ये एक सिक्के के दो पहलू जैसे हैं। एक के साथ दूसरा जुड़ा हुआ ही है।
तकदीर - बहुतों का यही कहना है कि जो तकदीर में लिखा है वही सही होता है। कहने वाले सही कहते हैं।
अब कोई गरीब खानदान में पैदा होता है,वो उसकी तकदीर है क्योंकि उसमें वो कुछ नहीं कर सकता है। उसके माता पिता कौन होंगे यह सब उसकी तकदीर में लिखा होता है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।
पर इंसान गरीब घर में जन्म लेकर गरीब ही रहे, यह तकदीर नहीं बल्कि उसके कर्म तय करते हैं।
किस्मत - कहने वाले तो यह भी कहते हैं किस्मत का लिखा बदला नहीं जा सकता है।
मेरा कहना है, जरूर बदला जा सकता है।
गीता में दिए गए उपदेश जो कर्म को प्रधान बताते हैं और साथ में आज के अनेक उदाहरण जो यह साबित करते हैं कि कर्म से किस्मत को बदला जा सकता है।
धीरू भाई अंबानी हो, बिल गेट्स हो,अलकेम दवा कंपनी के मालिक या ग्लैमर दुनिया के कई सितारे जैसे- राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी हों। सबने शुरुआत जी़रो से की थी आज वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
अपने देश के प्रधानमंत्री का उदाहरण क्या कम है?
जिस परिवेश में उन्होंने जन्म लिया ये उनकी तकदीर थी। अपने मेहनत से वो प्रधानमंत्री बने ये उनकी मेहनत, लगन, धैर्य, अटूट परिश्रम का ही परिणाम है।
आइए आपको एक तस्वीर दिखाते हैं।
यह किसी इंसान के हाथ की तस्वीर है। इस हाथ में कई रेखाएँ दिखायी दे रही हैं जो उनकी तकदीर से जुड़ी कई कहानी को बयां करती होगी। कई लोग हाथ देखकर बता सकते हैं कि यह रेखा है तो यह होगा, वो रेखा है तो वो होगा।
मानते हैं कुछ सही होंगी और कुछ नहीं होंगी। जहाँ नहीं वाली बात है तो क्या हम उस नहीं को सच मानकर बैठ जाएँ और कुछ करें ही नहीं ?
आप हाथ को गौर से देखिए !!
हमें बनाने वाले ने हाथों की लकीरों के आगे ऊंगलियाँ क्यों दी हैं ?
वो इसलिए कि हम हाथों से मेहनत करके अपनी किस्मत अपने हाथ से लिख सकें।
मैं अपना ही उदाहरण दे सकती हूँ। जब Quora शुरू हुआ था तो कोई हमें नहीं जानता था, आज कुछ लोग मुझे जानते हैं तो यह मेरी मेहनत ही है कि मैं यहाँ निरंतर लिखने, पढ़ने और सब के साथ जुड़े रहने का प्रयास करती रहती हूँ।
पूरे लेख का सार यही है कि कुछ चीजें जो हमारे जन्म के साथ तकदीर से जुड़ी होती हैं, वो सत्य है, जिसे बदला नहीं जा सकता है लेकिन किस्मत को बदलना हमारे अपने कर्म पर निर्भर है।
यह मेरी सोच है। सहमति या असहमति आपका अधिकार है।
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