4464005860401745 ई-शासनभारत में विधिक सेवाएँमहत्वपूर्ण अधिनियमबच्चों से जुड़ी अधिनियमकिशोर न्याय अधिनियम, 2015बाल कल्याण समितिअवस्था:खुलाबाल कल्याण समितिBy वनिता कासनियां पंजाबबाल कल्याण समितिसमिति के संबंध में प्रक्रियासमिति की शक्तियाँसमिति के कृत्य और उत्तरदायित्वबाल कल्याण समिति(1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक जिले के लिए इस अधिनियम के अधीन देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक के संबंध में एक या अधिक बाल कल्याण समितियों का, ऐसी समितियों को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने और कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए गठन करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि समिति के सभी सदस्यों के अधिष्ठापन, प्रशिक्षण और संवेदनशीलता की, अधिसूचना की तारीख से दो मास के भीतर व्यवस्था की जाए।(2) समिति, एक अध्यक्ष और चार ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिन्हें राज्य सरकार नियुक्त करना ठीक समझे और उनमें से कम से कम एक महिला होगी और दूसरा बालकों से संबंधित विषयों का विशेषज्ञ होगा।(3) जिला बालक संरक्षण एकक एक सचिव और उतने अन्य कर्मचारिवृंद उपलब्ध कराएगा, जितने समिति को उसके प्रभावी कार्यकरण हेतु सचिवालयिक सहायता के लिए अपेक्षित हों।(4) किसी व्यक्ति को समिति के सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक ऐसा व्यक्ति कम से कम सात वर्ष तक बालकों से संबंधित स्वास्थ्य, शिक्षा या कल्याण संबंधी कार्यकलापों में सक्रिय रूप से अंतर्वलित न हो या बाल मनोविज्ञान या मनोरोग विज्ञान या विधि या सामाजिक कार्य या समाज विज्ञान अथवा मानव विकास में डिग्री के साथ व्यवसायरत व्यवसायी न हो।(5) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक उसके पास ऐसी अहंताएं न हो, जो विहित की जाएं।(6) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तीन वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा।(7) राज्य सरकार द्वारा समिति के किसी सदस्य की नियुक्ति, जांच किए जाने के पश्चात् समाप्त कर दी जाएगी, यदि(i) वह इस अधिनियम के अधीन उसमें निहित शक्ति के दुरुपयोग का दोषी पाया गया हो;(ii) वह किसी ऐसे अपराध का सिद्धदोष ठहराया गया हो जिसमें नैतिक अधमता अंतर्वलित है और ऐसी दोषसिद्धि को उलटा नहीं गया है या ऐसे अपराध की बाबत उसे पूर्ण क्षमा प्रदान नहीं की गई है;(iii) वह, किसी विधिमान्य कारण के बिना लगातार तीन मास तक, समिति की कार्यवाहियों में उपस्थित रहने में असफल रहता है या किसी वर्ष में कम से कम तीन चौथाई बैठकों में उपस्थित रहने में असफल रहता है।(8) जिला मजिस्ट्रेट, समिति के कार्यकरण का तिमाही पुनर्विलोकन करे I(9) समिति न्यायपीठ के रूप में कार्य करेगी और उसे दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 द्वारा, यथास्थिति महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को प्रदत्त शक्तियां प्राप्त होगी।(10) जिला मजिस्ट्रेट, बाल कल्याण समिति का शिकायत निवारण प्राधिकारी होगा और बालक से संबंधित कोई व्यक्ति, जिला मजिस्ट्रेट को अर्जी फाइल कर सकेगा जो उस पर विचार करेगा और समुचित आदेश पारित करेगा।समिति के संबंध में प्रक्रिया(1) समिति, एक मास में कम से कम बीस बैठकें करेगी और अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार की बाबत ऐसे नियमों और प्रक्रियाओं का अनुपालन करेगी, जो विहित की जाएं।(2) समिति द्वारा, किसी विद्यमान बाल देखरेख संस्था का, उसके कार्यकरण की जांच पड़ताल करने और बालकों की भलाई के लिए किया गया दौरा समिति की बैठक के रूप में माना जाएगा।(3) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक को बाल गृह में या उपयुक्त व्यक्ति के पास रखे जाने के लिए, तब जब समिति सत्र में न हो, समिति के व्यष्टिक सदस्य के सामने पेश किया जा सकेगा।(4) किसी विनिश्चय के समय समिति के सदस्यों के बीच मतभेद की दशा में, बहुमत की राय अभिभावी होगी, किंतु जहां ऐसा बहुमत नहीं है वहां अध्यक्ष की राय अभिभावी होगी।(5) उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन रहते हुए समिति, समिति के किसी सदस्य के अनुपस्थित रहते हुए भी कार्रवाई कर सकेगी और समिति द्वारा किया गया कोई आदेश, कार्यवाही के किसी प्रक्रम के दौरान केवल किसी सदस्य की अनुपस्थिति के आधार पर अविधिमान्य नहीं होगा; परंतु मामले के अंतिम निपटान के समय कम से कम तीन सदस्य उपस्थित होंगे।समिति की शक्तियाँ(1) समिति का, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख, संरक्षण, उपचार, विकास और पुनर्वास के मामलों का निपटारा करने और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं तथा संरक्षण के लिए उपबंध करने का प्राधिकार होगा।(2) जहां किसी क्षेत्र के लिए समिति का गठन किया गया है, वहां तत्समय प्रवृत्त किसी अन्यविधि में किसी बात के होते हुए भी, किंतु इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से जैसा उपबंधित है, उसके सिवाय, ऐसी समिति को, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों से संबंधित इस अधिनियम के अधीन सभी कार्यवाहियों के संबंध में अनन्यत; कार्य करने की शक्ति होगी।समिति के कृत्य और उत्तरदायित्वसमिति के कृत्यों और उत्तरदायित्वों में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे;-(i) उसके समक्ष पेश किए गए बालकों का संज्ञान लेना और उन्हें ग्रहण करना;(ii) इस अधिनियम के अधीन बालकों की सुरक्षा और भलाई से संबंधित और उसको प्रभावित करने वाले सभी मुद्दों की जांच करना;(iii) बालक कल्याण अधिकारियों या परिवीक्षा अधिकारियों या जिला बालक संरक्षण एकक या गैर-सरकारी संगठनों को सामाजिक अन्वेषण करने और समिति के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निदेश देना;(iv) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख करने हेतु 'योग्य व्यक्ति' की घोषणा करने के लिए जांच करना;(v) पोषण देखरेख के लिए किसी बालक के स्थानन का निदेश देना;(vi) बाल व्यष्टिक देखरेख योजना पर आधारित देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख, संरक्षण, समुचित पुनर्वास या प्रत्यावर्तन को सुनिश्चित करना और इस संबंध में माता-पिता या संरक्षक या योग्य व्यक्ति या बाल गृहों या उपयुक्त सुविधा तंत्र के लिए आवश्यक निदेश पारित करना;(vii) संस्थागत सहायता की अपेक्षा वाले प्रत्येक बालक के स्थानन के लिए, बालक की आयु, लिंग, निर्योग्यता और आवश्यकताओं पर आधारित तथा संस्था की उपलब्ध क्षमता को ध्यान में रखते हुए रजिस्ट्रीकृत संस्था का चयन करना;(viii) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के आवासिक सुविधाओं का प्रत्येक मास में कम से कम दो बार निरीक्षण दौरा करना और जिला बालक संरक्षण एकक और राज्य सरकार को सेवाओं की क्वालिटी में सुधार करने के लिए कार्रवाई करने की सिफारिश करना;(ix) माता-पिता द्वारा अभ्यर्पण विलेख के निष्पादन को प्रमाणित करना और यह सुनिश्चित करना कि उन्हें विनिश्चय पर पुन;विचार करने और कुटुंब को एक साथ रखने हेतु सभी प्रयास करने का समय दिया गया है;(x) यह सुनिश्चित करना कि ऐसी सम्यक प्रक्रिया का, जो विहित की जाए, अनुसरण करते हुए परित्यक्त या खोए हुए बालकों का, उनके कुटुंबों को प्रत्यावर्तन करने के लिए सभी प्रयास किए गए है;(xi) अनाथ, परित्यक्त और अभ्यपिंत बालक की सम्यक जांच के पश्चात् दत्तकग्रहण के लिए वैध रूप से मुक्त होने की घोषणा;(xii) मामलों का स्वप्रेरणा से संज्ञान लेना और ऐसे देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों तक पहुंचना, जिन्हें समिति के समक्ष पेश नहीं किया गया है, परंतु ऐसा तब जब ऐसा विनिश्चय कम से कम तीन सदस्यों द्वारा लिया गया हो;(xiii) लैंगिक रूप से दुर्व्यवहार से ग्रस्त ऐसे बालकों के पुनर्वास के लिए कार्रवाई करना जो लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के अधीन, यथास्थिति, विशेष किशोर पुलिस एकक या स्थानीय पुलिस द्वारा समिति को देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के रूप में ज्ञापित है;(xiv) धारा 17 की उपधारा (2) के अधीन बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट मामलों में कार्रवाई करना;(xv) जिला बालक संरक्षण एकक या राज्य सरकार के समर्थन से बालकों की देखरेख और संरक्षण में अंतर्वलित पुलिस, श्रम विभाग और अभिकरणों के साथ समन्वय करना;(xvi) समिति, किसी बालक देखरेख संस्था में किसी बालक से दुर्व्यवहार की शिकायत के मामले में जांच करेगी और यथास्थिति, पुलिस या जिला बालक संरक्षण एकक या श्रम विभाग निदेश देगी;(xvii) बालकों के लिए समुचित विधिक सेवाओं तक पहुंच बनाना;(xviii) ऐसी अन्य कृत्य और दायित्व, जो विहित किए जाएं।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब स्रोत; विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

He fell asleep because we could sleep peacefully.It was an Indian soldier who got martyred today.Jai HindMilitaryThere are lights in our Diwali because someone is standing on the border in the dark.Jai Hindwhat did a soldier lose

हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया, वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया. जय हिन्द Army  हमारी दिवाली में रोशनी इसलिए हैं क्योंकि सरहद पर अँधेरे में कोई खड़ा हैं. जय हिन्द एक सैनिक ने क्या खूब कहा है. किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं, कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं. नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए. जय हिन्द जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को, भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को, खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है, सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है, जय हिन्द फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं, ऐसे सपूतो को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं. जिसकी वजह से पूरा हिन्दुस्तान चैन से सोता हैं, कड़ी ठंड, गर्मी और बरसात में अपना धैर्य न खोता ह...

ई-शासनभारत में विधिक सेवाएँमहत्वपूर्ण अधिनियमबच्चों से जुड़ी अधिनियमकिशोर न्याय अधिनियम, 2015बाल कल्याण समितिअवस्था:खुलाबाल कल्याण समितिBy वनिता कासनियां पंजाबबाल कल्याण समितिसमिति के संबंध में प्रक्रियासमिति की शक्तियाँसमिति के कृत्य और उत्तरदायित्वबाल कल्याण समिति(1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक जिले के लिए इस अधिनियम के अधीन देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक के संबंध में एक या अधिक बाल कल्याण समितियों का, ऐसी समितियों को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने और कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए गठन करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि समिति के सभी सदस्यों के अधिष्ठापन, प्रशिक्षण और संवेदनशीलता की, अधिसूचना की तारीख से दो मास के भीतर व्यवस्था की जाए।(2) समिति, एक अध्यक्ष और चार ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिन्हें राज्य सरकार नियुक्त करना ठीक समझे और उनमें से कम से कम एक महिला होगी और दूसरा बालकों से संबंधित विषयों का विशेषज्ञ होगा।(3) जिला बालक संरक्षण एकक एक सचिव और उतने अन्य कर्मचारिवृंद उपलब्ध कराएगा, जितने समिति को उसके प्रभावी कार्यकरण हेतु सचिवालयिक सहायता के लिए अपेक्षित हों।(4) किसी व्यक्ति को समिति के सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक ऐसा व्यक्ति कम से कम सात वर्ष तक बालकों से संबंधित स्वास्थ्य, शिक्षा या कल्याण संबंधी कार्यकलापों में सक्रिय रूप से अंतर्वलित न हो या बाल मनोविज्ञान या मनोरोग विज्ञान या विधि या सामाजिक कार्य या समाज विज्ञान अथवा मानव विकास में डिग्री के साथ व्यवसायरत व्यवसायी न हो।(5) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक उसके पास ऐसी अहंताएं न हो, जो विहित की जाएं।(6) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तीन वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा।(7) राज्य सरकार द्वारा समिति के किसी सदस्य की नियुक्ति, जांच किए जाने के पश्चात् समाप्त कर दी जाएगी, यदि(i) वह इस अधिनियम के अधीन उसमें निहित शक्ति के दुरुपयोग का दोषी पाया गया हो;(ii) वह किसी ऐसे अपराध का सिद्धदोष ठहराया गया हो जिसमें नैतिक अधमता अंतर्वलित है और ऐसी दोषसिद्धि को उलटा नहीं गया है या ऐसे अपराध की बाबत उसे पूर्ण क्षमा प्रदान नहीं की गई है;(iii) वह, किसी विधिमान्य कारण के बिना लगातार तीन मास तक, समिति की कार्यवाहियों में उपस्थित रहने में असफल रहता है या किसी वर्ष में कम से कम तीन चौथाई बैठकों में उपस्थित रहने में असफल रहता है।(8) जिला मजिस्ट्रेट, समिति के कार्यकरण का तिमाही पुनर्विलोकन करे I(9) समिति न्यायपीठ के रूप में कार्य करेगी और उसे दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 द्वारा, यथास्थिति महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को प्रदत्त शक्तियां प्राप्त होगी।(10) जिला मजिस्ट्रेट, बाल कल्याण समिति का शिकायत निवारण प्राधिकारी होगा और बालक से संबंधित कोई व्यक्ति, जिला मजिस्ट्रेट को अर्जी फाइल कर सकेगा जो उस पर विचार करेगा और समुचित आदेश पारित करेगा।समिति के संबंध में प्रक्रिया(1) समिति, एक मास में कम से कम बीस बैठकें करेगी और अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार की बाबत ऐसे नियमों और प्रक्रियाओं का अनुपालन करेगी, जो विहित की जाएं।(2) समिति द्वारा, किसी विद्यमान बाल देखरेख संस्था का, उसके कार्यकरण की जांच पड़ताल करने और बालकों की भलाई के लिए किया गया दौरा समिति की बैठक के रूप में माना जाएगा।(3) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक को बाल गृह में या उपयुक्त व्यक्ति के पास रखे जाने के लिए, तब जब समिति सत्र में न हो, समिति के व्यष्टिक सदस्य के सामने पेश किया जा सकेगा।(4) किसी विनिश्चय के समय समिति के सदस्यों के बीच मतभेद की दशा में, बहुमत की राय अभिभावी होगी, किंतु जहां ऐसा बहुमत नहीं है वहां अध्यक्ष की राय अभिभावी होगी।(5) उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन रहते हुए समिति, समिति के किसी सदस्य के अनुपस्थित रहते हुए भी कार्रवाई कर सकेगी और समिति द्वारा किया गया कोई आदेश, कार्यवाही के किसी प्रक्रम के दौरान केवल किसी सदस्य की अनुपस्थिति के आधार पर अविधिमान्य नहीं होगा; परंतु मामले के अंतिम निपटान के समय कम से कम तीन सदस्य उपस्थित होंगे।समिति की शक्तियाँ(1) समिति का, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख, संरक्षण, उपचार, विकास और पुनर्वास के मामलों का निपटारा करने और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं तथा संरक्षण के लिए उपबंध करने का प्राधिकार होगा।(2) जहां किसी क्षेत्र के लिए समिति का गठन किया गया है, वहां तत्समय प्रवृत्त किसी अन्यविधि में किसी बात के होते हुए भी, किंतु इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से जैसा उपबंधित है, उसके सिवाय, ऐसी समिति को, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों से संबंधित इस अधिनियम के अधीन सभी कार्यवाहियों के संबंध में अनन्यत; कार्य करने की शक्ति होगी।समिति के कृत्य और उत्तरदायित्वसमिति के कृत्यों और उत्तरदायित्वों में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे;-(i) उसके समक्ष पेश किए गए बालकों का संज्ञान लेना और उन्हें ग्रहण करना;(ii) इस अधिनियम के अधीन बालकों की सुरक्षा और भलाई से संबंधित और उसको प्रभावित करने वाले सभी मुद्दों की जांच करना;(iii) बालक कल्याण अधिकारियों या परिवीक्षा अधिकारियों या जिला बालक संरक्षण एकक या गैर-सरकारी संगठनों को सामाजिक अन्वेषण करने और समिति के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निदेश देना;(iv) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख करने हेतु 'योग्य व्यक्ति' की घोषणा करने के लिए जांच करना;(v) पोषण देखरेख के लिए किसी बालक के स्थानन का निदेश देना;(vi) बाल व्यष्टिक देखरेख योजना पर आधारित देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख, संरक्षण, समुचित पुनर्वास या प्रत्यावर्तन को सुनिश्चित करना और इस संबंध में माता-पिता या संरक्षक या योग्य व्यक्ति या बाल गृहों या उपयुक्त सुविधा तंत्र के लिए आवश्यक निदेश पारित करना;(vii) संस्थागत सहायता की अपेक्षा वाले प्रत्येक बालक के स्थानन के लिए, बालक की आयु, लिंग, निर्योग्यता और आवश्यकताओं पर आधारित तथा संस्था की उपलब्ध क्षमता को ध्यान में रखते हुए रजिस्ट्रीकृत संस्था का चयन करना;(viii) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के आवासिक सुविधाओं का प्रत्येक मास में कम से कम दो बार निरीक्षण दौरा करना और जिला बालक संरक्षण एकक और राज्य सरकार को सेवाओं की क्वालिटी में सुधार करने के लिए कार्रवाई करने की सिफारिश करना;(ix) माता-पिता द्वारा अभ्यर्पण विलेख के निष्पादन को प्रमाणित करना और यह सुनिश्चित करना कि उन्हें विनिश्चय पर पुन;विचार करने और कुटुंब को एक साथ रखने हेतु सभी प्रयास करने का समय दिया गया है;(x) यह सुनिश्चित करना कि ऐसी सम्यक प्रक्रिया का, जो विहित की जाए, अनुसरण करते हुए परित्यक्त या खोए हुए बालकों का, उनके कुटुंबों को प्रत्यावर्तन करने के लिए सभी प्रयास किए गए है;(xi) अनाथ, परित्यक्त और अभ्यपिंत बालक की सम्यक जांच के पश्चात् दत्तकग्रहण के लिए वैध रूप से मुक्त होने की घोषणा;(xii) मामलों का स्वप्रेरणा से संज्ञान लेना और ऐसे देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों तक पहुंचना, जिन्हें समिति के समक्ष पेश नहीं किया गया है, परंतु ऐसा तब जब ऐसा विनिश्चय कम से कम तीन सदस्यों द्वारा लिया गया हो;(xiii) लैंगिक रूप से दुर्व्यवहार से ग्रस्त ऐसे बालकों के पुनर्वास के लिए कार्रवाई करना जो लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के अधीन, यथास्थिति, विशेष किशोर पुलिस एकक या स्थानीय पुलिस द्वारा समिति को देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के रूप में ज्ञापित है;(xiv) धारा 17 की उपधारा (2) के अधीन बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट मामलों में कार्रवाई करना;(xv) जिला बालक संरक्षण एकक या राज्य सरकार के समर्थन से बालकों की देखरेख और संरक्षण में अंतर्वलित पुलिस, श्रम विभाग और अभिकरणों के साथ समन्वय करना;(xvi) समिति, किसी बालक देखरेख संस्था में किसी बालक से दुर्व्यवहार की शिकायत के मामले में जांच करेगी और यथास्थिति, पुलिस या जिला बालक संरक्षण एकक या श्रम विभाग निदेश देगी;(xvii) बालकों के लिए समुचित विधिक सेवाओं तक पहुंच बनाना;(xviii) ऐसी अन्य कृत्य और दायित्व, जो विहित किए जाएं।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब स्रोत; विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार


बाल कल्याण समिति

(1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक जिले के लिए इस अधिनियम के अधीन देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक के संबंध में एक या अधिक बाल कल्याण समितियों का, ऐसी समितियों को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने और कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए गठन करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि समिति के सभी सदस्यों के अधिष्ठापन, प्रशिक्षण और संवेदनशीलता की, अधिसूचना की तारीख से दो मास के भीतर व्यवस्था की जाए।

(2) समिति, एक अध्यक्ष और चार ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिन्हें राज्य सरकार नियुक्त करना ठीक समझे और उनमें से कम से कम एक महिला होगी और दूसरा बालकों से संबंधित विषयों का विशेषज्ञ होगा।

(3) जिला बालक संरक्षण एकक एक सचिव और उतने अन्य कर्मचारिवृंद उपलब्ध कराएगा, जितने समिति को उसके प्रभावी कार्यकरण हेतु सचिवालयिक सहायता के लिए अपेक्षित हों।

(4) किसी व्यक्ति को समिति के सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक ऐसा व्यक्ति कम से कम सात वर्ष तक बालकों से संबंधित स्वास्थ्य, शिक्षा या कल्याण संबंधी कार्यकलापों में सक्रिय रूप से अंतर्वलित न हो या बाल मनोविज्ञान या मनोरोग विज्ञान या विधि या सामाजिक कार्य या समाज विज्ञान अथवा मानव विकास में डिग्री के साथ व्यवसायरत व्यवसायी न हो।

(5) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक उसके पास ऐसी अहंताएं न हो, जो विहित की जाएं।

(6) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तीन वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा।

(7) राज्य सरकार द्वारा समिति के किसी सदस्य की नियुक्ति, जांच किए जाने के पश्चात् समाप्त कर दी जाएगी, यदि

(i) वह इस अधिनियम के अधीन उसमें निहित शक्ति के दुरुपयोग का दोषी पाया गया हो;

(ii) वह किसी ऐसे अपराध का सिद्धदोष ठहराया गया हो जिसमें नैतिक अधमता अंतर्वलित है और    ऐसी दोषसिद्धि को उलटा नहीं गया है या ऐसे अपराध की बाबत उसे पूर्ण क्षमा प्रदान नहीं की गई है;

(iii) वह, किसी विधिमान्य कारण के बिना लगातार तीन मास तक, समिति की कार्यवाहियों में        उपस्थित रहने में असफल रहता है या किसी वर्ष में कम से कम तीन चौथाई बैठकों में उपस्थित      रहने में असफल रहता है।

(8) जिला मजिस्ट्रेट, समिति के कार्यकरण का तिमाही पुनर्विलोकन करे I

(9) समिति न्यायपीठ के रूप में कार्य करेगी और उसे दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 द्वारा, यथास्थिति महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को प्रदत्त शक्तियां प्राप्त होगी।

(10) जिला मजिस्ट्रेट, बाल कल्याण समिति का शिकायत निवारण प्राधिकारी होगा और बालक से संबंधित कोई व्यक्ति, जिला मजिस्ट्रेट को अर्जी फाइल कर सकेगा जो उस पर विचार करेगा और समुचित आदेश पारित करेगा।

समिति के संबंध में प्रक्रिया

(1) समिति, एक मास में कम से कम बीस बैठकें करेगी और अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार की बाबत ऐसे नियमों और प्रक्रियाओं का अनुपालन करेगी, जो विहित की जाएं।

(2) समिति द्वारा, किसी विद्यमान बाल देखरेख संस्था का, उसके कार्यकरण की जांच पड़ताल करने और बालकों की भलाई के लिए किया गया दौरा समिति की बैठक के रूप में माना जाएगा।

(3) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक को बाल गृह में या उपयुक्त व्यक्ति के पास रखे जाने के लिए, तब जब समिति सत्र में न हो, समिति के व्यष्टिक सदस्य के सामने पेश किया जा सकेगा।

(4) किसी विनिश्चय के समय समिति के सदस्यों के बीच मतभेद की दशा में, बहुमत की राय अभिभावी होगी, किंतु जहां ऐसा बहुमत नहीं है वहां अध्यक्ष की राय अभिभावी होगी।

(5) उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन रहते हुए समिति, समिति के किसी सदस्य के अनुपस्थित रहते हुए भी कार्रवाई कर सकेगी और समिति द्वारा किया गया कोई आदेश, कार्यवाही के किसी प्रक्रम के दौरान केवल किसी सदस्य की अनुपस्थिति के आधार पर अविधिमान्य नहीं होगा; परंतु मामले के अंतिम निपटान के समय कम से कम तीन सदस्य उपस्थित होंगे।

समिति की शक्तियाँ

(1) समिति का, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख, संरक्षण, उपचार, विकास और पुनर्वास के मामलों का निपटारा करने और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं तथा संरक्षण के लिए उपबंध करने का प्राधिकार होगा।

(2) जहां किसी क्षेत्र के लिए समिति का गठन किया गया है, वहां तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य

विधि में किसी बात के होते हुए भी, किंतु इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से जैसा उपबंधित है, उसके सिवाय, ऐसी समिति को, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों से संबंधित इस अधिनियम के अधीन सभी कार्यवाहियों के संबंध में अनन्यत; कार्य करने की शक्ति होगी।

समिति के कृत्य और उत्तरदायित्व

समिति के कृत्यों और उत्तरदायित्वों में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे;-

(i) उसके समक्ष पेश किए गए बालकों का संज्ञान लेना और उन्हें ग्रहण करना;

(ii) इस अधिनियम के अधीन बालकों की सुरक्षा और भलाई से संबंधित और उसको प्रभावित करने वाले सभी मुद्दों की जांच करना;

(iii) बालक कल्याण अधिकारियों या परिवीक्षा अधिकारियों या जिला बालक संरक्षण एकक या गैर-सरकारी संगठनों को सामाजिक अन्वेषण करने और समिति के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निदेश देना;

(iv) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख करने हेतु 'योग्य व्यक्ति' की घोषणा करने के लिए जांच करना;

(v) पोषण देखरेख के लिए किसी बालक के स्थानन का निदेश देना;

(vi) बाल व्यष्टिक देखरेख योजना पर आधारित देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों की देखरेख, संरक्षण, समुचित पुनर्वास या प्रत्यावर्तन को सुनिश्चित करना और इस संबंध में माता-पिता या संरक्षक या योग्य व्यक्ति या बाल गृहों या उपयुक्त सुविधा तंत्र के लिए आवश्यक निदेश पारित करना;

(vii) संस्थागत सहायता की अपेक्षा वाले प्रत्येक बालक के स्थानन के लिए, बालक की आयु, लिंग, निर्योग्यता और आवश्यकताओं पर आधारित तथा संस्था की उपलब्ध क्षमता को ध्यान में रखते हुए रजिस्ट्रीकृत संस्था का चयन करना;

(viii) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के आवासिक सुविधाओं का प्रत्येक मास में कम से कम दो बार निरीक्षण दौरा करना और जिला बालक संरक्षण एकक और राज्य सरकार को सेवाओं की क्वालिटी में सुधार करने के लिए कार्रवाई करने की सिफारिश करना;

(ix) माता-पिता द्वारा अभ्यर्पण विलेख के निष्पादन को प्रमाणित करना और यह सुनिश्चित करना कि उन्हें विनिश्चय पर पुन;विचार करने और कुटुंब को एक साथ रखने हेतु सभी प्रयास करने का समय दिया गया है;

(x) यह सुनिश्चित करना कि ऐसी सम्यक प्रक्रिया का, जो विहित की जाए, अनुसरण करते हुए परित्यक्त या खोए हुए बालकों का, उनके कुटुंबों को प्रत्यावर्तन करने के लिए सभी प्रयास किए गए है;

(xi) अनाथ, परित्यक्त और अभ्यपिंत बालक की सम्यक जांच के पश्चात् दत्तकग्रहण के लिए वैध रूप से मुक्त होने की घोषणा;

(xii) मामलों का स्वप्रेरणा से संज्ञान लेना और ऐसे देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों तक पहुंचना, जिन्हें समिति के समक्ष पेश नहीं किया गया है, परंतु ऐसा तब जब ऐसा विनिश्चय कम से कम तीन सदस्यों द्वारा लिया गया हो;

(xiii) लैंगिक रूप से दुर्व्यवहार से ग्रस्त ऐसे बालकों के पुनर्वास के लिए कार्रवाई करना जो लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के अधीन, यथास्थिति, विशेष किशोर पुलिस एकक या स्थानीय पुलिस द्वारा समिति को देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के रूप में ज्ञापित है;

(xiv) धारा 17 की उपधारा (2) के अधीन बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट मामलों में कार्रवाई करना;

(xv) जिला बालक संरक्षण एकक या राज्य सरकार के समर्थन से बालकों की देखरेख और संरक्षण में अंतर्वलित पुलिस, श्रम विभाग और अभिकरणों के साथ समन्वय करना;

(xvi) समिति, किसी बालक देखरेख संस्था में किसी बालक से दुर्व्यवहार की शिकायत के मामले में जांच करेगी और यथास्थिति, पुलिस या जिला बालक संरक्षण एकक या श्रम विभाग निदेश देगी;

(xvii) बालकों के लिए समुचित विधिक सेवाओं तक पहुंच बनाना;

(xviii) ऐसी अन्य कृत्य और दायित्व, जो विहित किए जाएं।

बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब

 

स्रोत; विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार

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बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रही है। इससे पॉल्युशन रोकने में भी मदद मिलेगी। बायोमीथेन फ्यूज का यूज एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गाय के गोबर से जो बायोमीथेन ईंधन तैयार होता है, उससे 270 BHP का ट्रैक्टर आसानी से चलाया जा सकता है। ब्रिटेन के साइंटिस्ट ने इस ट्रैक्टर को बनाने का काम किया है। यह उसी तरह काम करेगा, जिस तरह से CNG की गाड़ियां काम करती हैं। किस तरह काम करेगा यह ट्रैक्टर इस ट्रैक्टर को चलाने के लिए गायों के गोबर को इकट्ठा कर उसे बायोमीथेन (Positive Methane) में बदला गया। इसके लिए ट्रैक्टर में एक क्रॉयोजेनिक टैंक भी वैज्ञानिकों ने लगाया है। जिसमें गोबर से तैयार बायोमीथेन फ्यूल का यूज किया जाता है। क्रॉयोजेनिक टैंक (cryogenic tank) 162 डिग्री के टेंपरेचर में बायोमीथेन को लिक्विफाइड करने का काम करता है। खेती-किसानी होगा आसान इस ट्रैक्टर का टेस्ट कॉर्नवॉल (Cornwall) के एक खेत में किया गया है। इसका फायदा ये हुआ कि सिर्फ एक साल में ही कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 2,500 टन से घटकर 500 टन हो गया। इस ट्रैक्टर के आने से खेती-किसानी आसान होगी और डीजल पर आने वाला खर्च कम होगा।

   बलुवाना न्यूज पंजाब ऑटो डेस्क : बदलती टेक्नोलॉजी में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। आजतक आपने गोबर का इस्तेमाल ईंधन में होते सुना और देखा भी होगा लेकिन क्या आपने कभी गोबर से चलता ट्रैक्टर देखा है क्या? वैज्ञानिकों ने गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रैक्टर को ब्रिटिश कंपनी बेनामन (Bennamann) ने बनाया है। इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है। इस ट्रैक्टर में डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।   आइए जानते हैं आखिर गोबर से कैसे चलेगा यह ट्रैक्टर.. 270 हॉर्सपावर, डीजल की छुट्टी खेती में गोबर की जरूरत काफी होती है। जैविक खेती के तौर पर गोबर का यूज होता रहा है। ऐसे में गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर आने से गोबर की अहमियत बढ़ने की संभावना है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्सपावर का है और डीजल ट्रैक्टर की तरह ही काम करता है। गोबर का ही इस्तेमाल क्यों दरअसल, गाय के गोबर में फ्यूजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है। बाद में यह बायोमीथेन ईंधन में बदल जाती है। इससे किसानों का काम काफी आसान हो जाने की बात कही जा रह...

*💐💐💐 ज्ञान की पोटली 💐💐💐* *सदैव प्रथम स्थान पर रहें_* *मुस्कराने में...*, *प्रशंसा करने में....*, *सहयोग करने में...* *क्षमा करने में..."* *और,**अपनी गलती मान लेने में ॥* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*तकलीफ़ तो खुद ही* *कम हो गयी**जब लोगों कि उम्मीद* *हमसे कम हो गयी*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹वनिता कासनियां पंजाब *आपके प्रयत्न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिये न हों, बल्कि परिवार में विवेक जागृत करने के लिये भी हो।* *जिंदगी में खुशियाँ आपके पास पैसा कितना है इस बात पर कम व आपके पास धैर्य कितना है, इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है।* *आप में परिवार के अन्दर की समस्याओं और बाहरी द्वेष से विवेकपूर्ण ढंग से निपटने की तथा गलत को गलत कहने की क्षमता कितनी हे।**!!!....एक शांत मन* *चुनौतियों के खिलाफ* *सबसे बड़ा* *हथियार होता है...!!!**💐💐💐💐शुभ प्रभात 💐💐💐**🌷🌷आपका दिन मंगलमय हो 🌷🌷*

*💐💐💐 ज्ञान की पोटली 💐💐💐*  *सदैव प्रथम स्थान पर रहें_*        *मुस्कराने में...*,  *प्रशंसा करने में....*,        *सहयोग करने में...*  *क्षमा करने में..."*              *और,* *अपनी गलती मान लेने में ॥*    🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *तकलीफ़ तो खुद ही*  *कम हो गयी* *जब लोगों कि उम्मीद*  *हमसे कम हो गयी* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 वनिता कासनियां पंजाब               *आपके प्रयत्न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिये न हों, बल्कि परिवार में विवेक जागृत करने के लिये भी हो।*               *जिंदगी में खुशियाँ आपके पास पैसा कितना है इस बात पर कम व आपके पास धैर्य कितना है, इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है।*           *आप में परिवार के अन्दर की समस्याओं और बाहरी द्वेष से विवेकपूर्ण ढंग से निपटने की तथा गलत को गलत कहने की क्षमता कितनी हे।* *!!!....एक शांत मन*  *चुनौतियों के खिलाफ*...

,,आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है।सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभपारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है।अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढऩा चाहते हों, योग और ध्यान में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की पूजा एवं उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।यदि आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो, लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी समस्त कष्ट दूर हो जायेगे।संकटों से मुक्ति के लिए किसी भी माह में प्रदोष के दिन पारद के शिवलिंग की षोडशोपचार पूजा करके शिव महिमा मन्त्र से अभिषेक करें। फिर हर दिन पूजन करते रहें, कुछ ही समय में आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है। कर्ज मुक्ति होती है।अगर आपके घर या व्यापार स्थल पर अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो। तो पारद के शिवलिंग की पूजा करे।आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढऩा शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी। मेरे घर मे जो जल पारद के शिवलिंग पर चढ़ता है, वही गमले मे डाल दिया जाता है।पारद शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करने से समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।पारद के शिवलिंग के दर्शन मात्र से आपकी सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य और धन-यश की इच्छा पूर्ण होती है।जो भी भक्त पारद शिवलिंग की पूजा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं महाकाल और महाकाली करते हैं।इस शिवलिंग के स्पर्श मात्र से दैवीय शक्तियां व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।आत्मविश्वास की कमी है तो करे पारद के शिवलिंग की पूजा। जो लोग अपनी बात सार्वजनिक रूप से खुलकर नही रख पाते है।लोग आपको दब्बू की संज्ञा देते हैं तो आपको नियमित रूप से पारद शिवलिंग की पूजा करना चाहिए। इससे मस्तिष्क को उर्वरता प्राप्त होती है। वाक सिद्धि प्राप्त होती है। हजारों लोगों को अपनी वाणी से सम्मोहित करने की क्षमता आ जाती है।पारद शिवलिंग की पूजा करने से धन से संबंधित, परिवार से संबंधित, स्वास्थ्य से संबंधित और आपके जीवन से जुड़ी हुई हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या का अंत होता है।यह शिवलिंग घर की बुरी शक्तियों को दूर करती है |किसी भी तरह का जादू टोना घर के सदस्यों पर होने से रोकता है |परिवार के सदस्यों को असीम शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है |यह घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करता हैअगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है।य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता है | ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता है, और साधक की रक्षा करता है |ऐसे करे पारद के शिवलिंग की पूजासर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:चौथी बार ॐशिवाय नम:हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ''ॐ नम: शिवाय`` का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ''ॐ पार्वत्यै नम:`` मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।मीठे का भोग लगा दे।भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।मेरे घर के पारद के शिवलिंगमेरे घर के पूजा घर के दो जगहों पर दो पारद के शिवलिंग थे । एक पूजा घर से चोरी हो गया या ग़ायब हो गया नही पता चला।उस शिवलिंग का पता नही चला उसकी मैं पूजा और ध्यान किया करता था। मुझे काफी लाभ मिला था । उस शिवलिंग पर मुझे बहुत श्रद्धा थी। चोरी हो गया अफसोस है , शायद मुझसे ज्यादा उसको जरूरत होगी ।ये पारद शिवलिंग है मेरे घर के पूजा घर मे है ।पारद का शिवलिंग बहुत कम देखने को मिलता है , पारद का शिवलिंग बनाने की एक विधि होती है । मेरे गुरुजी के शिष्य ने ये विद्या गुरुजी से सीखी थी , उन्होंने बना कर दो हम लोगो को दिया था , एक छोटा था , एक बड़ा था । उस शिष्य ने जब इस विद्या का धंधा शुरू कर दिया तो गुरुजी ने उसे आश्रम से निकाल दिया तब से आज तक उससे मुलाकात नही हो पाई।पारद के शिवलिंग का महत्वप्राचीन ग्रंथों में पारद को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है। इसका वर्णन चरक संहिता आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थों में भी मिलता है। शिवपुराण में पारद को शिव का वीर्य कहा गया है। वीर्य बीज है, जो संपूर्ण जीवों की उत्पत्ति का कारक है। इसी के माध्यम से भौतिक सृष्टि का विस्तार होता है। पारे को प्राकृतिक रूप से प्रबल ऊर्जा प्रदान करने वाला रासायनिक तत्व कहा गया है। पारे से बने शिवलिंग को समस्त प्रकार की वस्तुओं से बने शिवलिंगों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और इसकी पूजा सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाली कही गई है। ग्रंथों में शिव लिंग को ब्रम्हांड का प्रतीक माना गया है। जानकारों के अनुसार रुद्र संहिता में शिव लिंगों के भी प्रकार बताए गए हैं, जो सृष्टि में व्याप्त अलग-अलग ब्रम्हांडों के प्रतीक माने जाते हैं। वैदिक ग्रंथों में पारे को संसार के समस्त राग, द्वेष, विकार का विनाशक माना गया है। जो लोग अध्यात्म की राह पर चलना चाहते हैं, उनके लिए पारद शिवलिंग की पूजा अवश्य करना चाहिए। समस्त प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए भी पारद शिवलिंग की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि पारे के शिव लिंग को यदि निश्चित आकार में घर पर रखा जाए तो सारे वास्तुदोष्ज्ञ स्वत: समाप्त हो जाते हैं। इस शिवलिंग को पूरे शिव परिवार के साथ रखा जाना चाहिए। पूजन विधि में, समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति में पारद से बने शिवलिंग एवं अन्य आकृतियों का विशेष महत्व होता है।सरल नही है पारद का शिवलिंग बनानापारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्य धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है. “अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम।इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, सोना, चाँदी,ताबा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए। इन सब को मिलाकर ठोस रूप दिया जाता है।पारद का शोधन अत्यंत कठिन कार्य होता है। इसको शोधित करने जैसी कठिन एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, तब जाकर पारा ठोस आकार ग्रहण करता है पारद शिवलिंग बनाने की एक विद्या होती है जिसको सीखना पड़ता है । इसे ठोस बनाने के लिए वैदिक क्रियाओं सहित चौसठ दिव्य औषधियों का मिश्रण करना पड़ता है। निर्माण के बाद उसे मांत्रिक क्रियाओं के जरिए रससिद्ध एवं चैतन्य किया जाता है, तब जाकर पारद शिवलिंग पूर्ण सक्षम एवं प्रभावयुक्त बनता है तो उसकी पूजा होती है। असली पारद शिवलिंग का निर्माण एक विशेष समय अवधि में ही होता है | इस विशेष समय को विजयकाल के नाम से जाना जाता है | बाजार में दिखावे के भी पारद शिवलिंग भी मिलते है जो ठग विद्या के लिए बने है | इन्हे खरीदने से पहले इनकी अच्छे से जांच कर लेनी चाहिएवनिता कासनियां पंजाबकहाँ होता है निर्माणभोपाल से 142 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे बने बापौली-मांगरोल आश्रम में इन दिनों पारद शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। 8 महीने में 64 जड़ी-बूटियों के साथ सोना-चांदी-ताबा मिलाकर इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनकी कीमत 11000 रुपए से शुरू होकर 1 करोड़ तक होती है। यहाँ साल भर में 30 से 35 पारद शिवलिंग बनते है। रायसेन जिले के बरेली तहसील में नर्मदा किनारे मांगरौल आश्रम बना है। यहां बरसों से पारद शिवलिंग बनाया जाता है। देश के कई हिस्सों से लोग साल भर यहां शिवलिंग बनवाने आते हैं। ये काम पूरे साल चलता रहता है। सावन सोमवार और महाशिवरात्रि आने पर इनकी मांग बढ़ जाती है। पारद शिवलिंग को बनाना बेहद मुश्किल काम है। बिना किसी मशीनी मदद से पारे को साफ करने के लिए 8 संस्कार किए जाते हैं। अष्ट संस्कार में 6 महीने लग जाते हैं। 2 महीने 15 दिन से लगते हैं बाकी क्रियाओं में और इसके बाद पारद शिवलिंग बन कर तैयार होता है बाद सभी 64 औषधियां मिलाकर पारद को ठोस बनाया जाता है। कपारद का प्रभाव बढ़ाने के लिए सोना-चांदी भी मिलाया जाता है।स्रोत इमेज गूगल/ मेरा फोनस्रोत लिंकसमस्त सुखों की प्राप्ति के लिए कीजिए पारद शिवलिंग की पूजापारद शिवलिंग का महत्व महिमा और इसे पूजने से होने वाले लाभघर में रखें पारद शिवलिंग, जानें इनकी पूजा के कितने हैं फायदेपारद शिवलिंगपारद शिवलिंग

,, आप पारद शिवलिंग में पारे के ठोस अवस्था में रूपांतरण की व्याख्या कैसे करेंगे? By वनिता कासनियां पंजाब पारद शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। सभी शिवलिंगों में पारद के शिवलिंग का स्थान सबसे ऊपर है इसका कारण है इसकी पूजन करने के लाभ पारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को "सुवर्ण रसलिंग" भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे "महालिंग" की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है । पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज क...